Star Khabre, Chandigarh; 16th January : रेल मंत्रालय देशभर में चल रही 150 ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपने की तैयारी में है। नीति आयोग ने 10-12 क्लस्टर बनाकर 100 रूट्स पर 150 ट्रेनों काे प्राइवेट करने का प्रस्ताव रेलवे काे साैंपा है। चंडीगढ़ काे तीसरे कलस्टर में शामिल किया गया है, इसमें चंडीगढ़-दिल्ली रेलमार्ग पर सप्ताह में 6 दिन चलने वाली शताब्दी और चंडीगढ़-सुल्तानपुर भी शामिल है। हालांकि अभी यह प्रोजेक्ट रेलवे काे मिला है।
रेलवे ने इस पर वर्किंग शुरू कर दी है। अगर यह प्राेजेक्ट सिरे चढ़ता है ताे यात्रियाें काे वर्ल्ड क्लास रेल सुविधाएं मिलना शुरू हाे जाएंगी। इसमें रेलवे काे ट्रेनों की स्पीड 160 किलोमीटर प्रतिघंटा बढ़ानी है। इसके लिए दिल्ली-काेलकाता और दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर 160 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन चलाने की कैबिनेट ने प्रस्ताव पास कर दिया है। हालांकि चंडीगढ़ से दिल्ली के बीच 160 किलोमीटर प्रतिघंटा रफ्तार के लिए फ्रांस रेलवे की टीम ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट सौंप दी है। इस पर इस साल काम शुरू होगा। फिलहाल 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शताब्दी चल रही है। इस प्रोजेक्ट को शुरू करने का उद्देश्य प्रीमियर ट्रेनों में यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाना है।
शताब्दी की जगह तेजस लेगी इस पर फैसला अभी नहीं:
जहां तक चंडीगढ़-दिल्ली रेलमार्ग का सवाल है तो फिलहाल एक शताब्दी को प्राईवेट करने की बात इसमें कही गई है। अभी यह तय नहीं कि शताब्दी को प्राइवेट किया जाएगा या फिर कोई नई ट्रेन चलाकर इसे रिप्लेस कर उसे प्राइवेट हाथों में सौंपा जाएगा।
संभवत: बजट में इसे लेकर कोई बड़ी घोषणा हो सकती है। रेलवे ने जो खाका तैयार है उसमें प्राइवेट प्लेयर ही ट्रेन में साफ-सफाई, यात्रियों की सुरक्षा, फूड और साफ-सफाई सुनिश्चित करेगा। यह सब वर्ल्ड क्लास स्तर का होगा। फेयर भी प्राइवेट प्लेयर ही दी जा रही सुविधाओं के मुताबिक तय करेगी। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में फिलहाल एक साल का वक्त लगेगा। लेकिन रेलवे ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
दिल्ली-लखनऊ के बीच चल रही एक प्राइवेट ट्रेन
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से बतौर स्टेशन सुपरिंटेंडेंट रिटायर्ड आरके दत्ता बताते हैं कि दिल्ली-लखनऊ के बीच एक तेजस जिसे आईआरसीटीसी ऑपरेशन से लेकर बुकिंग आदि सभी सुविधाएं मुहैया करवा रहा है। इसमें लगभग 12 लाख रुपए की कमाई हो रही है।
अंबाला डिवीजन डीआरएम जीएम सिंह ने बताया कि अभी हमारे पास इस बारे में कोई प्रस्ताव नहीं आया है। लेकिन इतना जरूर है कि ऐसे प्रस्ताव पर रेलवे काम कर रहा है। रेलवे प्राइवेट प्लेयर से प्रति किलोमीटर के हिसाब से पटरी पर ट्रेन चलाने का पैसा लेगा। ऑपरेटर बुकिंग और पैसेंजर से पैसे चार्ज करेगा।
इंटरनेशनल स्तर की सुविधाएं मिलेंगी यात्रियों को
ट्रेन को प्राईवेट हाथों में सौंपने के बाद ट्रेन की सीटें लग्जरी होंगी। इसके अलावा हर सीट पर कंप्यूटर स्क्रीन, वाईफाइ, यात्रियों के मनोरंजन के लिए ऑडियो साउंड की सुविधा भी होगी, इसमें हेड फाेन लगाकर पैसेंजर इसका लुत्फ उठा सकेंगे। इसे अलावा ट्रेन की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। हर कोच में 130 वैक्यूम बायो टॉयलेट होंगे। ट्रेन का इंटीरियर इस तरह का होगा कि यात्रियों को बाहर के दृश्य देखने में दिक्कत न हो।