Star Khabre, Faridabad; 15th October : 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय दलों भाजपा और कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की तिलांजलि दे दी है। संकल्प पत्र में रिपोर्ट का जिक्र तक नहीं किया। आयोग की सिफारिशों को लागू करना तो दूर दल अपन इसके नाम से भी परहेज करने लगे हैं। इनेलो ने ही सत्ता में आने पर आयोग की सिफारिशों अनुसार 50 प्रतिशत मुनाफे के आधार पर किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का वादा किया है। भाजपा और कांग्रेस ने भी किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए अनेक वादे किए हैं, लेकिन रिपोर्ट लागू करने को लेकर एक शब्द तक नहीं कहा है
कांग्रेस के सत्ता में रहते भाजपा नेता इसी आयोग की सिफारिशें लागू कराने के लिए अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करते थे। 2014 में भाजपा ने इसे अपने संकल्प पत्र में भी शामिल किया था। मगर, सत्ता में पांच साल रहने पर इसे लागू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। हालांकि, कृषि मंत्री ओपी धनखड़ व सरकार दावा करती है कि उन्होंने रिपोर्ट से बढ़कर किसानों को लाभ पहुंचाया है। पूर्व यूपीए सरकार के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सिफारिशें लागू करने के लिए गठित समिति के चेयरमैन बनाए गए थे।
उन्होंने केंद्र सरकार को रिपोर्ट लागू करने के लिए अपने सुझाव भी दिए, मगर, नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। इस बार कांग्रेस ने भी अपने संकल्प पत्र में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को जगह नहीं दी है। पूर्व सीएम हुड्डा दावा करते हैं कि 2014 तक सत्ता में रहने पर कांग्रेस ने कई सिफारिशों को लागू किया है। देश भर के सहकारी बैंकों में कृषि ऋण पर ब्याज घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया। हरियाणा में यदि किसान समय पर अपनी देय राशि का भुगतान करते हैं तो ब्याज शून्य प्रतिशत लगता है।
2004 में बना आयोग, तीन साल में आईं चार रिपोर्ट
एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन 18 नवंबर, 2004 को किया गया था। इसने दिसंबर 2004, अगस्त 2005, दिसंबर 2005 और अप्रैल 2006 में चार रिपोर्ट प्रस्तुत की। इनमें अन्य सिफारिशों के साथ ही किसानों की फसल लागतों पर 50 प्रतिशत लाभांश मूल्य देने की बात कही थी। इसे लेकर किसान पूरे देश में लंबे समय तक आंदोलन करते रहे। अब तक प्रदेश के किसी भी राज्य में रिपोर्ट को हुबहू लागू नहीं किया गया है। कृषि ओपी धनखड़ कहते हैं कि मनोहर लाल सरकार ने रिपोर्ट के बिंदुओं को लागू किया है।
भाजपा ने अपनाया अलग फार्मूला
भाजपा ने 2014 के चुनाव संकल्प पत्र में सी2 फार्मूले से एमएसपी तय कर किसानों के लिए मुनाफे की गणना करने का वादा किया था, मगर सरकार आने पर ए2 प्लस एफएल विधि से गणना की। सी2 फॉर्मूला का अर्थ है व्यापक लागत और इसमें परिवार के श्रम की लागत, स्वामित्व वाली भूमि के किराए पर लगाया गया और स्वामित्व वाली पूंजी पर लगाया गया ब्याज। एफ2 लागत वे लागतें हैं जो किसान वास्तव में अपनी जेब से बीज से लेकर उर्वरक तक कीटनाशकों से लेकर किराए पर दी गई मशीनरी तक या किराए पर ली गई जमीन तक ले जाने के लिए भुगतान करता है।
खोखले वादों से नहीं समृद्ध होगा किसान
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रधान गुरनाम सिंह व प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि राजनीतिक दलों के खोखले वादों से किसान आर्थिक तौर पर समृद्घ नहीं होंगे। उनके लिए ठोस नीति बनानी होगी। संकल्प पत्र में घोषणाएं कुछ की जाती हैं और धरातल पर होता कुछ है। स्वामीनाथन रिपोर्ट का जिक्र भाजपा, कांग्रेस के संकल्प पत्र में न होना दुर्भाग्यपूर्ण है।