Star khabre, Chandigarh; 25th September : चंडीगढ़ जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरुणवीर वशिष्ठ की अदालत ने हत्या के दोषी गुरुदत्त मिश्रा (37) को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अदालत ने मुख्य रूप से परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर भरोसा किया है, क्योंकि मुख्य गवाह ने अपनी गवाही से मुकरने का प्रयास किया था।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रत्यक्षदर्शी गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है, लेकिन वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य साक्ष्य कभी झूठ नहीं बोलते। मामले में दोषी को उम्रकैद के साथ 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया।
वैज्ञानिक साक्ष्यों को उचित महत्व देना सीखें अदालतें
अदालत ने विस्तार से दिए गए फैसले में कहा कि आज के वैज्ञानिक युग में साक्ष्य की प्रामाणिकता पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है। विज्ञान और परिस्थितिजन्य साक्ष्य किसी भी गवाह की तुलना में ज्यादा विश्वसनीय साबित हो सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि अब समय आ गया है कि अदालतें भी वैज्ञानिक साक्ष्यों को उचित महत्व देना सीखें, क्योंकि ये साक्ष्य बाहरी प्रभावों और कमजोरियों से मुक्त होते हैं।
मामूली कहासुनी पर चाकू से किया था हमला
यह मामला 13 दिसंबर, 2022 की रात का है, जब पुलिस को सूचना मिली कि पोल्ट्री फॉर्म चौक के पास दो युवकों के बीच कहासुनी के बाद चाकू से हमला हुआ है। घायल रितेश ने बताया कि वह अपने दोस्त के साथ ऑटो में सवार होकर हल्लोमाजरा लौट रहा था, तभी मोटरसाइकिल सवार युवकों के साथ विवाद हो गया।
आरोपियों ने उनका पीछा किया और पोल्ट्री फॉर्म चौक पर रोककर उन पर हमला कर दिया। चाकू से हुए इस हमले में रितेश गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे तुरंत सैक्टर-32 अस्पताल ले जाया गया, जहां 22 दिसंबर, 2022 को उसकी मृत्यु हो गई।
पुलिस जांच में पाया गया कि घटना के पीछे मामूली कहासुनी थी, जिसने हिंसक रूप ले लिया और नतीजतन रितेश की जान चली गई। पुलिस ने मामले में आरोपी को गिरफ्तार कर चार्जशीट दाखिल की, जिसके आधार पर अदालत ने यह सख्त फैसला सुनाया।
News Source : DainikBhaskar