Star Khabre, Delhi; 24th December : "बहुत जुलूम हो रहा है हमरे जन नेता के साथ. बरसों बरस से. हम लालू जी को छोड़ कर नहीं जाएंगे. पूस के ठंड में ऊ जेल में रहेंगे और हमलोग घर में सोएं, यह नहीं सहा जाएगा."
रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारावास के पास रात तक जमे आरजेडी के कार्यकर्ताओं का दर्द कुछ यूं झलकता रहा. चेहरे पर उदासी और आंखे नम.
और यह पहली दफा नहीं है, इससे पहले भी लालू प्रसाद चारा घोटाले में जब भी जेल गए बिहार के दूरदारज इलाके से उनके कार्यकर्ता- समर्थक अपने नेता की एक झलक पाने और हाल जानने रांची पहुंचते रहे हैं. कोई सत्तू की रोटी लेकर, तो कोई चना का साग लेकर भी आता है.
भागलपुर के पीरपैंती से संजय यादव भी रांची पहुंचे हैं. उनका दावा है कि तीन हज़ार लोग तो रांची में हैं और हजारों लोग बिहार से अपने नेता का हाल जानने चल चुके हैं.
सहरसा से आए रामकिशुन यादव कहते हैं, "लालू जी कौनो पहली दफा साजिश में फंसाये जा रहे हैं. भाजपा वाला जितना परेशान करेगा, लालू जी उतना मजबूत होकर उभरेंगे. इसके साथ ही कई समर्थक एक साथ बोल पड़ते हैं. देखिए कैसे तेजस्वी के समर्थन में नारे लगे रहे हैं."
अलबत्ता कोर्ट परिसर में पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह भी लालू को दोषी करार दिए जाने के बाद अपने भदेस अंदाज में जोर- जोर से बोलते रहे, "जगन्नाथ को बेल, लालू को जेल, देखो सरकार का खेल."
दोषी ठहराए जाने के बाद इस तेवर में बोले लालू
इसके साथ ही कार्यकर्ताओं के हुजूम से नारे सुनाई देते हैं, "लालू तू मत घबराना तेरे पीछे सारा जमाना. आधी रोटी खाएंगे, तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाएंगे."
लालू को दोषी करार दिए जाने के बाद जब उन्हें जेल भेजे जाने के लिए गाड़ी पर बैठाया गया, तो कई महिला समर्थक यह कहते हुए कलपने लगी, "दइया रे दइया सब लूट गेलो रे भइया."
इधर, झारखंड में भी आरजेडी के नेता-कार्यकर्ता लालू की मुश्किलों में एक पैर पर खड़े रहने की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटना चाहते.
झारखंड प्रदेश राजद की अध्यक्ष पूर्व मंत्री अन्नपूर्णा देवी कहती हैं कि इसे लालू जी की सानी कहिए कि हर एक कार्यकर्ता- नेता उनके पीछे खड़ा होता है. वे लोग तमाम किस्म की मुश्किलों का सामना करती रही हैं और आगे भी करेंगी.
शायद यही वजह हो सकती है कि तमाम राजनीतिक अटकलों-कयास के बाद भी आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने बीबीसी से बात करते हुए इस फैसले से पार्टी पर असर से साफ इनकार किया है.
हालांकि इन नेताओं के दावों और भरोसे के इतर लालू प्रसाद इस दफा ज्यादा चिंता में दिख रहे थे. उनके चेहरे पर यह भाव भी छलकता रहा कि बार-बार उन्हें सज़ा के साथ जेल का सामना करना पड़ रहा है.
बॉडी लैंग्वेज इसके भी संकेत दे रहे थे कि अब उम्र का तकाजा भी उनके सामने है. लिहाजा वे कोर्ट में पेशी के दौरान अक्सर खामोश ही दिखाई पड़े.
चार साल पहले 2013 में तीन अक्तूबर को चारा घोटाले के एक मामले आरसी 20ए 96 में भी रांची स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह की अदालत ने लालू को पांच साल की सजा सुनाई थी.
चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़े इस मामले में लालू प्रसाद के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र को भी चार साल की सजा सुनाई गई थी, जबकि कुल 44 लोग दोषी ठहराए गए थे.
उस फैसले के बाद लालू यादव संसद की सदस्यता गंवा बैठे और चुनाव लड़ने से भी अयोग्य हो गए.
लेकिन उस वक्त झारखंड में लालू प्रसाद की पार्टी जेएमएम की सरकार में शामिल थी. और जेएमएम के हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने में लालू की अहम भागीदारी थी. अब लगभग चार साल दो महीने के बाद चारा घोटाले के एक मामले में फिर से जेल गए हैं, लेकिन अभी झारखंड में बीजेपी की सरकार है.
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के एक अधिकारी का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री होने के नाते लालू प्रसाद क्लास वन के कैदी माने जाएंगे. मैनुअल के अनुसार उनके लिए शौचालाय युक्त अलग कमरा मुहैया कराया गया है. कमरे में टीवी, टेबल- कुर्सी भी होगा तथा उन्हें पढ़ने के लिए किताबें और अखबार भी उपलब्ध कराई जाएगी.
अधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के मुताबिक इन परिस्थितियों में लालू प्रसाद के लिए अलग से खाना पकाया जा सके, इसके लिए सजायाफ्ता कैदी भी उपलब्ध कराए जाएंगे. गाइडलाइन यह भी कहता है कि उनसे मिलने आने वाले मुलाकातियों को श्रीमान कहकर पुकारा जाएगा.
इस बीच रांची में लालू प्रसाद के पैरवीकार अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बीबीसी को बताया, "उनकी तरफ से ध्यान दिलाए जाने के बाद अदालत ने जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि लालू प्रसाद जो दवाइयां खाते हैं वो सरकारी खर्चे पर उन्हें उपलब्ध कराई जाए. क्योंकि उनके हार्ट का वॉल्व बदला गया है. और वे नियमित तौर पर कई दवाइंया खाते रहे हैं. अधिवक्ता के अनुसार कोर्ट ने लालू को जेड श्रणी की सुरक्षा मिले होने की वजह से जेल के बाहर अंदर बाहर सुरक्षी पर विशेष ध्यान देने को कहा है."
गौरतलब यह कि साल 2013 में भी चारा घोटाले के फैसले को लेकर तेजस्वी यादव अपने पिता के साथ रांची आए थे. तब वे विधायक नहीं थे, लेकिन मुश्किलों से निकलने को लेकर पिता के साथ मंत्रणा करते रहे थे.
इस बार भी 22 दिसंबर की शाम तेजस्वी यादव पिता के साथ रांची पहुंचे थे. अब तेजस्वी बिहार में नेता प्रतिपक्ष हैं और चार सालों के दौरान उन्होंने राजनीतिक पिच पर बैटिंग करना शुरू कर दिया है. इधर शनिवार की शाम लालू को जेल तक छोड़ने वे भी साथ थे. उस वक्त दोनों पिता- पुत्र काफी भावुक दिख रहे थे.