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सरकार का दावा: 5 साल में 4200 गांवों को दे रहे 24 घंटे बिजली; हकीकत: केवल 70 गांवों में ही 24 घंटे बिजली

February 06, 2020 11:01 AM

Star Khabre, Haryana; 06th February : प्रदेश के गांवों में 24 घंटे बिजली मिले इसके लिए सरकार ने वर्ष 2015 में म्हारा गांव जगमग गांव योजना शुरू की थी। जिसमें वायदा किया था कि जिस गांव में सभी मीटर घरों के बाहर निकल जाएंगे और लाइन लोस कम हो जाएगा तो वहां और 24 घंटे बिजली दी जाएगी। 

योजना को चलते हुए करीब 5 साल का समय बीत चूका है और सरकार दावा कर रही है कि उन्होंने प्रदेश के 4200 गांवों को जगमग कर दिया है और इनमें 24 घंटे बिजली दे रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग है। इनमें से केवल 70 गांव ही पूरी तरह जगमग हो पाए हैं शेष में घंटोंं कट लग रहे हैं जिससे ग्रामीण परेशान है।

जिनका कहना है कि झूठ बोलकर सरकार ने हमारे मीटर तो बाहर निकलवा दिए लेकिन 24 घंटे बिजली देने का अपना वायदा पूरा नहीं किया है। पहले की तरह अब भी घंटो कट लगते हैं और दिन में तो बिजली की परेशान सबसे ज्यादा रहती है। वहीं मामले में निकल कर आ रहा है कि विधायक और मंत्री भी नहीं चाहते कि सरकार की यह योजना सफल हो इसलिए नीचे-नीचे इसका विरोध कर रहे हैं।

कागजों में ही बढ़ा रहे जगमग गांव

सरकार की तरफ से जगमग घोषित किए गए 4200 गांवों में क्या स्थिति है यह जानने के लिए हमने 15 दिन लगातार ग्राउंड रिपोर्ट की। इस दौरान सामने आया कि स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है। जब इस योजना का डाटा संबंधित जिलों से लिया और उसी के अनुसार गांवों में जाकर देखा तो सामने आया कि अधिकारी कागजों में गांवों की संख्या बढाते जा रहे हैं लेकिन उनमें लाइन लोस कम हुआ या नहीं इस पर उनका ध्यान नहीं है।

दरअसल इस योजना में चरण अनुसार गांवों को शामिल किया जाता है। जब एक चरण के सभी गांवों से मीटर बाहर निकल जाएं, लाइन लोस कम हो जाए और बिजली 24 घंटे मिलने लगे तब अगला चरण शुरू करना है। लेकिन देखने में आया कि गांवों में कुछ ओपचारिकता पूरी करके ही उन्हें जगमग घोषित कर दिया जाता है। 

यह मिली स्थिति

70 गांवों में सभी नियम पुरे हैं और बिजली भी 24 घंटे मिल रही हैं।

550 गांव ऐसे जहां मीटर तो बाहर निकल गए लेकिन बिजली फिर भी अधिकतम 18 घंटे ही मिल रही है। 

400 गांवों में बिजली 15 घंटे से भी कम मिल रही है।

750 गांवों में दावा तो मीटर बाहर निकालने का किया गया है लेकिन 20% से ज्यादा मीटर अभी भी अंदर हैं।

1000 गांवों में मीटर बाहर निकलने के बावजूद लाइन लोस कम नहीं हो रहा है जिसका कारण यह है कि बिजली चोरी नहीं रुक रही है। 

ग्राउंड रिपोर्ट: लग रहे घंटों कट, सीएम के पैतृक गांव में भी 24 घंटे बिजली नहीं

पानीपत:  याेजना से बिजली निगम के पानीपत सर्कल में 8 फीडराें से जुड़े 20 गांवाें काे 26 जनवरी से 24 घंटे बिजली सप्लाई का दावा किया गया था। हकीकत में एक ही गांव साैंदपुर काे छाेड़कर बाकि बचे 19 गांवाें में 16 घंटे भी बिजली नहीं चलती। अधिकारी इसके पीछे गांवाें में लाइन लाेस काबू नहीं आने का बहाना बना रहे हैं। रजापुर में 500 तक कनेक्शन हैं। लाइन लाेस 40 प्रतिशत तक है। सरपंच अमरजीत सिंह ने बताया कि गांव में इस समय भी मात्र 16 तक ही बिजली मिल रही है। सिठाना में भी यही स्थिति है। 

करनाल: 399 गांवों जगमग योजना के तहत काम पूरा करने का दावा बिजली अधिकारियों ने किया। निसिंग खंड के गांव प्योंत में पिछले एक साल से जगमग योजना के तहत 24 घंटे बिजली सप्लाई का दावा महज कागज़ों तक ही सीमित है। मीटर बाहर निकलने के बाद भी चोरी के केस सामने आ रहे हैं। स्टाैंडी गांव में अधिकतम 18 घंटे बिजली सप्लाई हाेती है। कुंजपुरा क्षेत्र के गांव हंसूमाजरा में सभी मीटर बाहर निकलने के बावजूद में 12 घंटे ही बिजली मिल पा रही है।

सोनीपत: जिले के 140 गांव जगमग योजना में शामिल हैं लेकिन ज्यादातर गावों में 11 घंटे ही बिजली मिल रही है। खरखोदा का गांव सोहटी कागजों में जगमग है लेकिन अभी तक सभी मित्र बाहर नहीं निकले हैं। राई सब डिविजन में रसोई, प्रीतमपूरा, नाथूपुर, मनौली, पावसरा, टौकी, खुरमपुर, भैराबाकिपुर, अटेरना, जाखौली, औरंगाबाद व पतला गांव में जगमग योजना के तहत काम पूरा हो चुका है। लेकिन बिजली अधिकतम 18 घंटे ही है। रसोई गांव में तो केवल 11 घंटे बिजली मिल रही है। 

रेवाड़ी: सभी 313 गांवों को इस योजना में शामिल कर लिया था। लेकिन बिजली अभी भी 24 घंटे नहीं मिल रही है। बिठवाना, कमालपुर, नूरियावास गांवों के लोगों का कहना है कि शाम के समय ज्यादा बिजली में कटौती हो रही है। 

रोहतक: निडाना खास गांव के सरपंच प्रतिनिधि राजेश कटारिया ने बताया कि ग्रामीणाें द्वारा घरों के अंदर लगे मीटर बाहर न निकलवाने पर बिजली निगम ने गांव को 24 घंटे की सप्लाई देना बंद कर दी और अब औसतन 20 घंटे ही बिजली मिल पा रही है।

झज्जर: 21 गांव जगमग याेजना में हैं। इनमें से कई गांव तो ऐसे हैं जहां मुश्किल से 10 से 12 घंटे ही बिजली मिल रही है। 

हिसार: 27 गांवों को कागजाें में जगमग कर दिया मगर हकीकत में कोई गांव ऐसा नहीं है जहां 24 घंटे बिजली सप्लाई हाे रही है। खुद अधिकारी केवल 11 गांवों में 24 घंटे बिजली देने का दावा किया है। लेकिन गांवों में जाने पर पता चल कि उनमें भी 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है। 

चरखी दादरी: जिले के 6 गांवों को योजना में शामिल किया था लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हुआ है। 
पंचायतों के कारण 24 घंटे बिजली नहीं

इन गांवों की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि लोगों ने तो मीटर बाहर निकाल दिए हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही है। इसका एक बड़ा कारण वहां की पंचायतें और अधिकारी हैं। गांवों की गलियों में जो स्ट्रीट लाइटें लगी हुई हैं उनके लिए कोई मीटर नहीं लगे हैं

और वो चोरी की बिजली से चल रही हैं, जिससे लाइन लोस कम नहीं हो रहा है। यही सब गांवों में पानी के लिए लगे सबमर्सिबलों का भी है और ये भी चोरी की बिजली से चल रहे हैं। इनकी वजह से लाइन लोस कम नहीं हो रहा और इन्हें 24 घंटे बिजली नहीं मिल रही। 

जींद के किसी विधायक का गांव योजना में शामिल नहीं

सरकार के विधायक और मत्री ही इस योजना को सफल नहीं होने दे रहे हैं। पड़ताल में सामने आया है कि जिन भी विधायकों या मंत्रियों के पैतृक गांवों को शामिल किया गया तो वहां ग्रामीणों ने मीटर बाहर निकालने का विरोध किया। जिसके कारण उनके पैतृक गांव ही जगमग नहीं हो पाए हैं।

पानीपत में ग्रामीण विधायक महिपाल ढांडा का पैतृक गांव कवि जिसमें कई बार अधिकारी मीटर बाहर निकालने के लिए गए, लेकिन हर बार विरोध का सामना करना पड़ा। इसी तरह पूर्व परिवहन मंत्री के गांव मतलौडा में भी मीटर बाहर नहीं निकले हैं। विधायक घनश्याम दास अरोड़ा का गांव करेहडा, यह गांव अभी जगमग योजना में शामिल हो रखा है, लेकिन मीटर अभी तक बाहर नहीं निकले हैं।

पूर्व वित्तमंत्री कै. अभिमन्यु के गांव खांडाखेड़ी में मीटर बाहर लगाने गई टीम का ग्रामीणों ने विरोध किया। गांव खांडा खेड़ी में बिजली निगम का करोड़ों रुपए का बिल बकाया है। जींद के किसी विधायक का गांव योजना में शामिल नहीं है। सांसद धर्मबीर सिंह के पैतृक गांव में जगमग योजना के तहत केबल व घरों से बाहर बिजली मीटर लगाए जाने का कार्य चल रहा है। 

 
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