Star Khabre, Faridabad; 24th September : गायें ले जाते भीड़ के हत्थे चढ़ जान गंवाने वालों में ज्यादातर लोग महज भाड़े के ड्राइवर-मजदूर होते हैं। चंद घंटों में हजारों रुपए की कमाई का लालच देकर उन्हें वाहन में गायें उठवाने वाले गिरोह के पास भेजा जाता है। गाड़ी भी गोकशी माफिया की होती है। वे अपने ठिकानों पर बैठ लाखों रुपए की कमाई का बीफ बिजनेस चलाते हैं। इस नेटवर्क के एक छोर पर महेंद्र, भैरू व पप्पू भाट जैसे लोग हैं, जो पैसा लेकर गोवंश उठवाते हैं। दूसरे छोर पर नन्ना मेव जैसे बीफ माफिया बैठे हैं, जो बीफ मार्केट के लिए गोकशी करते हैं। खुलासा शाहजहांपुर में गोतस्करी करते भीड़ की पिटाई का शिकार हुए मुनफैद ने भास्कर के सामने किया। मुनफैद ने जो बताया वो सच पुलिस को भी हमेशा से पता है, लेकिन कभी दोनों छोरों पर बैठे सरगनाओं पर कार्रवाई नहीं हुई। सरकार भी लिचिंग पर राजनीति के लिए एसआईटी जांच तो करा रही है, लेकिन इसकी जड़ों में छिपे माफिया पकड़ से बाहर है। पुलिस का यहीं काम आज भास्कर कर रहा है। गोतस्कर मुनफीद के हवाले से जानिए, उन लोगों के नाम जो भावनाओं को भड़का मॉब लिंचिंग के असली जिम्मेदार हैं।
3 हजार रुपए में गायें भरना, ठिकाने पर छोड़ने का काम
मुनफैद ने बताया कि गोतस्करी में टपूकड़ा के डालावास निवासी फारुख पुत्र यादु और हरियाणा के नूंह में पल्ला गांव निवासी होडल पुत्र दीनू मेव की गैंग सक्रिय हैं। होडल गैंग में सद्दाम सहित करीब 6 लोग शामिल हैं। वह एक का ही नाम जानता है। जबकि फारुख की गैंग में उसके साथ मुबीन और तौहीद भी काम करते हैं। जब गाड़ी ले जानी होती है तो फारुख उसे 3 हजार रुपए मजदूरी देता है। उन्हें गायों को पिकअप में भरना हरियाणा तक छोड़ना होता है। दूसरे लोगों को भी इतनी ही मजदूरी मिलती है। फारुख और होडल गैंग के पास खुद की खरीदी हुई पिकअप हैं। गायें उठाने के वक्त उन्हें दी जाती हैं।
तावडू का नन्ना मेव है सरगना, वही सबसे खरीदता है
मुनफैद ने बताया कि हरियाणा के तावडु में पचगांव नन्ना मेव गोकशी माफिया है। वह किसी से नहीं मिलता। फारुख, होडल जैसी गैंगों के जरिये गायें उठवाता है। उसके बताये ठिकाने पर गोवंश भरी पिकअप छोड़ी जाती है। जहां से उसके आदमी ले जाते हैं। फारुख जैसी गैंग को हर एक बड़े गौवंश पर 3 हजार, छोटे पर 2 हजार और बछड़े पर 1 हजार रुपए मिलते हैं। छोटी पिकअप में 8 से 10 गोवंश ठूंसते हैं।
तस्करी में मुनफैद के चाचा को लगी थी दो गोली : 2017 मार्च में शाहजहांपुर क्षेत्र में ही मुनफैद का चाचा मुबीन कांणा पुत्र तारेखां भी फंसा था। तभी उसने तत्कालीन थाना प्रभारी सुरेन्द्र मलिक की सरकारी गाड़ी में टक्कर मारी और भाग गया। झज्जर में पुलिस से मुठभेड़ में मुबीन को सिर, नाक एवं कंधे में गोली मारी गई थी। वह बच गया और दो गोली आज भी उसके सिर में फंसी हुई है। सीएचसी पहुंचे टपूकड़ा निवासी मुनफैद के बड़े भाई जावेद, चाचा दिलशाद एवं दादा नसीरुद्दीन ने बताया कि परिवार के लोग ड्राइवर एवं वाहन मिस्त्री का काम करते हैं। सिर्फ मुबीन कांणा अपराध की दुनिया में चला गया। उसी के झांसे में मुनफैद आ गया।
शाहजहांपुर. घायल गोतस्कर को अस्पताल से ले जाते पुलिसकर्मी।
जब्त पिकअप।
बोला-आज के बाद नहीं करूंगा ये काम
भास्कर ने अस्पताल में भर्ती मुनफैद से पूछा कि आए दिन गोतस्करों की पिटाई व मौत की खबर आती हैं। उसे डर नहीं लगता क्या। इस पर मुनफैद ने कहा कि वह पहले तीन बार गाय उठाने गाड़ी पर गया। एक सप्ताह में उसने 9 हजार रुपए कमा लिए। इससे लालच आ गया और रविवार को घर वालों से ठंडा पीने की कहकर गाय उठाने निकल आया था। फूसापुर में लोगों ने उसे लाठी डंडों से पीटा। थाना प्रभारी उसे बचाकर लाए। अब जिंदगी में कभी यह काम नहीं करूंगा।
महेंद्र-भैरू गाय भरवाने के 8-9 रुपए हजार लेते हैं
कोटपूतली में पप्पू पुत्र भैरु भाट, उसका बेटा महेन्द्र रुपए लेकर गायें उठवाने का धंधा करते हैं। ये लोग दिनभर कोटपुतली क्षेत्र से अावारा गौवंश को इकट्ठा करते हैं। काफी गाय जमा होने पर फारुख एवं होडल गैंग को फोन कर देते हैं। फारुख का खास आदमी मुबीन एवं होडल का प्रमुख गुर्गा सद्दाम पिकअप लेकर गौवंश लेने पहुंच जाते हैं। फारुख से मिले पैसे महेंद्र वगैरह को देकर गाय भर लाते हैं। पुलिस से बचने के लिए बानसूर से हरसौरा होते हुए सोडावास, फूसापुर के रास्ते हरियाणा पहुंच जाते हैं।