Star Khabre, Chandigarh; 24th June : वीर जवानों को न सिर्फ सरहद पर देश की जमीन के लिए लड़ना पड़ रहा है, बल्कि अपने निजी प्लॉट के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। पंचकूला के सेक्टर-दो के मकान नंबर 359 में रह रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल जसबीर सिंह ने 1999 में देश के लिए कारगिल की लड़ाई लड़ी। दुश्मनों को सबक सिखाने वाले जसबीर ने 1994 में भी पुलवामा में आतंकवादियों से लड़ते हुए पैर पर गोली खाई थी।
लेकिन हर मोर्चे पर दुश्मन से लोहा लेने वाले जसबीर ने देश के अंदर भी अपने अधिकार के लिए 19 साल लंबी लड़ाई लड़ी। जसबीर ने बताया कि जितनी मानसिक और शारीरिक परेशानी यहां हुई, इतनी तो कारगिल में लड़ते हुए भी नहीं हुई जसबीर सिंह ने शालीमार एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के चंडीगढ़ सेक्टर-8 स्थित ऑफिस से दिसबंर, 2001 में छह मरले का एक प्लॉट खरीदा था। यह प्लॉट पंचकूला-साहा-दिल्ली रोड पर कंपनी के चल रहे एक प्रोजेक्ट पर दिया जाना था। कंपनी ने इसकी कीमत 1,21,500 रुपये बताई। जसबीर सिंह ने 10 प्रतिशत पैसे जमा करवाकर बाकी किस्तें करवा ली। जिस पर कंपनी ने 15 प्रतिशत सालाना ब्याज लिया। इस तरह 2008 तक कंपनी को कुल 1,32,132 रुपये जमा करवा दिए गए। लेकिन इसके बाद प्लॉट नाम करवाने को कंपनी आनाकानी करने लगी। परेशान होकर जसबीर सिंह ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। जसबीर सिंह ने बताया कि वे अपने परिवार के साथ पंचकूला में किराये के मकान में रह रहे हैं और 27 हजार रुपये महीना किराया दे रहे हैं। कंपनी की शर्त थी कि अगर वह कोई किस्त नहीं दे पाते तो उनके ऊपर 15 की जगह 18 प्रतिशत ब्याज लिया जाएगा। अब जब कंपनी ने उन्हें प्लॉट का अधिकार नहीं दिया तो उन्हें भी जमा करवाए गए पैसों पर 18 फीसदी ब्याज मिलना चाहिए। दूसरा कंपनी की तरफ से मुआवजा राशि और केस खर्च भी मिलना चाहिए। इसके साथ ही कंपनी ने कहा था कि वह प्लॉट में डेवलपमेंट करवा कर देंगे, जबकि वहां कोई डेवलपमेंट नहीं की गई। वहां पर अभी जंगल है।
25 हजार रुपये मुआवजा और 10 हजार खर्चा देने के आदेश
जसबीर सिंह की शिकायत पर जब फोरम ने उक्त कंपनी को नोटिस जारी किया तो वहां से कोई पेश नहीं हुआ। जिसके बाद फोरम ने कंपनी को एक्स पार्टी घोषित कर दोषी पाते हुए प्लॉट का अधिकार जसबीर सिंह को देने का आदेश दिया। मानसिक परेशानी के लिए 25 हजार रुपये मुआवजा और 10 हजार रुपये केस खर्च देना होगा।