Star khabre, faridabad ; 06th December : भारत-वेस्टइंडीज सीरीज में फ्रंट फुट नो बॉल का फैसला मैदानी अंपायर की बजाय थर्ड अंपायर करेगा। गुरुवार को आईसीसी ने इसकी घोषणा की। दोनों देशों के बीच 6 दिसंबर से तीन मैचों की टी-20 और इतने ही मैचों की वनडे सीरीज शुरू हो रही है। पहला मैच शुक्रवार को हैदराबाद में खेला जाएगा।
इस नियम को ट्रायल के तौर पर लागू किया जा रहा है। अगर यह सफल रहता है तो फिर बॉलिंग के दौरान फ्रंटफुट नो बॉल का फैसला थर्ड अंपायर करेगा। आईसीसी ने कहा, ‘‘ट्रायल के दौरान थर्ड अंपायर हर गेंद पर निगरानी रखने और यह पहचानने का जिम्मेदार होगा कि क्या फ्रंट फुट का उल्लंघन हुआ है। अगर उसे ऐसा लगता है तो वह (थर्ड अंपायर) मैदानी अंपायर को इसकी जानकारी देगा। ताकि वह (ऑन फील्ड अंपायर) इसे नो बॉल करार दे सके। इसका मतलब मैदानी अंपायर बिना थर्ड अंपायर की सलाह के पैर की नो बॉल नहीं दे सकेगा।’’
ट्रायल के नतीजों से बदलाव का असर देखा जाएगा : आईसीसी
आईसीसी के मुताबिक, ट्रायल के नतीजों से यह पता लगाया जाएगा कि इस बदलाव का नो बॉल से जुड़े फैसलों की सटीकता पर कितना असर पड़ा है। इसके अलावा यह भी जांचा जाएगा कि पैर की नो बॉल से जुड़े नए नियम को खेल में बाधा पहुंचाए बिना लागू किया जा सकता है या नहीं। इस नियम के लागू होने के बाद भी करीबी मामलों में संदेह का लाभ गेंदबाज को मिलेगा। अगर पैर की नो बॉल के बारे में देर से पता चलता है तो ऑन फील्ड अंपायर अपना फैसला बदल भी सकेगा।
क्रिकेट कमेटी की सिफारिश के बाद दोबारा नियम लागू हुआ
आईसीसी ने इसी साल अगस्त में थर्ड अंपायर को फ्रंट फुट नो बॉल तय करने का अधिकार दिया है। पहली बार इंग्लैंड-पाकिस्तान के बीच 2016 में हुई वनडे सीरीज में इसका ट्रायल हुआ था। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने क्रिकेट कमेटी की सिफारिश के बाद सीमित ओवरों के मैचों में दोबारा इसके इस्तेमाल का फैसला किया।