Star Khabre, Haryana; 05th May : हरियाणा में रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (हरेरा) बनने के बावजूद बिल्डरों का बाल भी बांका नहीं हो रहा है। सरकार में बिल्डर पूरी तरह से हावी हैं तथा सरकार का करीब 23 हजार करोड़ रुपया दबाए बैठे हैं। ऐसे बिल्डरों की संख्या 300 के आसपास है, जिन्होंने बाहरी एवं आंतरिक शुल्क के रूप में सरकारी बकाया का भुगतान करना है।
पिछली हुड्डा सरकार में बिल्डरों पर बाहरी एवं आंतरिक शुल्क के करीब 20 हजार करोड़ रुपये बकाया थे। तब भाजपा नेता इस मुद्दे पर सरकार को घेरते रहते थे, लेकिन अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में भाजपा सरकार बिल्डरों की गर्दन मजबूती के साथ नहीं पकड़ पाई है। ऐसा भी नहीं है कि सरकार ने कुछ भी राशि वसूल नहीं की। हरियाणा विधानसभा में बिल्डरों पर बकाया राशि का मुद्दा उठा तो सरकार ने पूरे आंकड़े टेबल पर रख दिए थे। तब पहली बार सामने आया कि बाहरी शुल्क के 18 हजार 428 करोड़ तथा आंतरिक शुल्क के 3239 करोड़ रुपये वसूले जा चुके हैं। यह बहुत बड़ी राशि है जो सरकारी खजाने में पहुंची है, लेकिन इससे भी बड़ी राशि अभी बिल्डरों पर बकाया है, जिसके आने से हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के सेक्टरों में विकास की गति बढ़ सकती है।
राज्य के बिल्डरों पर बाहरी विकास शुल्क के 14 हजार 778 करोड़ रुपये तथा आंतरिक विकास शुल्क के 823 करोड़ रुपये बकाया चल रहे हैं। नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग ने पिछले दिनों 182 बिल्डरों को नोटिस भी दिए थे, जिनके बाद यह रकम आनी शुरू हुई तथा 13 लाइसेंस निरस्त किए गए, मगर अब फिर नोटिस देने तथा बिल्डरों द्वारा जमा कराई जाने वाली राशि की गति धीमी पड़ गई है। इसकी एक वजह यह मानी जा रही है कि राज्य सरकार को करीब सवा दो लाख मकान बनाकर गरीब लोगों को देने हैं। उनके लाइसेंस के लिए बहुत अधिक बिल्डर सामने नहीं आ रहे हैं। यदि उन पर अधिक सख्ती की गई तो मकान बनाने का प्रोजेक्ट धीमा पड़ सकता है। इसलिए सरकार का जोर धीरे-धीरे राशि निकलवाने पर अधिक है। राज्य में सबसे अधिक बिल्डर गुरुग्राम व फरीदाबाद के हैं, जो सरकार के बकायेदार हैं। इसके अलावा पंचकूला, सोनीपत, करनाल, पानीपत और रोहतक में भी कई बड़े बिल्डर इस सूची में शामिल हैं। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को एन्हांसमेंट के करीब 16 हजार करोड़ रुपये देने हैं। प्राधिकरण की माली हालत बेहद खस्ता है। धन जुटाने की मंशा से प्राधिकरण की ओर से एन्हांसमेंट की राशि जुटाने के लिए हजारों नोटिस आम लोगों (प्रापर्टी धारकों) को भेजे गए, लेकिन जब पूरे राज्य में इसका विरोध हुआ तो सरकार ने एन्हांसमेंट के नोटिसों के रिमाइंडर पर रोक लगा दी है। इन नोटिसों के रिमाइंडर रुक जाने के बाद अब धन की आवक की आस सिर्फ बिल्डरों पर ही टिकी हुई है।
विधानसभा में मुद्दा उठाने पर जागी सरकार
इनेलो विधायक दल के उप नेता जसविंद्र सिंह संधू का कहना है कि हरियाणा में प्राइवेट बिल्डर हावी हैं। उन्हें सरकार का पूरा समर्थन हासिल है। लोगों को सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। हुडा सेक्टरों में सड़कों की हालत खराब है। बिजली व पानी नहीं मिलता। मैंने विधानसभा में बिल्डरों पर बकाया प्रभारों का मुद्दा उठाया था। तभी सरकार जागी है। सरकार को यह वसूली करने के बाद उसे जनहित के कामों पर खर्च करनी चाहिए।
हमने तो बिल्डरों व सरकार का रैकेट तोड़ा
सीएम मीडिया सलाहकार राजीव जैन का कहना है कि बिल्डरों से बकाया वसूली के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। कई हजार करोड़ रुपये आ भी गए हैं, जिन्हें विकास पर खर्च किया जा रहा है। हमारी सरकार के कार्यकाल में करीब 22 हजार करोड़ रुपये आए हैं, जबकि पिछली सरकार में तो बिल्डरों व मंत्रियों में सांठगांठ चलती थी। आम पब्लिक पर किसी तरह का बोझ हम नहीं डाल रहे। एन्हांसमेंट के नोटिसों के रिमाइंडर भी रोक दिए गए हैं। लोगों के हित में पालिसी बना रहे हैं। बिल्डरों से बकाया वसूली में भी तेजी लाई जाएगी।