Star Khabre, Sports; 18th February : मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड 2000-2020 (Laureus Sporting Moment Award 2000-2020) से सम्मानित किया गया है. अपने घर में वर्ल्ड कप-2011 जीतने के बाद सचिन तेंदुलकर को उनके साथियों ने कंधों पर उठा लिया था, जिसे पिछले 20 वर्षों में 'लॉरियस सर्वश्रेष्ठ खेल क्षण' माना गया. भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के समर्थन के साथ सचिन को विजेता बनने के लिए सबसे अधिक वोट मिले. अपना छठा और आखिरी वर्ल्ड कप खेल रहे सचिन तेंदुलकर का विश्व कप जीतने का सपना तब साकार हुआ था, जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने श्रीलंका के तेज गेंदबाज नुवान कुलसेकरा की गेंद पर छक्का जड़कर भारत को विजेता बनाया था.
धोनी ने 79 गेंदों में 91 रन (8 चौके, दो छक्के) तो बनाए ही, साथ ही 'बेस्ट फिनिशर' की परिभाषा पर खरे उतरते हुए विजयी सिक्सर मारकर सबके दिलों को जीत लिया था.
2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में टीम इंडिया के विजेता बनते ही सारे भारतीय खिलाड़ी मैदान में उतरे आए और सचिन तेंदुलकर को अपने कंधों पर उठा लिया. यह पल प्रशंसकों के लिए अविस्मरणीय है.
बर्लिन में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ ने सोमवार को शानदार समारोह के दौरान लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड-2000-2020 के विजेता की घोषणा की. टेनिस दिग्गज बोरिस बेकर ने तेंदुलकर को ट्रॉफी सौंपी.
वर्ल्ड कप-2011 को ऐसे याद किया सचिन ने
बोरिस बेकर ने सचिन सचिन तेंदुलकर से उस समय महसूस की गई भावनाओं को साझा करने के लिए कहा. सचिन ने कहा, मेरा सफर 1983 में शुरू हुई, जब मैं 10 साल का था. भारत ने विश्व कप जीता था. मुझे महत्व समझ में नहीं आया और सिर्फ इसलिए कि हर कोई जश्न मना रहा था, मैं भी पार्टी में शामिल हो गया.'
सचिन ने कहा, '...लेकिन कहीं न कहीं मुझे पता था कि देश के लिए कुछ खास हुआ है और मैं एक दिन इसका अनुभव करना चाहता था और यही से मेरा सफर शुरू हुआ.'
सचिन ने माना, 'यह मेरे जीवन का सबसे गौरवपूर्ण क्षण था, उस ट्रॉफी को पकड़े हुए, जिसका मैंने 22 वर्षों तक पीछा किया, लेकिन मैंने कभी उम्मीद नहीं खोई. मैं केवल अपने देशवासियों की ओर से उस ट्रॉफी को उठा रहा था.'
क्रिकेट की दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले 46 साल के तेंदुलकर ने कहा कि लॉरियस ट्रॉफी पर कब्जा करने से भी उन्हें काफी सम्मान मिला है.
सचिन ने महान दक्षिण अफ्रीकी नेता नेल्सन मंडेला के प्रभाव को भी साझा किया. तेंदुलकर उनसे तब मिले, जब वह सिर्फ 19 साल के थे. सचिन ने कहा, 'उनके कई संदेशों में से सबसे महत्वपूर्ण मुझे लगा- खेल को सभी को एकजुट करने की शक्ति प्राप्त
है.'