Star Khabre, Chandigarh; 21st March : डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को सजा सुनाए जाने के बाद हुई हिंसा के लिए डेरा समर्थकों ने हरियाणा और पंजाब सरकारों को कठघरे में खड़ा किया है। डेरा समर्थकों ने कहा है कि पिछले साल 25 अगस्त के बाद हुई हिंसा को सरकार आसानी से रोक सकती थी। लेकिन, अपनी कमियों को छिपाने के लिए सरकार ने निहत्थे डेरा समर्थकों पर गोलियां चलवाई। इसमें करीब 200 लोग मारे गए और सरकार अब पुलिस फायरिंग में मारे गए लोगो के डेथ सर्टिफिकेट भी जारी नहीं कर रही है।
हाईकोर्ट में याचिका दायर, हरियाणा व पंजाब सरकारों को कठघरे में खड़ा किया
हाईकोर्ट में मोगा निवासी हरदीप सिंह इंसा और सात अन्यों द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया कि डेरा सच्चा सौदा के परिसरों में मौजूद पुलिसकर्मी डेरा समर्थकों को पूजा अर्चना करने से रोक रहे है। याचिका के अनुसार, हरियाणा सरकार को 25 अगस्त से पहले ही यह मालूम था कि डेरा प्रमुख को सजा सुनाए जाने की सूरत में हिंसा भड़क सकती है।
याचिका में कहा गया है कि इसके बावजूद पंचकूला में धारा 144 लागू होने के बावजूद सरकारी एजेंसियों ने पंचकूला अदालत के बाहर डेरा समर्थकों की भीड़ जमा होने दी। अदालत का फैसला आने के बाद कुछ शरारती तत्वों द्वारा शुरू की गई हिंसा के लिए पुलिस ने ऐसे मासूम डेरा समर्थकों पर गोलियां बरसा दी जो सिर्फ अपनी आस्था के कारण पंचकूला पहुंचे थे।
याचिका में हरियाणा सरकार पर नागरिकों के जीवन के अधिकार को खतरे के डालने के आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार ने पहले लापरवाही बरती और फिर अपनी नाकामी छिपाने के लिए मासूम डेरा समर्थकों के खिलाफ सैकड़ों एफआईआर दर्ज करवा दी। 25 अगस्त के बाद दायर किए गए सभी मामलों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग करते हुए याचिओं ने कहा है कि डेरा परिसरों में डेरा समर्थकों को पूजा करने दी जाए और मीडिया में डेरा के खिलाफ किए जाने वाले दुष्प्रचार पर रोक लगाई जाए।