Star Khabre, Business; 27th May : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एमडी दिनेश कुमार खारा ने कहा है कि कोविड-19 से चौपट हो रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार और रिजर्व बैंक पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। इनकी यह कोशिश है की अर्थव्यवस्था को पटरी पर जल्द से जल्द वापस लाया जाए। रेपो रेट में लाई गई कमी इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। क्योंकि यह रेट आर्थिक गतिविधियों की दशा और दिशा तय करती है।
सरकार के कदम से बैंकों को राहत मिलेगी
खारा ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि एमसीएलआर की दरें भी आर्थिक गतिविधियों की दशा और दिशा निश्चित करने में मदद करती हैं। उन्होंने बताया कि रेपो रेट में कमी का जहां तक प्रश्न है उससे बैंकिंग सिस्टम को अपनी दिशा निर्धारित करने में मदद मिलती है। एक सवाल के जवाब में कि बैंक SMEs को क्रेडिट फ्लो कैसे प्रदान करेगा? उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा उठाए गए कदम से बैंकों को क्रेडिट गारंटी ऑफर करने में काफी मदद मिलेगी। इससे न सिर्फ उनकी बल्कि लोन लेने वालों की भी मुश्किलें काफी हद तक आसान हो जाएंगी।
एसएमई को लंबी अवधि के लिए सुविधा उपलब्ध कराना उद्देश्य है
खारा ने कहा कि हां पर यह भी सच है कि बैंकों और लोन लेने वालों के बीच में जो भी जोखिम है उसका अच्छी तरह से समायोजन हो। उन्होंने कहा कि एसएमई को लंबी अवधि के लिए सुविधा उपलब्ध कराना सरकार का मुख्य उद्देश्य है। एक अन्य सवाल के जवाब पर उन्होंने यह भी कहा की चूंकि लॉक डाउन अभी खुलने वाला है और अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे शुरू होने वाली है, इसलिए उन्हें उम्मीद है की MSMEs के लिए काफी क्रेडिट उपलब्ध होगा। इससे बैंक उनकी मांग पूरी करने की पोजीशन में है।
मोराटोरियम एक खास परिस्थिति में लाया गया है
लोन पर मोराटोरियम कुछ हद तक ठीक है, परंतु इससे लोन लेने के कल्चर पर क्या प्रभाव पड़ेगा और कहीं से डिफॉल्ट करने की प्रवृत्ति तो नहीं बढ़ जाएगी? इस पर खारा ने बताया कि मोराटोरियम एक खास परिस्थिति में लाया गया है। कइयों की आमदनी कम हो गई है और कैश फ्लो ठहर सा गया है। ऐसे में लोगों के लिए यह मोराटोरियम थोड़ी राहत प्रदान करने के लिए दिया गया है। परंतु Funded Interest Term Loan (FITL) की सुविधा का विस्तार कर दिया गया है। जिसके जरिए रुकी हुई ईएमआई का भुगतान 31 मार्च 2021 तक हो जाना चाहिए। तब तक पेमेंट कल्चर जस का तस बना रहेगा।
दूरदराज के गांवों पर लॉकडाउन का ज्यादा असर नहीं होगा
जब उनसे दूर दराज में बसे एमएफआई और एमएसएमई को लोन देने और उनसे रिकवरी के जोखिम पर सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि यही तो ग्रामीण भारत है। जहां तक फसलों का सवाल है तो यह काफी अच्छा रहा है और दूरदराज के गांव पर लॉक डाउन का उतना ज्यादा असर नहीं पड़ा है। मुझे नहीं लगता कि इसका कोई ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ेगा। इसलिए सिस्टम में जो भी ब्लॉकेज होंगे वो अपने आप दूर हो जाएंगे।
एमएफआई और एमएसएमई से रिकवरी में मुश्किल नहीं होगी
मुझे पूरा भरोसा है कि सब कुछ पहले जैसा नॉर्मल हो जाएगा और एमएफआई औऱ एमएसएमई से रिकवरी में कोई मुश्किल नहीं आएगी। आरबीआई भी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के प्रयास में जुटा है। उन्होंने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि अर्थव्यवस्था में रिकवरी के लिए सभी एजेंसियां पूरी तरह से तत्पर हैं।
अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने पर हो रहा है काम
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रिजर्व बैंक और भारत सरकार दोनों ने इस दिशा में मिलजुल कर कदम उठाए हैं और हमारा अगला कदम इसी दिशा में आगे बढ़ते रहना है। अतः व्यवहारिक रूप से भी मुझे यही लगता है की हाल फिलहाल सभी लोग सभी सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियां यही चाहती हैं कि हम विकास के पथ पर फिर से कैसे अग्रसर हों। अर्थव्यवस्था को पहली जैसी स्थिति मे फिर से कैसे लाया जाए, इसी पर काम हो रहा है।