Star Khabre, Haryana; 18th March : कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। हर क्षेत्र में इसका प्रभाव पड़ रहा है। चावल निर्यात पर भी इसका सीधा असर पड़ा है। चावल के भाव अंतरराष्ट्रीय मार्केट में दस फीसदी तक गिर गए हैं। कोई नया सौदा भी नहीं हो रहा है। घरेलू मार्केट में भी चावल में भारी मंदी का दौर है। हर साल भारत से 44 लाख टन का निर्यात होता है।
फरवरी के अंतिम सप्ताह तक चावल की अच्छी डिमांड थी। लेकिन मार्च में इसकी डिमांड घट गई है। देश के चावल निर्यातकों को इसका सीधा नुकसान हो रहा है। मंडियों में आ रहे धान के रेट भी कम हो गए हैं। हरियाणा, पंजाब और दिल्ली से यूरोप और अरब के देशों में चावल निर्यात होता है। सबसे ज्यादा चावल ईरान में जाता है। ईरान में 1121 चावल की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। लेकिन वहां पर सबकुछ बंद होने से चावल का निर्यात घट गया है।
जो चावल पोर्ट पर पहुंच गया है, उसे उतारने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। एक माह पहले 1121 चावल का रेट 56 रुपए प्रति किलोग्राम था। लेकिन अब घटकर 46 रुपए रह गया है। बासमती चावल के रेट भी पांच से छह रुपए कम हो गए है। बासमती 1401 के रेट 20 दिन पहले 52 रुपए प्रति किलोग्राम थे, लेकिन अब घटकर 46 से 47 रुपए प्रति किलोग्राम रह गए है। अरब के लोग 1121 को ज्यादा पसंद करते हैं और यूरोप में बासमती चावल का ज्यादा निर्यात होता है।
कोरियर सेवा और बैंक बंद होने से ज्यादा परेशानी
ईरान, इटली सहित कोरोना वायरस प्रभावित देशों में हजारों टन चावल पोर्ट पर पड़ा है। माल जाने के बाद कोरियर से उसके कागजात भेजने होते हैं, लेकिन कोरिया सेवा बंद होने से कागजात नहीं जा रहे हैं, इस कारण भी ज्यादा परेशानी हो रही है। विदेशों में बैंक बंद होने से पैसे का लेन देने नहीं हो रहा है। इस कारण भी वहां के व्यापारी चावल नहीं उठा पा रहे हैं।
15 दिनों से नहीं हो रहे हैं नए सौदे
पिछले 15 दिनों से चावल के नए सौदे भी नहीं हो रहे हैं। नए सौदे न होने के कारण चावल मंदा हो रहा है। घरेलू मार्केट में भी चावल की डिमांड कम है। इस कारण पीआर चावल के रेट भी डाऊन आ गए हैं।
कोरोना वायरस का प्रभाव कम होने के बाद ही निर्यात में प्रभाव पड़ेगा
आल इंडिया चावल एक्सपोटर्स एसोशिएशन के प्रधान नाथी राम गुप्ता ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण पिछले 15 दिनों से चावल का निर्यात सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। डिमांड घटने से चावल से रेट आठ से दस फीसदी कम हो गए हैं। कोरोना वायरस का प्रभाव कम होने के बाद ही नए सौदे हो पाएंगे।