Star Khabre, Faridabad; 18th October : पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं करवाचौथ का व्रत रखती हैं। मोहाली के फेज-4 निवासी दविंदर सिंह की पत्नी सुखविंदर कौर के लिए भी शादी का 24वां करवाचौथ खास है। 18 जून 2018 को माइनिंग माफिया ने ब्लॉक फॉरेस्ट ऑफिसर दविंदर सिंह पर रॉड से हमला कर उन्हें बुरी तरह जख्मी कर दिया था। उनके सिर पर 150 टांके लगे थे और सिर में 4 जगह से हड्डी टूट गई थी। इस कारण वे कोमा में चले गए।
सवा साल तक दविंदर की पत्नी सुखविंदर कौर ने अपना सुख त्याग कर पति के दुख को कम करने की ठानी। पिछले करवाचौथ पर दविंदर कोमा में थे। पत्नी की सेवा और दुआओं की बदौलत अब दविंदर ठीक हैं। पत्नी का सहारा लेकर चल लेते हैं और बात भी समझाने लगे हैं। दविंदर के ठीक होने पर पूरे परिवार में खुशी है। वीरवार को उनके लिए करवाचौथ का व्रत रखकर सुखविंदर ने उनकी लंबी उम्र की कामना की।
पीजीआई में दविंदर की हालत देख लगा सब कुछ उजड़ गया...
सुखविंदर कौर ने बताया कि 18 जून को दविंदर सिंह शाम के समय घर से यह कहकर गए थे कि आज उनकी नाइट ड्यूटी है। रात करीब 11 बजे एकाएक फोन आया तो उन्होंने सोचा कि घर आ गए हैं, इसलिए कॉल कर रहे हैं। जब फोन उठाया तो पता चला कि उनके फोन से कोई और बात कर रहा था। उसने बताया कि आपके पति पीजीआई में दाखिल हैं। बेटा स्कूटर उठाकर पीजीआई गया। बाद में हम भी पीजीआई पहुंचे। वहां पति की हालत देखकर पांव के नीचे से जमीन खिसक गई। ऐसा लगा कि मानो सब कुछ उजड़ गया हो।
ऑप्रेशन थिएटर में दविंदर के सिर की हालत ऐसी थी कि देखा नहीं जा रहा था। दूसरे दिन तक कोई सुध नहीं थी कि क्या होगा, कैसे होगा।
डॉक्टर ने कहा- कोमा से निकलना मुश्किल
दविंदर सिंह के सिर पर 150 टांके लगे। शरीर पर हर जगह पाइपें लगी थी। उन्हें देखकर सभी डॉक्टर्स एक ही बात बोलते थे कि दविंदर का कोमा से निकलना मुश्किल है। पीजीआई के डॉक्टर्स के अलावा प्राइवेट डॉक्टर्स से भी बात की तो उन्होंने भी ऐसा ही कहा। पूरा परिवार दिन-रात पीजीआई में रहता। भाई धर्मेंद्र ने हर रात दविंदर के साथ गुजारी। परिवार का साथ खड़े रहना और भगवान पर विश्वास, वाहेगुरु की अरदास ही परिवार का सहारा बनी।
डेढ़ महीने बाद आंख झपकी, अब चल-फिर सकते हैं
सर्जरी के डेढ़ महीने बाद दविंदर ने पहली बार आंख झपकी। उस दिन कुछ आस जगी कि दविंदर ठीक हो जाएगा। लेकिन वे कोमा से बाहर नहीं निकले। पीजीआई के डॉक्टर्स ने 6 महीने बाद उन्हें घर भेज दिया। घर आकर भी वे बेड पर ही थे। हमले के बाद से शरीर के एक हिस्से को पैरालाइज हो गया था। घर में सेवा और फीजियोथैरेपी सहारा बनी। फिर हालत में सुधार होने लगा। इस साल सर्दियों में बड़ी इंप्रूवमेंट आई। अब वे सहारे से चलते हैं। अपनी बात भी समझाते हैं