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सिविल सर्जनों की सुस्ती से दवाओं का पैसा लौट रहा सरकारी खजाने में, भटक रहे मरीज

March 21, 2018 06:41 PM

Star Khabre, Chandigarh; 21st March : सरकारी अस्पतालों में दवाओंं का स्टाक नहीं होने से मरीजों को जहां मेडिकल शॉप से दवा खरीदनी पड़ रही है, वहीं सिविल सर्जनों की लापरवाही से बड़ी रकम सरकारी खजाने में लौट रही है। जिलों से हर साल करीब सोलह करोड़ रुपये वापस हो रहे हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर खरीद के इंतजामों पर सवाल उठने लगे हैं। हरियाणा के मरीजों को अस्पतालों में मुफ्त इलाज के लिए प्रदेश सरकार हरियाणा मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड (एचएमएससीएल) से दवा की खरीद करती है। निदेशालय स्तर पर खरीद की मंजूरी के बाद सभी जिलों को जरूरत के अनुसार दवा का स्टॉक आवंटित किया जाता है। स्टॉक खत्म होने की स्थिति में जिला स्तर पर दवा खरीदने के लिए अलग से फंड दिया जाता है, जिसे खर्च करने की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नेतृत्व में गठित स्थानीय स्तर की कमेटी की है। पिछले तीन साल में दवा खरीद के लिए सभी जिलों में कुल 87.60 करोड़ रुपये भेजे गए, लेकिन सामान खरीदा गया 40.89 करोड़ का। इस तरह कुल 46.71 करोड़ रुपये का लाभ रोगियों को नहीं मिल सका, जबकि उन्हें बाजार से अपनी जेब से पैसा खर्च कर दवा की खरीद करनी पड़ी।

मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना में मिले 75 करोड़, खरीद सिर्फ 33 करोड़ की

वर्ष 2014 से 2017 तक सभी जिलों में मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना के तहत 75 करोड़ रुपये भेजे गए, लेकिन इसमें से सिर्फ 33.03 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। 2014-15 में 28 करोड़ रुपये में से 8.76 और 2015-16 में 29 करोड़ में से 11.03 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। हालांकि 2016-17 में स्थिति थोड़ी सुधरी और स्वीकृत 18 करोड़ में से 13.24 करोड़ की दवाइयां स्थानीय स्तर पर खरीदी गईं।

कम खर्च पर एनएचएम ने हाथ खींचे

तीन वर्षों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत केंद्र की ओर से सभी जिलों को कुल 12.60 करोड़ रुपये दिए, लेकिन केवल 7.86 करोड़ रुपये का ही सामान खरीदा गया। वर्ष 2014-15 में 10.88 करोड़ में से 5.42 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। इसके चलते अगले साल 55 लाख रुपये ही सरकार ने जिलों में पहुंचाए। मजबूरन स्थानीय कमेटियों ने पहले से खाते में पड़ी बकाया राशि का इस्तेमाल कर 1.51 करोड़ रुपये की दवाएं खरीदी। वर्ष 2016-17 में 1.17 करोड़ रुपये जिलों में पहुंचाए गए जिसमें से 93 लाख रुपये का इस्तेमाल हुआ।

जीईएम पोर्टल से खरीदें दवाइयां : विज

आपातकाल में स्थानीय स्तर पर दवाइयों और अन्य जरूरी सामान की खरीद के लिए सभी जिलों में अलग से फंड दिया जाता है। सभी स्थानों पर लोकल परचेजिंग कमेटियां बनाई गई हैं। अगर कहीं भी किसी जरूरी दवाइयों की किल्लत होती है तो स्थानीय स्तर पर इसकी खरीद कर ली जानी चाहिए। सभी सिविल सर्जनों को निर्देश दिया है कि केंद्र सरकार के पोर्टल जीईएम पर मिलने वाले सामान की ऑनलाइन खरीद करें।

 
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