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चीनी उत्पादन में बड़े बदलाव की संभावना नहीं : इस्मा

February 12, 2020 11:25 AM

Star Khabre, Business; 12th February : भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने मंगलवार को कहा कि 2019-20 के लिए भारत के चीनी उत्पादन अनुमान में बड़े बदलाव की संभावना नहीं है। इस दौरान भी 2.6 करोड़ टन उत्पादन रहने का ही अनुमान है। इस्मा के अध्यक्ष विवेक पिट्टी ने कहा, अगर आप मुझसे पूछते हैं तो मुझे अनुमान में बड़े बदलाव की संभावना नहीं दिखती है। 

तीन साल के निचले स्तर पर रह सकता है उत्पादन

उन्होंने कहा कि 2018 में सूखे की वजह से देश में चीनी उत्पादन प्रभावित हुआ था, जिसने किसानों को गन्ना उत्पादन करने के लिए मजबूर किया। 2019 में बाढ़ ने फसल को नुकसान पहुंचाया। इस कारण 2019-20 में चीनी उत्पादन 21.6 फीसदी घटकर 2.6 करोड़ टन रह सकता है, जो तीन साल का सबसे निचला स्तर है। हालांकि, इस दौरान महाराष्ट्र में उत्पादन बढ़कर 65 लाख टन रह सकता है, जो 62 लाख टन उत्पादन के अनुमान से ज्यादा है। व्यापार मंडल का अनुमान है कि 2019-20 में 8 लाख टन से अधिक गन्ने को एथेनॉल में बदला जाएगा। यह पिछले सत्र के मुकाबले पांच लाख टन से ज्यादा है। वहीं, इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा का कहना है कि भारत में गन्ने का काफी स्टॉक है, जिससे एथेनॉल बन सकता है। क्षमता बढ़ने के साथ गन्ने को अधिक मात्रा में एथेनॉल में बदला जा सकता है। वर्तमान में यह क्षमता 3.5 अरब लीटर है, जबकि जरूरत 5.11 अरब लीटर की है। है।

निर्यात नीति में बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं

इस्मा का कहना है कि देश के चीनी निर्यात नीति में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। पिछले साल सरकार ने अपना स्टॉक घटाने के लिए 2019-20 के लिए 10,448 रुपये प्रति टन चीनी निर्यात सब्सिडी को मंजूरी दी। इस पर प्रमुख चीनी उत्पादक देशों ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया ने विश्व व्यापार संगठन में शिकायत दर्ज कराई थी। उनका मानना था कि भारत सरकार की सब्सिडी नीति से दुनियाभर में चीनी की कीमतों में भारी गिरावट आई है। वहीं, दुनिया की सबसे बड़ी बंदरगाह आधारित रिफाइनरी चलाने वाली दुबई की अल खलीज शुगर ने भी इस सब्सिडी पर आपत्ति जताई थी। 

 
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