Shikha Raghav, Faridabad; 19th October : नगर निगम और एनआईटी में इन दिनों लीज की दुकानों का मुद्दा गर्माया हुआ है। नगर निगम द्वारा दुकानदारों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं जिसमें उन्हें सात दिन का समय दिया गया है जिसे लेकर दुकानदार परेशान है। वहीं दूसरी ओर नगर निगम का इस तरह अचानक नींद से जागना, नोटिस जारी करना और सात दिन का समय देना और फिर सात दिन बीतने के पश्चात कोई कार्रवाई न करना कुछ ओर ही कहानी की ओर इशारा कर रहा है। बाजार में चल रही बातों पर यकीन करें तो यह नगर निगम के एक बड़े अधिकारी का खेल है जिसमें वह नोटिस दिखा महात्मा गांधी को फिर से जिंदा कर अपने वारे-न्यारे करने में लगे हुए हैं। सूत्रों की माने तो ऐसे ही नोटिस पहले भी जारी किए गए थे लेकिन तब भी महात्मा गांधी (नगदी) चलने के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
क्या है मामला
नगर निगम द्वारा वर्ष 1964 से 1976 में एनआईटी मार्केट नंबर-1 में कुल 193 दुकानों को लीज पर दिया गया लेकिन लीज पर दुकानों को लेने वाले दुकानदारों ने लीज के नियमों को अनदेखा कर वहां अवैध निर्माण कर लिया। इसे लेकर अब एनआईटी-1 मार्केट में नगर निगम ने हाल ही में दुकानदारों को कारण बताओं नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में साफ तौर पर कहा गया है कि दुकान में जो अवैध निर्माण किया गया है उसे सात दिन के अंदर स्वयं तोड़ दिया जाए या फिर सात दिन बाद नगर निगम लीज को रिवोक कर लेगा। इस पूरे मामले में दुकानदारों इन दिनों काफी परेशान हैं।
क्या कहता है नियम
नगर निगम के नियमानुसार जिस भी किसी जमीन को लीज़ पर दिया जाता है, उसे प्रशासन द्वारा पास किए गए प्लान के अनुसार ही बनाया जा सकता है। इसके अलावा उस जमीन या दुकान को लीज पर लेने वाला व्यक्ति न तो आगे किराए पर दे सकता है और न ही उस जमीन/दुकान को बेच सकता है।
क्या हुआ उल्लंघन
दुकानदारों ने लीज पर ली गई दुकानों में कई तरह से निमयों का उल्लंघन किया हुआ है। ज्यादातर दुकानों ने तो बरामदे को कवर कर लिया है जबकि कई दुकानों को बरामदे को कवर करने के साथ-साथ फर्स्ट और सैकेंड फ्लोर पर निर्माण कर लिया गया है। इतना ही नहीं कई दुकानदारों ने आस-पास की दुकान को भी लेकर उसकी बीच की दीवार तोड़ दुकान बड़ी कर ली, जोकि नियम की अवेहलना है।
1999 में भी हुए थे ऐसे नोटिस जारी
आज से करीब 21 वर्ष पूर्व वर्ष 1999 में भी नगर निगम द्वारा ऐसे ही नोटिस जारी किए गए थे। नगर निगम द्वारा दुकानदारों को कारण बताओं नोटिस भेजा गया था और पूछा था कि नियमों की अवेहलना करने पर क्यों न दुकानों को रिवोक कर लिया जाए। नोटिस जारी होने के बाद भी नगर निगम ने तब भी कोई कार्रवाई नहीं थी। सूत्रों का कहना है कि उस समय भी महात्मा गांधी (नगदी) के दबाव के चलते कार्रवाई रोक दी गई और अब 21 वर्ष बाद नगर निगम एक बार फिर नींद से जागा है और उसने दुकानदारों को नोटिस जारी किए हैं।
आखिर क्यों चुप हैं निगरानी समिति के अध्यक्ष
बड़खल विधानसभा निगरानी समिति के अध्यक्ष आनंदकांत भाटिया इस पूरे मुद्दे पर अपनी चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि आपको बता दें कि वर्ष 2014 में जब कांगे्रस सरकार थी, तब आनंदकांत भाटिया ने इस मामले में आरटीआई लगा पूरी जानकारी हासिल की थी, उसके बाद 25 जुलाई 2014 को उन्होंने नगर निगम कमिश्नर सहित आलाधिकारियों को इसकी शिकायत भी की थी लेकिन आज वह इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। मजेदार बात तो यह है कि आनंदकांत भाटिया जोकि अब बड़खल विधानसभा निगरानी समिति के अध्यक्ष हैं, जो कांगे्रस के समय इन दुकानों पर नियमों की अवेहलना करने पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे, वहीं अब वह अपनी पार्टी यानि भाजपा की सरकार आते ही खामोश हो गए।
इस बारे में जब आनंदकांत भाटिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में उन्होंने आरटीआई लगाई थी और तभी उन्होंने शिकायत भी कर दी थी लेकिन निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि कार्रवाई करना अधिकारियों का काम है। मैंने शिकायत की, उस पर कोई कार्रवाई हुई या नहीं, यह अधिकारी बताएंगे। उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा जो दुकानदारों को अब नोटिस जारी किए गए हैं, यदि यह मेरी उस शिकायत पर हुआ है तो क्या कार्रवाई होती यह देखने वाली बात होगी या फिर नोटिस देकर ही निगम शांत हो जाएगा।