Shikha Raghav(Star Khabre), Faridabad; 01st December : सैनिक कॉलोनी पर पिछले कई दिनों से निगम की तलवार लटकी हुई है। दरअसल यह तलवार पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चल रहे सैनिक कॉलोनी मामले को लेकर है लटकी हुई है। वहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि कॉलोनी को बर्बाद करने में सबसे ज्यादा हाथ यहां के प्रधान राकेश धुन्ना का है। पहले तो इन्होंने सबसे मोटी रकम ले ली और बाद में जब कॉलोनी से वसूलने के नाम पर कुछ नहीं बचा तो अब तोड़ने के नाम पर डरा धमका रहे हैं। आज सैनिक कॉलोनी में भारी तोड़फोड़ की आशंका है। जिस पर कॉलोनी वासियों में धुन्ना को लेकर काफी रोष व्याप्त है।
निगम के दोहरे मापदंड
स्थानीय निवासी का कहना है कि नगर निगम राकेश धुन्ना के साथ मिलकर काफी समय से यहां गड़बड़ी करता रहा है। उन्होंने बताया कि खुद राकेश धुन्ना का मकान जिसका नंबर 705 है वह मानको पर सही नहीं है। उन्होंने बताया कि राकेश धुन्ना ने 14 मार्च 2003 में नक्शा पास कराने का के लिए आवेदन किया था और ठीक 10 दिन बाद ही यानी 25 मार्च 2003 को डीपीसी सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया जो कि अपने आप में संदेश व्यक्त करता है। यही नहीं उन्होंने इसका कंप्लीशन सर्टिफिकेट जिसकी मियाद 2 वर्ष थी, मैं ना कराकर लगभग 12 साल बाद यानी 2015 में इसका कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त किया। हालांकि निगम में यह नियम है कि यदि अवैध निर्माण कोई हुआ है तो उसे कंपाउंड किया जा सकता है, लेकिन निगम ने ऐसा नहीं किया धुन्ना के मकान के साथ- साथ 52 अन्य मकानों को भी कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया गया था, लेकिन उन 52 मकानों के कंप्लीशन सर्टिफिकेट निगम द्वारा रिजेक्ट कर दिए गए तो फिर केवल इस एक मकान यानी 705 नंबर जो की धुन्ना का है उसमें ऐसा क्या है जिसका कंप्लीशन सर्टिफिकेट रिजेक्ट नहीं किया गया। इस तरीके की कार्रवाई अपने आप में निगम पर संदेह व्यक्त करती है कि कहीं ना कहीं निगम की मिलीभगत है। क्योंकि निगम ने अपनी साख बचाने के लिए 52 मकानों पर तलवार लटका दी। केवल और केवल यह मकान छोड़ दिया गया। इसके अलावा सैनिक कॉलोनी की अन्य डायरेक्टर जर्मन, अनीता दहिया और महावीर सिंह यदि इनके मकानों का सर्वे किया जाए तो इनमे भी कहीं ना कहीं कोई न कोई गड़बड़ी जरूर है लेकिन इन्हें सर्वे के दायरे से बाहर रखा गया। साफ तौर पर कहा जाए तो नगर निगम की pick and choose की पॉलिसी अपना रहा है। जिनसे मोटी रिश्वत मिल चुकी है उन्हें इस सर्वे से दूर रखा गया है। यदि धुन्ना और अन्य डायरेक्टरों के मकानों का सर्वे किया जाए तो उसमें कहीं न कहीं कोई न कोई गड़बड़ी जरुर पाई जाएगी ऐसा लोगों का कहना है।
सूत्रों की माने तो अभी हाल ही में जो सर्वे हुआ है नगर निगम अधिकारी केवल अपनी साख बचाने के लिए अधिकारियों को न केवल गलत रिपोर्टिंग कर रहे है बल्कि पूर्व में अपने द्वारा किए गए गलत कामों को छुपाने के लिए आम जनता को ही गलत बता रहे हैं, क्योंकि सवाल यह उठता है जिन 52 मकानों को कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिया गया उस समय क्या वह मकान सहि थे अगर सही थे तो कंप्लीशन सर्टिफिकेट क्यों कैंसिल किये गए और अगर सही नहीं थे तो कंप्लीशन सर्टिफिकेट क्यों दिया गया। क्योंकि कंप्लीशन सर्टिफिकेट कैंसिल करने के बाद से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सूत्रों की माने तो JE की SDO के आपसी झगड़े का का खामियाजा सैनिक कॉलोनी वासी भुगत रहे हैं। 52 कंप्लीशन सर्टिफिकेट कैंसिल करने के बाद इन्हें कोर्ट द्वारा चालान भरवाया गया उसके बाद से अब तक कोई भी कार्रवाई निगम द्वारा नहीं की गई जो कि अपने आप में एक संदेह व्यक्त करता है। हमने कल भी अपने पाठकों को बताया था कि निगम किस तरीके से अपने द्वारा किए गए गैर कानूनी कार्य को छुपाने के लिए अधिकारियों के सामने झूठा सर्वे पेश कर रहे हैं। अब देखना यह है क्या यह आशियाने उजड़ते हैं या फिर नगर निगम उजाड़ने की बजाए बसाने के बारे में विचार करेगा।
क्योंकि इसमें 3 मुद्दे अहम है, पहला पार्क की जमीन को बेच खाना, दूसरा खुद एसडीओपी मोर का मकान सर्वे में आना, तीसरा केवल एक मकान का कंप्लीशन सर्टिफिकेट कैंसिल ना करना जो कि वहां के प्रधान धुन्ना का है।