देवेन्द्र भड़ाना द्वारा समय पर जवाब ना दाखिल करने पर लगाया 50 हजार का जुर्माना
Star Khabre, Faridabad; 19th August : सूरजकुण्ड अरावली हिल में अवैध फार्म हाऊस निर्माण पर एनजीटी में पर्यावरण केयर सोसाइटी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी के मुख्य न्यायाधीश माननीय श्री स्वतंत्र कुमार की बेंच ने फरीदाबाद नगर निगम को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि दो हफ्तो के भीतर जवाब दाखिल करें अन्यथा जुर्माना भरने के लिए तैयार रहें।
गौरतलब है कि गत माह 11 जुलाई को सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष के एमसीएफ सहित मुख्य सचिव हरियाणा सरकार,उपायुक्त फरीदाबाद,पुलिस आयुक्त फरीदाबाद,आयुक्त फरीदाबाद नगर निगम,पुरातत्व विभाग,ग्रांऊड वाटर अर्थोरिटी तथा खान मंत्रालय तथा मुख्य आरोपी नीलकंठ(नीलेश) प्रापर्टी एण्ड डेवेलेपर के मालिक देवेन्द्र पुत्र सरूपा गांव लकड़पुर,फरीदाबाद को दो सप्ताह का समय दिया था जवाब दाखिल करने के लिए,लेकिन समय पर केवल ग्रांऊड वाटर अर्थोरिटी तथा पुलिस आयुक्त फरीदाबाद ने जवाब दाखिल किया। ग्रांऊड वाटर अर्थोरिटी ने अपने जवाब में कहा कि वर्ष 2002 में भी नोटिफिकेशन जारी कर इस क्षेत्र में बोर वेल व टयूबवैल लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था और अब पर्यावरण केयर सोसाईटी से शिकायत मिलने पर उपायुक्त फरीदाबाद को सभी फार्म हाऊसों में लगे बोर वेल व टयूबवैल की जांच कर कार्यवाही के आदेश दे दिए है तथा पुलिस आयुक्त फरीदाबाद ने अपने जवाब में कहा है कि केवल 2015-2016 में देवेन्द्र पुत्र सरूपा गांव लकड़पुर के खिलाफ कुल 6 मुकदमा वन विभाग की शिकायत पर किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश की बैंच ने देवेन्द्र भड़ाना द्वारा समय पर जवाब न दाखिल करने के कारण 50 हजार का जुर्माना लगाया जिसपर देवेन्द्र भड़ाना के अधिवक्ता ने बैंच को बताया कि जमीनों के कुछ दस्तावेज निकालने के कारण जवाब में विलंब हुआ है कृपया जुर्माना की राशि माफ किया जाए तथा दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल कर देगें। इस बाबत पर्यावरण केयर सोसाईटी की अध्यक्ष सीमा शर्मा ने बताया कि भू माफिया बिल्डरों और प्रशासन की मिलीभगत के कारण ही इतनी बड़ी तादाद में जंगल की कटाई तथा अवैध कब्जा कर फार्म हाऊस तथा व्यवसायिक गतिविधियों में इस्तेमाल कर रहे है। इस भूमाफिया बिल्डरों को कई राजनीतिज्ञों का भी सरक्षंण प्राप्त है। उन्होंने बताया कि सूरजकुण्ड रोड़ पर बने विवाह स्थलों में बजने वाले कानफोडू डीजे तथा आतिशबाजी से इस वन में रह रहे जंगली जानवर व पक्षी मसलन नील गाय, हिरण, गीदड़, खरगोश, तीतर, मोर, हंस आदि पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।