Star Khabre, Faridabad; 14th July : श्री सिद्धदाता आश्रम एवं श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में आज नामदानदीक्षा समारोह का आयोजन किया गया जिसमें 112 लोगों को नामदानप्रदान किया गया। इस अवसर पर दीक्षा देते हुए अनंत श्रीविभूषित इंद्रप्रस्थएवं हरियाणा पीठाधीश्वर श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने कहा कि गुरुजन इस जीवन की महिमाबताने के लिए व्यक्ति को अपना शिष्य बनाकर नामदान देते हैं। उन्होंने कहा कि नामदान का कलियुग में बड़ा महत्त्व है क्योंकि कलयुगकेवल नाम आधारा कहा गया है।
स अवसर पर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने सभीविधियों को पूर्ण करने के बाद दिए संक्षिप्त प्रवचन में नामदान केमहत्व एवं शिष्यों के लिए कर्तव्यों के बारे में बताया। उन्होंनेकहा कि नामदान देने के बाद शिष्यों का कुशल क्षेम गुरुजन देखतेहैं लेकिन शिष्य को भी गुरु की शिक्षाओं को अपने जीवन मेंउतारना चाहिए। गुरूजी ने कहा कि रामानुज संप्रदाय में दीक्षितव्यक्ति को मोक्ष होना तय है। यह हमारे आचार्यों का भगवान के साथभाव संंबंध है। उन्होंने बताया कि परंपरा के आचार्यरामानुज स्वामी जी भगवान से यह तय करके ही आए थे कि वह जिसेभगवान की शरण लाएंगे, भगवान् को उसे मुक्ति देनी होगी। इसनामदान परंपरा में भक्तों को पांच विधियों से गुजरना पड़ता हैजिसमें यज्ञ, ताप, नाम, यज्ञोपवीत,शरणागति शामिल होते हैं। श्री रामानुज संप्रदाय में नाम दान प्राप्त व्यक्ति को मोक्ष अर्थातआवागमन से मुक्ति निश्चित मानी जाती है। श्री जी यानि लक्ष्मी जीद्वारा चलाए इस संप्रदाय को मानने वाले आज दुनिया में करोड़ोंलोग हैं। जिसका उत्तर भारत में दिल्ली व हरियाणा में यह श्री सिद्धदाता आश्रम पवित्र तीर्थ क्षेत्र बन चुका है। जिसकी स्थापना वैकुंठवासी स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने वर्ष 1989 में की थी।यहाँ वर्तमान में अनंत श्रीविभूषित इंद्रप्रस्थ एवं हरियाणापीठाधीश्वर श्रीमद जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज गद्दीनशीन हैं।