Star Khabre, Faridabad; 06th July : 19/20 फरवरी 2016 को यदि समय रहते कैप्टन अभिमन्यु के रिश्तेदार और अन्य लोग कोठी से बाहर नहीं निकलते तो उग्र भीड़ उन्हें जिंदा जला देती। जाट आंदोलन के दौरान हरियाणा सरकार के आदेश पर हुई पुलिस गोलीबारी में कई लोगों के मारे जाने से उग्र भीड़ नाराज थी।
सीबीआइ की चार्जशीट के अनुसार आंदोलन करने वालों ने मौके पर कहा था कि घर में आग लगानी है और जो भी अंदर है, उसे मार डालो। अंदर पड़ा सारा सामान लूट लेना है। जिसके बाद सैकड़ों लोगों ने घर को घेर लिया था और इसे आग लगा दी थी। आंदोलन करने वालों ने कथित रूप से अभिमन्यु के परिवार के सदस्यों को जलाने की भी कोशिश की थी और घर से करोड़ों रुपये का सामान लूट लिया था।
सीबीआइ जांच में पाया गया कि कैप्टन अभिमन्यु के घर को आग लगाने के लिए पेट्रोल को मुख्य रूप में इस्तेमाल किया गया। कई लोगों ने शुरू में दावा किया था कि एक विशेष रसायन का उपयोग किया गया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया है। ए 30 केलिबर कारतूस पाया गया है, लेकिन अभी तक कोई हथियार नहीं मिला है। रिपोर्ट के अनुसार हमले का मकसद अभिमन्यु को सबक सिखाना था। क्योंकि पुलिस ने हिंसा के दौरान जाट आंदोलनकारियों पर गोलीबारी की थी।
51 लोगों के खिलाफ दायर किया गया है आरोप पत्र
चार्जशीट पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत के समक्ष सोमवार को दायर की गई थी। जांच एजेंसी ने 51 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। मुख्य रूप से वकील सुदीप कलकल, मनोज दुहन और सेवानिवृत्त वायुसेना के नेता दिलावर सिंह को हमले के मुख्य आरोपित बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुहन के साथ कलकल ने गैर-जाटों द्वारा जाटों पर हमले के बारे में अफवाहें फैलाने के दौरान आंदोलन करने वालों को लगातार उत्तेजित किया।
आरोपितों के घर से मिले थे चांदी के गिलास
झज्जर जिले के साल्हावास गांव के निवासी मोहित को गिरफ्तार किया गया था। उससे कैप्टन अभिमन्यु के घर से लूट गए चांदी के गिलास भी बरामद किए गए थे। सीबीआइ ने रोहतक के निवासी विकास उर्फ विकी से दूरबीन और चांदी के सिक्कों का एक जोड़ा भी बरामद किया था। झज्जर के सूरा किलोई गांव के निवासी लक्ष्मी उर्फ पप्पू को 15,000 रुपये के 49 चांदी के सिक्कों के साथ गिरफ्तार किया था और रोहतक के प्रदीप कुमार से 40 ऐसे सिक्के मिले थे।
बलहारा ने उकसाया था भीड़ को
सीबीआइ की चार्जशीट में झज्जर के बापोदा गांव के जितेन्द्र सिंह राठी और रोहतक के बलियाना गांव के योगानंद को कथित तौर पर हमले में शामिल होने पर नामजद किया गया है। इस चार्जशीट में अखिल भारतीय संघ समिति के महासचिव अशोक बलहारा का नाम भी है। बलहारा ने अभिमन्यु के घर पर हमला करने के लिए भीड़ को उकसाया था। वह वकील हैं और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के दौरान कानून अधिकारी के रूप में कार्यरत रहे हैं।
छात्रों को हॉस्टल में घुसकर पीटने की फैलाई थी झूठी अफवाह
कैप्टन अभिमन्यु के निवास पर हमले के संबंध में दायर की गई चार्जशीट में एजेंसी ने कुछ घटनाओं का हवाला दिया है, जिससे शहर में फरवरी 2016 में जाट हिंसा हुई थी। कुछ तत्वों द्वारा फैलाई गई कुछ गलतफहमी ने जाट समुदाय को उकसाया, जिससे रोहतक शहर में व्यापक हिंसा हुई। सीबीआइ ने यह भी कहा है कि फरवरी 2016 को आंदोलन के दौरान पुलिस ने कुछ छात्रों का पीछा किया था और वह रोहतक में पंडित नेकीराम कॉलेज के छात्रावास में छिप गए थे, जहां पर कुछ छात्रों को पीटा गया था।
सीबीआइ के निष्कर्ष के मुताबिक छात्रावास के कुछ छात्रों को चोट लगी थी और पुलिस द्वारा उनकी पिटाई को वकील सुदीप कलकल और जाट नेता मनोज दुहन ने आग की तरह फैला दिया था। कलकल और दुहन ने प्रशासन के खिलाफ जाट समुदाय के अन्य ग्रामीणों को उकसाया। सीबीआइ का दावा है कि हालांकि जाट समुदाय के किसी भी छात्र को पीटा नहीं गया था।
गलत प्रचार करके बिगाड़ी गई थी स्थिति
सीबीआइ के मुताबिक 17 फरवरी 2016 को रोहतक शहर के सभी हिस्सों में राहुल जैन की अगुआई में स्थानीय व्यापारियों और अन्य ने रोहतक में जुलूस निकालते हुए जिला मजिस्ट्रेट को एक ज्ञापन दिया। आरोपित गौरव हुड्डा, सुदीप कलकल और अन्य ने जानबूझकर राहुल जैन और उनके समर्थकों के खिलाफ आपत्तियां उठाई। जाट समर्थकों पर हमले को खूब प्रचारित प्रचार किया। जिससे शहर में स्थिति बिगड़ गई।
सोशल मीडिया पर वायरल किए गए थे भड़काऊ भाषण
जांच में यह भी पता चला है कि कैप्टन अभिमन्यु के निवास पर हमले में प्रमुख आरोपित दुहन भड़काउ भाषण देने में सक्रिय थे। उन्होंने अन्य समुदाय के खिलाफ अपने भाषणों को सोशल मीडिया पर वायरल कर जाट समुदाय पर गैर जाटों द्वारा हमले की अफवाह फैलाई और पुलिस द्वारा जाट छात्रों को मारने का भी आरोप लगाया। तकनीकी जांच के दौरान यह भी सामने आया है कि उन्होंने सरकार के खिलाफ जनता को उत्तेजित करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई।