Star Khabre, Haryana; 11th March : हरियाणा सरकार ने पंचायती राज अधिनियम को और सख्त कर दिया है। ग्राम पंचायतों को वर्तमान की तुलना में दस गुना तक जुर्माना लगाने की पावर मिल गई है। विधानसभा की मंजूरी के बाद हरियाणा पंचायती राज संशोधन अधिनियम 2020 के लागू होने पर पंचायतें पहले से ज्यादा ताकतवर हो जाएंगी। गजट अधिसूचना के साथ ही संशोधित अधिनियम लागू हो जाएगा।
जिन मामलों में ग्राम पंचायतें 50 रुपये जुर्माना लगाती थीं, अब पांच सौ रुपये, पांच सौ, एक हजार व दो हजार की जगह पांच हजार रुपये और एक हजार की जगह दस हजार रुपये लगा सकेंगी। सरकार ने पंचायतों को यह अधिकार पंचायती राज अधिनियम 1994, की विभिन्न धाराओं में संशोधन कर दिया है।पंचायती राज संस्थाओं का पांच साल का कार्यकाल अब उनकी पहली बैठक के बजाए राज्य चुनाव आयोग के अधिसूचना जारी करने की तिथि से माना जाएगा। पंचायतें अब अपने प्रस्ताव न तो तीन महीने वाद रद कर सकेंगी, न वापस ले सकेंगी।
उन्हें अपने प्रस्तावों पर समयबद्घ तरीके से कार्रवाई करनी होगी। सरकार ने पंचायतों के निर्णयों में लोगों की सहभागिता और पारदर्शिता लाने का भी फैसला लिया है। अब पंचायतों को भूमि की बिक्री, पट्टे व तबादले के प्रस्ताव सरकार को मंजूरी के लिए भेजने से पहले ग्राम सभा में रखने होंगे। बेसहारा पशुओं, खुले में शौच, पराली जलाने व जल संरक्षण के लिए पंचायतें अपने स्तर पर कार्रवाई कर सकेंगी।
उनके आदेशों के विरुद्घ अपील की सुविधा अब जिला मुख्यालय पर समक्ष अधिकारी के समक्ष मौजूद रहेगी। अब तक राज्य सरकार के पास अपील करनी पड़ती थी।
दिवानी न्यायालय के आदेश के विरुद्ध अपील का प्रावधान
डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का कहना है कि पंचायती राज अधिनियम के कई प्रावधानों के उल्लंघन पर जुर्माना राशि को बढ़ाना जरूरी हो गया था ताकि कानून को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके। अधिनियम, 1994 की धरा 176 में चुनाव याचिका के मामले में दिवानी न्यायालय के पारित आदेश को अंतिम माना गया है। आदेश के विरुद्घ अपील का प्रावधान भी नहीं था। सरकार ने संशोधित अधिनियम में दिवानी न्यायालय के फैसले के विरुद्घ अपील का प्रावधान कर दिया है।
पंचायतों को ये कार्य भी करने होंगे
जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइट सुनिश्चित करना
स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण निवारण के प्रति जागरूक करना
कूड़े-करकट को हटाने में स्वैच्छिक सेवा देना
प्रौढ़ शिक्षा के कार्यक्रम चलाना
बीमारी की रोकथाम, महामारी व प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न स्थिति से निपटना
एकता को बढ़ावा देना, स्थानीय प्रतिभाओं को निखारना
सांस्कृतिक कार्यक्रमों, उत्सवों व खेलों का आयोजन करना