Star Khabre, Haryana; 17th March : राज्य में कांग्रेस की सरकार के दौरान छह साल पहले हाउसिंग बोर्ड की ओर से सेवारत और सेवानिवृत्त फौजियों को किफायती दर पर आशियाना का दिखाया गया सपना अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इस योजना को पांच साल से ज्यादा समय से सत्ता पर काबिज भाजपा की सरकार भी पूरा नहीं कर पाई। अब बोर्ड की ओर से पूर्व में फ्लैट के लिए निर्धारित किए गए स्थान को बदलने की तैयारी की जा रही है। फौजियों को पत्र भेजकर बदले गए स्थान पर फ्लैट लेने की सहमति या असहमति मांगी जा रही है।
यदि असहमति जताई तो जमा कराई गई राशि वापस की जाएगी। यानि अब बोर्ड उन्हें कहीं भी यानि उनकी नापसंद जगह पर भी फ्लैट दे सकता है। खास बात यह है भी है कि जमीन और फ्लैट की लागत बढ़ने पर फौजियों को पैसे ज्यादा भी देने पड़ सकते हैं। बोर्ड की ओर से झज्जर और फरीदाबाद में फ्लैट के रेट 2018 में बढ़ा चुका है। यहां पर 3.20 लाख से 4.30 लाख रुपए प्रति फ्लैट के रेट किए गए हैं। छह साल के इंतजार के बाद भी फौजियों को उनकी पसंद की जगह फ्लैट मिलना मुश्किल है। जबकि फौजी इस स्कीम में करीब एक हजार करोड़ रुपए पूर्व में ही जमा करा चुके हैं। लगातार दबाव के बाद अब बोर्ड स्थान बदलने के नोटिस फौजियों को भेज रहा है।
लेने और देने में ब्याज की दर अलग-अलग
हाउसिंग बोर्ड की ब्याज की नीति अलग-अलग है। यदि बोर्ड को किसी से पैसे लेने हैं और उसमें देरी होती है तो वह 18 फीसदी ब्याज लेता है। जबकि लोगों का जमा पैसा वापस करने होते हैं तो वह 5.2 फीसदी ब्याज के हिसाब से अदा करता है। इस स्कीम के मामले में भी अधिकारियों का कहना है कि बोर्ड की पॉलिसी में 5.2 फीसदी ब्याज देने का प्रावधान है।
यह है मामला
हाउसिंग - हाउसिंग बोर्ड ने 2014 में जेसीओ रैंक या समकक्ष सेवारत/सेवानिवृत्त फौजियों और पैरामिलिट्री जवानों व उनके परिवारों के लिए 11 जिलों में 19 स्थानों पर स्कीम लांच की थी।
13696 फ्लैट बनने थे। इनमें टाइप ए श्रेणी में 720 वर्ग फीट साइज के 6848 फ्लैट और टाइप बी श्रेणी में 600 स्क्वायर फीट के भी 6848 फ्लैट की स्कीम थी।
17 फरवरी 2014 से 28 मार्च 2014 के बीच इस स्कीम में हजारों की संख्या में आवेदन हुए।
31 दिसंबर 2014 को ड्रा निकाला गया। सफल आवेदकों ने फरवरी 2015 में कुल निर्धारित फ्लैट कीमत की 25 प्रतिशत राशि एडवांस किश्त के रूप में जमा की।
अनुमान के अनुसार फौजियों ने लगभग 600 करोड़ रुपए जमा कराए, जो पांच साल बाद एक हजार करोड़ रुपए के आस-पास हो चुके हैं।
ये फ्लैट पंचकूला में ही बने हैं। फरीदाबाद, गुड़गांव, रोहतक, पंचकूला, पिंजौर, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, झज्जर, सांपला और बवानी खेड़ा में भी बनने थे। ज्यादातर जगह अभी तक जमीन ही एक्वायर नहीं की गई है।
गुड़गांव में हुआ तीन बार जगह में बदलाव
गुड़गांव में इस फ्लैट स्कीम के तहत बीते पांच साल में तीन बार स्थान बदले जा चूके हैं। सबसे पहले स्कीम लांच करते समय सेक्टर- 40 दर्शाया गया। उसके बाद स्थान बदलकर सेक्टर-102 ए कर दिया। पांच वर्ष तक अलॉटियों को सेक्टर-102 ए में फ्लैट बनाने का आश्वासन दिया गया लेकिन अब सेक्टर-102 ए से स्थान बदलकर सेक्टर- 106 कर दिया।
मांग-18% ब्याज के साथ लौटाए राशि
ऑल हरियाणा वेलफेयर रेजिडेंट्स सेक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप वत्स ने कहा कि हाउसिंग बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा हजारों सैनिकों व अर्धसैनिक बल के जवानों को भुगतना पड़ रहा है। बोर्ड को बिना जगह एक्वायर किए इतनी बड़ी फ्लैट स्कीम लांच नहीं करनी चाहिए थी। ये हजारों सैनिकों व उनसे जुड़े परिवारों के साथ धोखा है। सरकार को चाहिए कि वह दखल देकर रिफंड की राशि 18 फीसदी ब्याज के साथ वापस दिलाए।
स्कीम पर काम किया जा रहा
हाउसिंग बोर्ड के मुख्य प्रशासक शालीन ने कहा कि फौजियों की स्कीम पर काम किया जा रहा है। अप्रैल तक टेंडर किए जाएंगे। इसके बाद 3 माह में फ्लैट का काम शुरू होगा। सरकार फौजियों के फ्लैट को लेकर गंभीर है।