Star Khabre, Faridabad; 28th September : सेक्टर-15 गुरूद्वारे के पास हूडा ग्रांउड में आयोजित श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित रामलीला का शुक्रवार रात आगाज हो गया। सबसे पहले सभी कलाकारों और श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने गणपति वंदना की और उसके बाद राम आरती कर रामलीला का शुभांरभ किया गया।
रामलीला के पहले दिन रावण-वेदवती संवाद, राजा दशरथ का श्रवण कुमार को तीर मारना, श्रवण के माता पिता का राजा दशरथ को श्राप देना और रावण द्वारा शंकर को प्रसन्न कर चंद्रहास तलवार प्राप्त करना दिखाया गया। रामलीला मंचन में दिखाया गया कि रावण की नजर एक सुंदर कन्या पर पड़ती है, जिसे देख कर वह मोहित हो जाता है और उसको अपने वश में करने का प्रयास करता है परंतु विष्णु भगवान की भक्त वेदवती उसकी बातें नहीं मानती है, जिस कारण रावण उसके शरीर को स्पर्श कर देते हैं। इससे क्रोधित होकर वेदवती सती हो जाती है तथा रावण को श्राप देती है कि वह मिथिलापुरी में जन्म लेगी और रावण के नाश का कारण बनेगी।
इसके बाद रामलीला मंचन में दिखाया कि रावण जिस समय कैलाश पर्वत से गुजर रहा है, तो अचानक उसका विमान रुक जाता है, जिससे वह फिर क्रोधित होकर विमान रुकने का कारण जानता है। नंदी गण समझाते हैं कि यह शंकर भगवान का कैलाश पर्वत है। भगवान शंकर की अनुमति के बिना कैलाश पर्वत से पक्षी भी नहीं गुजरते हैं। रावण कैलाश पर्वत को उखाडऩे का प्रयास करता है, लेकिन उसे हिला भी नहीं पाता है, तो उसका अहंकार चूर हो जाता है। इसके बाद रावण शंकर भगवान की पूजा करता है और क्षमा याचना मांगता है। इस पर भगवान शिव रावण की पूजा से प्रसन्न होकर चंद्रहास नामक तलवार देते हैं। चंद्रहास तलवार मिलने के बाद रावण ऋषि-मुनियों को परेशान करना शुरू कर देता है। रामलीला के दौरान यह भी दिखाया कि आज्ञाकारी श्रवण कुमार माता-पिता को तीर्थ यात्रा पर ले जाते हैं जहां दशरथ के तीर से श्रवण कुमार की मृत्यु हो जाती है। यह दृश्य देखकर श्रद्धालुओं की आंखें बरबस ही नम हो गईं।
रामलीला में दिखाया कि श्रवण कुमार अपने माता पिता को तीर्थ कराने के लिए ले जाते हैं। इस दौरान राजा दशरथ जंगल में शिकार के लिए निकले थे। तभी माता-पिता द्वारा पानी मांगने पर श्रवण कुमार अपने माता-पिता के लिए पानी लेने चले जाते हैं। नदी से पानी लेने के दौरान कुछ आवाज सुनाई दी तो राजा दशरथ ने सोचा कि कोई जानवर पानी पी रहा है और उन्होंने तीर छोड़ दिया। वह तीर श्रवण कुमार को जा लगा जिससे उनकी मृत्यु हो गई। पुत्र की मृत्यु की सूचना मिलते ही वृद्ध माता-पिता विचलित हो उठते हैं और क्रोध में राजा दशरथ को पुत्र वियोग का श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि जैसे मैं पुत्र की पीड़ा में बिलख रहा हूं, ऐसे ही तुम भी पुत्र वियोग में प्राण त्यागोगे।
रामलीला में शंकर की भूमिका में अंकित मखीजा, पार्वती रूशाली ग्रोवर, रावण की भूमिका श्रवण चावला, वेदवती की भूमिका युगन्धा वशिष्ठ, श्रवण की भूमिका कशिश चावला, श्रवण कुमार के पिता का नाम शांतनु की भूमिका कैलाश चावला, माता ज्ञानवती की भूमिका में तान्या भाटिया और दशरथ की भूमिका अजय खरबंदा, दशरथ के मंत्री की भूमिका अभिनव शर्मा व गुरू वशिष्ठ की भूमिका मंगल सेन अरोड़ा ने निभाई।