Star Khabre, Faridabad; 2nd October : सई रा नरसिम्हा रेड्डी आज रिलीज हो चुकी है। इसकी स्टार कास्ट की अगर बात करें तो इसमें आप अमिताभ बच्चन और साउथ के सुपरस्टार चिरंजीवी को एक साथ देखेंगे। चिरंजीवी की ये 151 फिल्म है जिससे दर्शकों को काफी उम्मीदें हैं। पढ़िए सई रा नरसिम्हा का रिव्यू...
फिल्म सई रा नरसिम्हा रेड्डी सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है। ये नरसिम्हा रेड्डी की कहानी है जिसने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1847 में लड़ाई लड़ी थी।
नरसिम्हा रेड्डी (चिरंजीवी), एक उयालवाड़ा क्षेत्रीय प्रशासनिक और सैन्य शायक की भूमिका निभाते हैं। इनके गुरू गोसाई वैनकन्ना (अमिताभ बच्चन) होते हैं जो इन्हें एक योद्धा और नेता बनाते हैं। लोगों की भलाई के लिए काम करना इनका कर्तव्य होता है। इसी के चलते इन्हें एक खूबसूरत डांसर से प्यार हो जाता है जिसका नाम लक्ष्मी (तमन्ना भाटिया) होता है। लेकिन परिस्थितियों की वजह से उन्हें सिद्धाम्मा (नयनतारा) से शादी करनी पड़ती है। अपने लोगों को ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए काम करते देख इन्हें गुस्सा आ जाता है और ये बाकी के नेताओं से हाथ मिला लेते हैं। जैसे अवूकू राजू (सुदीप) और राजा पांडी ( विजय सेथूपत्ती) जिससे वे ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ एक विद्रोह शुरू कर पाएं। इनकी लड़ाई केवल अंग्रेजों से ही नहीं होती बल्कि अपने लोगों से भी होती है जो इनके मिशन को नष्ट करने के लिए तैयार रहते हैं। नरसिम्हा रेड्डी की ये लड़ाई साल 1857 में भारतीय विद्रोह के लिए एक प्रेरणा है।
फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है। बाकी की तरह ये फिल्म भी एक ऐतिहासिक कहानी से उपजी हुई कहानी है। मेकर्स ने हालांकि, इस कहानी को और नाटकिए बनाने की कोशिश की है। चिरंजीवी, फिल्म में एक विद्रोह नेता के रूप में काफी अच्छे लग रहे हैं। एक्टर ने साबित किया है कि वे एक असंभव रूप में भी संभव लग सकते हैं। और किरदार को बखूबी निभाना जानते हैं। अच्छा स्क्रीन मिलने पर सुदीप भी अपनी एक्टिंग से दर्शकों में एक छाप छोड़ते नजर आएंगे। आप उम्मीद करेंगे कि चिरंजीवी के साथ निभाए सुदीप के किरदार को स्क्रीन पर और जगह मिलनी चाहिए थी। तमन्ना भाटिया और नयनतारा दोनों ही एक्ट्रेस एक्टिंग के मामले में एक दूसरे को कॉम्पीटिशन देती नजर आएंगी। अमिताभ बच्चन की उपस्थिति काफी संक्षिप्त है। और प्रभावपूर्ण दिखाई गई है।
फिल्म पांच भाषाओं में रिलीज की गई है। इसमें तेलुगू, तमिल, मलयालम, हिंदी और कन्नड़ शामिल हैं। फिल्म को जिस तरह लिखा गया है, ये कड़ी कमजोर दिखाई देगी। स्क्रीनप्ले और निर्देशन के मामले में सुरेन्द्र रेड्डी कई जगह आपको कमजोर नजर आएंगे।
फिल्म दो घंटे 50 मिनट की है। लंबी है जिसे काटकर थोड़ा छोटा किया जा सकता था। डायलॉग्स पर भी थोड़ा और काम किया जा सकता है। इनमें गहराई की कमी महसूस होगी। फिल्म सेकेंड हाफ में थोड़ी रफ्तार पकड़ती नजर आएगी। इसमें आपको एक्शन के साथ स्टोरी लाइन बेहतर लगेगी।