Star Khabre, Faridabad; 30th January : अवैध गेस्ट हाउस या होटल चलाने का जितना जिम्मेदार होटल/गेस्ट हाऊस मालिक है, उतनी ही जिम्मेदार ओयो कंपनी भी है क्योंकि यदि इन होटल/गेस्ट हाऊस की लोकेशन देखे तो इससे साफ पता चलता है कि यदि ओयो इन्हें अपनी सर्विस न दे, तो इनका कोई वजूद नहीं। यानि इनकी अधिकतर बुकिंग ओयो के माध्यम से ही की जाती हैं।
शहर के विभिन्न रिहायशी क्षेत्रों में खुले ओयो गेस्ट हाऊस/होटल सरकारी विभाग की मिलीभगत का उदाहरण तो हैं ही लेकिन यह ओयो कंपनी के लालच का भी परिणाम हैं क्योंकि यदि ओयो कंपनी इन्हें अपना नाम नहीं देती तो इनकी कोई पहचान नहीं होती। ओयो कंपनी अपने आप को एक सर्विस प्रोइवाइडर कंपनी बताती है लेकिन यदि बात नैतिकता की करें तो ओयो कंपनी अपने लालच के चक्कर में न सिर्फ समाज में अनैतिक कार्यों को बढ़ावा दे रही है बल्कि ओयो कंपनी की आड़ में गेस्ट हाउस/होटल मालिक सरकारी राजस्व को भी चूना लगा रहे हैं।
आज शहर में होटल या गेस्ट हाउस ढूंढने पर ओयो कंपनी इन सभी के नाम और रेट दिखाती है जिस कारण ग्राहक तक इनकी सीधी पहुंच बनी हुई है। दरअसल ओयो कंपनी रिहायशी क्षेत्रों में बनी कोठियो को भी बतौर गेस्ट हाउस/होटल के रूप में अपनी वेबसाइट पर दिखा रही है लेकिन रिहायशी क्षेत्रों में इन्हें कर्मशियल काम करने की किसने इजाजत दी, इस बात का कोई जबाव नहीं दे रहा। ओयो कंपनी ने भी इस बात की कोई जरूरत नहीं समझी कि जिस गेस्ट हाउस या होटल मालिक से करार कर रही है, उसने वहां के स्थानीय विभागों से होटल/गेस्ट हाउस खोलने की अनुमति ले रखी है या नहीं। सूत्रों की माने तो ओयो कंपनी को इससे कोई लेना-देना नहीं है कि वह रिहायशी क्षेत्र है या कर्मशियल। वह तो सिर्फ होटल के कमरे और लोकेशन देखकर होटल मालिक से अनुबंध कर लेती है। इसके लिए ओयो कंपनी उक्त मालिक से किसी भी प्रकार के कर्मशियल लाइसेंस की मांग नहीं करती। जबकि यदि कंपनी गेस्ट हाउस/होटल मालिक से ट्रेड लाइसेंस या संबंधित विभाग से एनओसी की मांग करें तो रिहायशी क्षेत्रों में इस प्रकार की गतिविधियां नहीं हो सकती। लोगों का कहना है कि ओयो कंपनी अपने निजी स्वार्थ के चलते लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। ऐसे गेस्ट हाउस/होटलों में चल रहे अनैतिक कार्यों से समाज में अच्छा संदेश नहीं जा रहा।
इस बारे में ओयो कंपनी के रिजनल हेड अभिषेक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस बारे में कंपनी के अधिकारी ही बता पाएंगे और उन्होंने गुडगांव कंपनी का पता दे दिया लेकिन जब वहां फोन के माध्यम से बात की गई तो कंपनी की ओर से किसी ने भी अपना पक्ष नहीं रखा। तीन दिन लगातार फोन करने पर भी ओयो कंपनी के किसी भी अधिकारी से कोई बात नहीं हो पाई।