Star Khabre, Faridabad; 20th April : संजय कपूर सहित दो अन्य पत्रकारों की कल अग्रिम जमानत याचिका न्यायालय ने खारिज कर दी है। जिससे संजय कपूर व अन्य लोगों की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है।
क्या है मामला
सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति द्वारा भाजपा नेत्री व एक विधायक के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। जिस पर कई ऑडियो भी वायरल हुए। उक्त मामले को संजय कपूर सहित दो अन्य पत्रकारों ने लेख लिख सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जिससे राजनीति में मामला गरमा गया। क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर विधायक और भाजपा नेत्री से जुड़ा था। भाजपा नेत्री ने इस मामले को झूठा करार देते हुए तुरंत इस पर कारवाई करने का मन बनाया और सीधे आलाकमान पर गुहार लगा दी। जिसका परिणाम यह रहा कि दिनांक 16 अप्रैल को सूरजकुंड थाने में संजय कपूर व 4 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। मामला 499, 354D आईटी एक्ट 67 के तहत दर्ज किया गया। आलाकमान किसी भी कीमत पर अपनी पार्टी की किरकिरी नहीं होने देना चाहता है। जिसके चलते यह पहली बार हुआ है कि शिकायत होने के लगभग 4 घंटे बाद ही तीन पत्रकारों पर एक साथ मामला दर्ज हो जाए। इस FIR के विरुद्ध संजय कपूर सहित पत्रकारों ने 18 तारीख को न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका लगाई जिसमें न्यायालय ने 1 दिन का अरेस्ट स्टे दे दिया। लेकिन कल अग्रिम जमानत जमानत पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कंचन माही की अदालत ने गुरुवार को तीन पत्रकारों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्ष की शिकायत पर संजय कपूर व 2 पत्रकार सहित 5 लोगो के खिलाफ सूरज कुंड थाने में आईपीसी की धारा 354 डी, 499 व आई टी एक्ट की धारा 67 के तहत 16 मार्च को 2018 को मुकदमा दर्ज किया था। आरोपियों की ओर से वकील दीपक गेरा ने यह याचिका दायर की थी जबकि सरकारी वकील जगमिंदर सिंह और महिला मोर्चा की अध्यक्ष के वकील एल.एन.पाराशर ने इसका विरोध किया था।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने पांच पेज के फैसले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कंचन माही की अदालत ने आरोपियों की ओर से गिरफ्तारी से बचने के लिए दाखिल की गई अग्रिम जमानत की याचिका को रद्द कर दिया।जिससे इनकी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
इसी बीच पत्रकारों ने एक बैठक का आयोजन किया जिसमें यह निर्णय लिया गया की पत्रकार संगठन मिलकर मुख्यमंत्री से इस मामले की गुहार लगाएंगे और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे। लेकिन सूत्रों की माने तो संजय कपूर व दो पत्रकारों द्वारा लिखे गए इस लेख पर वरिष्ठ पत्रकारों ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने यह कहा है कि इस प्रकार के लेख नहीं लिखे जाने चाहिए। लेकिन फिर भी इस मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री से सीधे हरियाणा भवन में मुलाकात की जाएगी।
वही शिकायतकर्ता के पति ने साफ तौर पर कहा है कि जिस वक्त कि घटना का यह पत्रकार वर्णन कर रहे हैं इस वक्त अपनी पत्नी के साथ मैं वहां पर मौजूद था। जिस पर इन्होंने कोई जानकारी नहीं हासिल करी और सीधे सीधे किसी महिला के ऊपर आरोप लगा दिए। यह केवल आरोप नहीं है बल्कि उसके चरित्र का हनन भी है। जिसके चलते हमें इस तरीके की कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि मेरे दो बच्चे हैं जिनको भी समाज का सामना करना है। इस तरीके के लेख ना केवल एक महिला की छवि को खराब करते हैं बल्कि सीधे उसके चरित्र पर आघात है। जिस कारण हमने इसकी गुहार सीधे पार्टी आलाकमान को लगाई उन्होंने यह भी बताया कि उक्त मामले में जल्द से जल्द संजय कपूर सहित अन्य पत्रकारों की गिरफ्तारी की मांग करेंगे। पार्टी आलाकमान से बात कर गिरफ्तारी को लेकर दोबारा पुलिस अधिकारियों से मिला जाएगा।
इस सारे हालात को देखकर यही लगता है कि संजय कपूर व अन्य पत्रकारों की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। इस बारे में एक वरिष्ठ पत्रकार से बात की गई तो उन्होंने साफ तौर पर पत्रकारिता का हवाला देते हुए कहा कि पत्रकारिता का प्रथम नियम है “कि जो व्यक्ति जिस क्षेत्र से प्रसिद्ध हो हम उसके क्षेत्र पर व्याख्यान कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर मुंशी प्रेमचंद जी महान लेखक लेकिन वह बीड़ी भी पिया करते थे। परंतु उनकी प्रसिद्धि बीड़ी पीने की वजह से नहीं थी बल्कि एक अच्छे लेखक के तौर पर थी, तो उनकी प्रसिद्धि कम थी या ज्यादा थी वह केवल उनकी लेखनी की वजह से थी, ना की बीड़ी पीने की वजह से। इसी प्रकार जिस महिला और जिस नेता का की ओर इशारा किया गया है वह राजनीति की वजह से मशहूर है ना की व्यक्तिगत तौर पर कहां आते हैं कहां जाते हैं” इसीलिए इस तरीके के लेख नहीं लिखे जाने चाहिए। ऐसा एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है।
खैर जो भी हो इस सारे मामले में समूची हरियाणा की राजनीति सम्मिलित हो चुकी है अब देखना ये है की संजय कपूर व अन्य को रहत मिलती है, या पुलिस गिरफ्तार करती है?