Pinaka Times, Faridabad; 13th August : वकीलों के काम का बहिष्कार करने के चलते अब मुवक्किलों को हाईकोर्ट में दाखिल होने से नहीं रोका जा सकेगा। हाईकोर्ट के जजों ने फैसला लिया है कि क्लाइंट्स को रोका गया तो कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। हरियाणा एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के गठन के विरोध में हाईकोर्ट में वकीलों ने काम का बहिष्कार कर रखा है। इसके चलते मुवक्किलों को भी कोर्ट रूम तक नहीं जाने दिया जा रहा।
काम का बहिष्कार कर रहे वकील मुवक्किलों को हाईकोर्ट के गेट पर ही रोक रहे हैं और उन्हें हाईकोर्ट में दाखिल नहीं होने दे रहे। वकीलों के इस रवैये पर हाईकोर्ट के जजों ने फैसला लिया है कि मुवक्किलों को न रोका जाए। फुल कोर्ट मीटिंग में सभी जजों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि मुवक्किलों को हाईकोर्ट में दाखिल होने से न रोका जाए। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेजीडेंट डीपीएस रंधावा ने कहा कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के जनरल हाउस की मीटिंग में यह मामला विचार के लिए रखा गया था। फैसला लिया गया कि इमरजेंसी केस जैसे मेडिकल इमरजेंसी, सिक्योरिटी से जुड़े मामले व दूसरे एजूकेशन मैटर्स जिनमें लॉस्ट चांस शामिल है, वाले मुवक्किलों को गेट पर न रोका जाए। दूसरी तरफ रूटीन मामलों में आने वाले लोगों को रोके जाने पर सहमति है।
26 जुलाई से वकील काम नहीं कर रहे: ट्रिब्यूनल गठन के विरोध में 26 जुलाई को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने काम न करने का फैसला लिया था। इसके बाद से वकील हाईकोर्ट में काम नहीं कर रहे हैं। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेजीडेंट डीपीएस रंधावा ने कहा कि वकील चाहते हैं कि ट्रिब्यूनल गठन संबंधी अधिसूचना वापस ली जाए। इसे लेकर ही हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की जनरल हाउस की मीटिंग में फैसला लिया गया कि फिलहाल काम का बहिष्कार किया जाएगा।
आज बैठक होगी: मंगलवार को एक बार फिर वकीलों के जनरल हाउस की मीटिंग है जिसमें काम के बहिष्कार को लेकर आगे फैसला लिया जाएगा कि वकील काम करेंगे या नहीं। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेजीडेंट डीपीएस रंधावा ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों को शुक्रवार को बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया था। वकीलों ने मांगों को लेकर ज्ञापन मुख्यमंत्री को दिया है। सीएम की तरफ से कहा गया कि 14 अगस्त तक वे विदेश दौरे पर हैं। लौटने पर ट्रिब्यूनल को लेकर फैसला लिया जाएगा।
हाईकोर्ट भी संज्ञान ले चुका है: दो अगस्त को हाईकोर्ट ने इस मामले में संज्ञान ले लिया था। चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस आरके जैन ने इस मामले पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने हरियाणा सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन के कहने पर ट्रिब्यूनल के गठन संबंधी अधिसूचना व इसे लागू करने के फैसले को फिलहाल टाल देने की बात कही थी। साथ ही अगले आदेशों तक हाईकोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ही नए और पुराने सर्विस मामलों पर सुनवाई किए जाने की बात कही थी।
एक सरकारी अधिकारी दूसरे सरकारी कर्मचारी की सुनवाई क्यों करे:
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेजीडेंट डीपीएस रंधावा ने कहा कि उन्हें भी मुवक्किलों की परेशानी समझ में आ रही है लेकिन यह लड़ाई ट्रिब्यूनल सिस्टम के खिलाफ है, जिसमें अदालतों के अधिकार ट्रिब्यूनल को दिए जा रहे हैं। अदालतों को कमजोर किया जा रहा है। हाईकोर्ट का कार्यरत जज ज्यादा बेहतर ढंग से सुनवाई करेगा या रिटायर्ड जज सर्विस मैटर्स पर बेहतर सुनवाई करेगा। अदालतों के अधिकारों में इस तरह की कटौती को स्वीकार नहीं किया जा सकता। एक सरकारी अधिकारी को दूसरे सरकारी कर्मचारी की सुनवाई का अधिकार क्यों दिया जाए