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अमेरिका और ईरान की तनातनी का फिलहाल भारतीय निर्यात पर नहीं पड़ेगा असर

January 10, 2020 11:17 AM

Star Khabre, business; 10th January : अमेरिका और ईरान के बीच चल रही तनातनी के बीच कच्चे तेल की कीमतों में भले ही उतार-चढ़ाव तेज हो गया हो, लेकिन इससे कच्चे तेल की खरीद या भारतीय निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस समय भारत ईरान से कच्चे तेल का आयात नहीं करता, जबकि वहां के लिए बहुत कम मात्रा में चावल, दवाइयां एवं कुछ अन्य जरूरी चीजों का ही निर्यात हो रहा है।

पेेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, भारत ने ईरान से बीते साल मई के दूसरे पखवाड़े से ही कच्चे तेल का आयात करना बंद कर दिया है। उसी समय अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध प्रभावी हुए थे।

हालांकि, देखा जाए तो उससे पहले भी वहां से कच्चा तेल बहुत कम मात्रा में ही मंगाया जा रहा था। अप्रैल 2019 में वहां से महज दस लाख टन कच्चे तेल का ही आयात किया था। उसके मुकाबले इराक और सउदी अरब से काफी ज्यादा कच्चा तेल आयात किया जाता है।

हालांकि, उनका कहना है कि यह संकट लंबे समय तक बरकरार रहा तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ेगा। जैसे, अभी ईरान संकट शुरू होते ही कच्चे तेल के दाम में तेज बढ़ोतरी हो गई। यदि संकट बढ़ा तो सिर्फ पश्चिम एशिया का ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का कच्चे तेल का बाजार प्रभावित होगा।

भारत इस समय अपने कुल उपयोग का करीब 80 फीसदी कच्चा तेल आयात ही करता है। इसलिए महंगे कच्चे तेल की वजह से भारतीय ग्राहकों को पेट्रोलियम पदार्थों का अधिक मूल्य चुकाना होगा।

निर्यात पर कोई खास असर नहीं

ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (टीपीसीआई) के अध्यक्ष मोहित सिंगला का कहना है कि ईरान संकट का भारतीय निर्यातकों पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ने वाला है। इस समय भारत से ईरान को सिर्फ थोड़ी मात्रा में चावल, दवाइयां, पैकेजिंग मैटेरियल तथा कुछ अन्य जरूरी सामानों का निर्यात किया जाता है।

यह निर्यात उस पैसे के बदले किया जाता है, जो पहले से ही भारत और ईरान के बैंकों में जमा हैं। दरअसल, अमेरिकी प्रतिबंध से पहले ईरान से जो कच्चा तेल भारत आता था, उसकी राशि दोनों देश के बैंक के एस्क्रो इएकाउंट में जमा कर दिया जाता था। उस राशि में से अभी भी कुछ शेष बचा हुआ है।

इसी पैसे से भारतीय निर्यातकों को भुगतान मिलता है। इस खाते में कितनी राशि बची है, इस पर उनका कहना है कि इस बारे में भारत सरकार की तरफ से कोई खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन ईरानी बैंकों के सूत्रों का कहना है कि इस समय करीब पांच-छह हजार करोड़ रुपये इस खाते में बचे हैं।

 
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