Star Khabre, Chandigarh; 04th September : गुरुग्राम भूमि घोटाले में करीब पांच हजार करोड़ रुपये की मुनाफाखोरी हुई है। राबर्ट वाड्रा व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा वाड्रा की कंपनी डीएलएफ व ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज पर दर्ज एफआइआर में इसी रकम का उल्लेख है। 3.50 एकड़ की भूमि का आवंटन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के जरिए डीएलएफ व स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को किया गया था। इससे दोनों कंपनियों को करीब पांच हजार करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया गया।
इन कंपनियों के जो लाइसेंस दिखाए गए, उनमें भी अनियमितता मिली है। एफआइआर में दर्ज है कि रॉबर्ट वाड्रा ने अपने रसूख व भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिलीभगत कर धोखाधड़ी को अंजाम दिया। एफआइआर 420, 120बी, 467, 468 और 471 धारा के तहत दर्ज की गई। प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 13 के तहत भी कार्रवाई की गई है।
दोनों से सीधे पूछताछ संभव
मामला पूर्व सीएम हुड्डा से जुड़ा है, इसलिए जांच सहायक पुलिस आयुक्त स्तर पर होगी। पूछताछ के लिए वाड्रा व हुड्डा को तलब किया जाएगा। मामले की जांच जब ढींगरा आयोग को सौंपी गई थी तो उस दौरान आयोग के सामने स्काईलाइट हॉस्पिटिलिटी या भूपेंद्र ¨सह हुड्डा के प्रतिनिधि ही पेश हुए, दोनों कभी नहीं आए। नामजद शिकायत की वजह से अब मामले में सीधे-सीधे दोनों से पूछताछ संभव है। बता दें कि शनिवार को नूंह जिले के सुरेंद्र शर्मा ने राबर्ट वाड्रा, भूपेंद्र ¨सह हुड्डा, डीएलएफ व ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ खेड़कीदौला थाने में मामला दर्ज कर कराया था। दो साल पहले एक जमीन घोटाले में प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मानेसर के पूर्व सरपंच ओमप्रकाश यादव ने मानेसर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन नामजद नहीं थी
हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक मिली मायूसी
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर आयकर विभाग ने 42 करोड़ रुपये की अज्ञात आय के मामले में नोटिस दिया था। यह मामला स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से जुड़ा हुआ था। इसमें वाड्रा के पास 99 फीसद का मालिकाना हक है। वाड्रा ने विभाग के नोटिस को पहले हाई कोर्ट व फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन दोनों जगह से मायूसी मिली। वाड्रा ने नोटिस को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि उनकी कंपनी लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप में थी, जबकि इनकम टैक्स के नोटिस में इसे प्राइवेट लिमिटेड पार्टनरशिप बताया गया था।
दो को गिरफ्तार कर चुकी है ईडी
पिछले साल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में जयप्रकाश बागरवा व अशोक कुमार को गिरफ्तार भी किया था। अशोक कुमार स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के महेश नागर का करीबी सहयोगी है। दोनों को मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। एजेंसी ने पिछले साल अप्रैल में अशोक कुमार व महेश नागर के परिसरों की तलाशी भी ली थी।
अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच एफआइआर से पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गले नई मुसीबत पड़ गई है। छह मामलों में सीबीआइ जांच का सामना कर रहे हुड्डा एक दशक पुराने इस भूमि विवाद से कैसे निपटेंगे, सियासी गलियारों में यही मुद्दा सबकी जुबान पर है।
कांग्रेस सरकार के दस साल के दौरान हुए आधा दर्जन भूमि घोटालों में मनोहर सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री को मुख्य आरोपित बनाते हुए जांच सीबीआइ को सौंप रखी है। वहीं एफआइआर पर हुड्डा का कहना है कि दस साल पुराने इस केस में नया कुछ भी नहीं है।
वाड्रा-हुड्डा की घेराबंदी के लिए माकूल समय के इंतजार में थी भाजपा
सोनिया गांधी के दामाद राबर्ड वाड्रा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की घेराबंदी तय थी। सीनियर आइएएस अधिकारी डॉ. अशोक खेमका ने वाड्रा की कंपनी की जिस जमीन की म्यूटेशन रद की थी, उसी को मुद्दा बनाकर भाजपा हरियाणा में सत्ता पर काबिज हुई। हुड्डा और वाड्रा की घेराबंदी के लिए राज्य सरकार ने जस्टिस एसएन ढींगरा के नेतृत्व में आयोग का भी गठन किया। आयोग की रिपोर्ट लीकेज के बाद माना जाने लगा था कि सरकार किसी भी समय हुड्डा और वाड्रा पर शिकंजा कस सकती है। चार साल से सत्तारूढ़ भाजपा पर राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर इस मुद्दे को लेकर खासा दबाव था। भाजपा के मौजूदा प्रभारी डॉ. अनिल जैन ने कई बार संकेत दिए कि वाड्रा के खिलाफ कार्रवाई होगी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। दरअसल, हुड्डा को फंसाने के लिए भाजपा ने कूटनीतिक दांव खेला है। हुड्डा के विरुद्ध किसी भी तरह की कार्रवाई में भाजपा जल्दबादी के मूड में नहीं थी। सत्ता आते ही यदि वाड्रा और हुड्ड़ा की घेराबंदी कर दी जाती तो राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस यह कहकर सहानुभूति जुटाने की कोशिश करती कि बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है। अब हरियाणा में चुनाव के लिए एक साल ही बचा है और हुड्डा इस समय काफी सक्रिय हैं। वह जनक्रांति रथयात्राओं के जरिये पूरा प्रदेश नापने की तैयारी में हैं। लिहाजा इससे पहले कि हुड्डा तेज चलें, उनकी घेराबंदी कर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है। भाजपा ने जहां हुड्डा व वाड्रा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का वादा पूरा किया, वहीं प्रदेश की जनता को भी यह संदेश दे दिया कि उसने जो कहा वह करके दिखाया है। हालांकि इस कार्रवाई के बाद अब हुड्डा समर्थक विधायक एकजुट होंगे, लेकिन उनकी कांग्रेस हाईकमान में दबाव की राजनीति कितनी काम आएगी यह देखने वाली बात होगी।
BY THAKUR SURAJ BHAN AT 8.20 AM