बिना अनुमति तैयारी, जबरन शोभा यात्रा निकालना, पुलिस पर पथराव फिर हुआ लाठीचार्ज
Shikha Raghav (Star Khabre), Faridabad; 17th October : वैसे तो दशहरा पर्व पिछले 7 वर्षों से विवादित है लेकिन इस बार दशहरा पर्व कुछ ज्यादा ही चर्चा में है। दशहरा पर्व को मात्र दो दिन शेष हैं लेकिन अभी तक दोनों पक्षों में से किसी भी पक्ष को अनुमति नहीं मिली है। ऐसा पहली बार हुआ है कि लंका दहन वाले दिन दशहरा मैदान में लंका का दहन नहीं हुआ, किसी भी पक्ष को लंका दहन की अनुमति नहीं मिली। आज बुधवार को इसी विवाद में सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। दरअसल पुलिस पर मंदिर के बाहर जबरन शोभा यात्रा निकालने के लिए एकत्रित हुए एक पक्ष के समर्थकों द्वारा पथराव किया गया जिस कारण पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। वहीं दूसरी ओर प्रशासन के आदेशानुसार पुलिस ने दशहरा मैदान को चारों तरफ से बंद कर दिया और किसी को भी दशहरा मैदान में नहीं आने दिया।
गौरतलब है कि आज बुधवार को उपायुक्त ने दशहरा पर्व को लेकर दोनों पक्षों को एक बैठक के लिए बुलाया हुआ था जिसमें यह निर्णय होना था कि दशहरा पर्व कौन सा पक्ष मनाएगा। बैठक के लिए फरीदाबाद धार्मिक सामाजिक संगठन की ओर से प्रधान जोगेन्द्र चावला और चेयरपर्सन राधा नरूला पहुंचे। जबकि सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर की ओर से पूर्व विधायक चन्द्रर भाटिया और उनका बेटा रोहित भाटिया पहुंचे। सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर की ओर से उनका समर्थन करने के लिए हरियाणा के केबिनेट मंत्री विपुल गोयल के भतीजे व युवा भाजपा नेता अमन गोयल भी उपायुक्त कार्यालय पहुंचे। बैठक में उपायुक्त अतुल कुमार, एडीसी जितेन्द्र दहिया, एसीपी सैंट्रल शाकिर हुसैन, एडिनशल नगर निगम कमिश्रर धीरेन्द्र, नगर निगम ज्वाईंट कमिश्रर संदीप अग्रवाल मौजूद थे। बैठक में अभी उधर चर्चा भी शुरू नहीं हुई थी कि सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर पर राजेश भाटिया द्वारा शोभा यात्रा निकालने की तैयारी शुरू कर दी। उधर प्रशासन ने पुलिस को दशहरा मैदान और सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर के पास पुलिस बल तैनात कर दिया। प्रशासन ने पुलिस को आदेश दिए कि दशहरा मैदान में कोई न आए और जब तक कोई प्रशासनिक आदेश न आ जाए तब तक शोभा यात्रा न निकाली जाए।
सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर जब राजेश भाटिया व उनके समर्थकों ने जबरन शोभा यात्रा निकालने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया, इस पर समर्थकों व पुलिस के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। इसके बाद कुछ समर्थक मंदिर की छत पर चढ़ गए और वहां से पुलिस पर पथराव किया। पुलिस पर पथराव के बाद पुलिस ने समर्थकों पर लाठीचार्ज कर दिया और कुछ समर्थकों (वरूण ग्रोवर, महेन्द्र कपूर, अनिल अरोड़ा व महेन्दीरत्ता) को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि उक्त लोगों की गिरफ्तारी की अभी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। उधर दूसरी ओर दशहरा मैदान के बाहर चारो तरफ पुलिस ने नाकाबंदी कर दी और किसी को भी दशहरा मैदान में नहीं आने दिया।
बैठक में पथराव व लाठीचार्ज की सूचना मिलते ही अधिकारियों ने किसी भी पक्ष को दशहरा पर्व मनाने की अनुमति नहीं दी और लंका दहन की भी अनुमति नहीं दी गई। ऐसा पहली बार हुआ है कि शहर में दशहरा से दो दिन पूर्व लंकादहन न हुआ हो।
कौन मना सकता है दशहरा
सूत्रों की माने तो बैठक में जिला उपायुक्त ने दोनों पक्षों को मनाने की भरपूर कोशिश की लेकिन राजेश भाटिया व उनके समर्थकों द्वारा पुलिस पर किए गए पथराव के कारण प्रशासन का उनके प्रति रूख कड़ा हो गया है। इसके चलते अब प्रशासन दोनों पक्षों में किसी को भी अनुमति देने के मूड में नहीं दिख रहा। सूत्रों की माने तो अब प्रशासन अपने द्वारा बनाई गई 11 सदस्यीय कमेटी को ही दशहरा पर्व मनाने की इजाजत दे सकता है।
क्या कहते हैं पूर्व प्रधान जयपाल शर्मा
पूर्व प्रधान जयपाल शर्मा का कहना है कि आज भी मुझे 7 अगस्त 2011 का वो दिन याद है कि जब राजेश भाटिया अपने गुंडो के साथ मंदिर में दाखिल हुआ था और जबरन मंदिर पर कब्जा कर लिया था। उस दिन भी मंदिर में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन था। उस दिन मंदिर में कांगे्रस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के स्वास्थ्य की कामना के लिए हवन यज्ञ रखा गया था, उस समय राजेश भाटिया व उसके गुंडों ने जबरन मंदिर में आकर पांड़ाल बिखेर दिया था और मंदिर के सेवकों के साथ मारपीट भी की थी। आज समय ने अपने आप को फिर दोहराया है। आज राजेश भाटिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में विघ्र पड़ा है।
श्री शर्मा ने बड़े ही भावुक होते हुए कहा कि आज मै सोशल मीडिया पर अनेक पोस्ट देख रहा हूं जिसमें राजेश भाटिया को मंदिर से जोड़ते हुए भावनात्मक टिप्पणी की जा रही हैं कि मंदिर के साथ गलत हो रहा है। सत्तारूढ़ दल पर इल्जाम लगाए जा रहे हैं। जबकि न्यायालय के आदेशानुसार तो राजेश भाटिया मंदिर की संस्था का सदस्य ही नहीं है। मैं उन सभी कमेंट कर्ताओं और पोस्ट कर्ताओं से यह पूछना चाहता हूं कि जब वर्ष 2011 में राजेश भाटिया ने मंदिर में घुसकर मंदिर की कमेटी के साथ मारपीट की और जबरन मंदिर पर कब्जा किया, तब यह सब कहां थे? क्या तब गलत नहीं हुआ था? आज सही और गलत की बात करने वाले पोस्टकर्ता और कमेंटकर्ता क्या राजेश भाटिया के खिलाफ आवाज उठाएंगे कि वह जबरन मंदिर पर कब्जा किए बैठा है? जबकि न्यायालय ने अपने आदेशों में साफ कहा है कि राजेश भाटिया तो मंदिर की संस्था का सदस्य ही नहीं है। श्री शर्मा ने कहा कि समय अपने आप को जरूर दोहराता है।