Star Khabre, Faridabad; 15th April : आबकारी विभाग में शराब ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से हुए 4.35 करोड़ रुपये के घपले में मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने शुक्रवार रात दो ठेकेदारों (नीरज सचदेवा, वीरेंद्र ¨सह) और उनके एक कर्मचारी (गिरीश कुमार) को गिरफ्तार किया है। सभी आरोपितों को ड्यूटी मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश कर दो दिन की रिमांड पर लिया गया है। रिमांड के दौरान सबूत जुटाने के लिए पुलिस उन्हें गुरुग्राम, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी व राजस्थान लेकर जाएगी। इस मामले में सीएम फ्लाइंग ने इन दो ठेकेदारों के अलावा आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर विशंभर दयाल, विजय, राधेश्याम व प्रवीण पुंजानी और एईटीओ अनिल बेनीवाल व राकेश शर्मा के खिलाफ 11 अप्रैल को भारतीय दंड संहिता की धोखाधड़ी, अमानत में खयानत व भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।
वहीं अदालत में आरोपियों के वकील शेखर गुप्ता ने कहा कि सरकार का जिना नुकसान हुआ था। वह ब्याज समेत सरकारी खजाने में जमा करवाया जा चुका है। उनके मुवक्किलों का कोई दोष नहीं है। जबकि सीएम फ्लाइंग के जांच अधिकारी ने अदालत में कहा कि यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का मामला है।
वर्ष 2017-18 वित्तीय वर्ष में आबकारी विभाग ने शराब ठेकेदार मैसर्स विरेंद्र कुमार और मैसर्स नीरज सचदेवा को एल-1 और एल-13 के 37 परमिट जारी किए थे। इनमें से एक परमिट वर्ष 2017 में और बाकी 36 परमिट इस वर्ष फरवरी माह में जारी किए गए थे। परमिट जारी करने का नियम यह है कि परमिट लेने वाला ठेकेदार बैंक चालान की कॉपी निकालकर परमिट का शुल्क बैंक के माध्यम से जमा करेगा। धनराशि जमा करने के बाद ट्रेजरी विभाग से ट्रेजरी रसीद मिलती है। इस ट्रेजरी रसीद को अपलोड किया जाता है। उसके बाद विभाग परमिट जारी कर देता है। सीएम फ्लाइंग की जांच में पाया गया है कि 37 परमिट में से एक, दो तीन, पांच, 21 और 22 नंबर परमिट ऐसे हैं, जिनमें बैंक ट्रेजरी रसीद पर अंकित नंबर परमिट के जीआर नंबर से मेल नहीं खा रहा है। इसके अलावा 34 और 37 नंबर ऐसे परमिट हैं, जिनमें ट्रेजरी रसीद अपलोड किए बिना ही परमिट जारी कर दिए गए । आबकारी विभाग के अधिकारियों ने शराब ठेकेदारों के साथ मिलकर सरकारी खजाने को 4 करोड़ 35 लाख 97 हजार 650 रुपये का नुकसान किया था।