नक्शा सही था तो आखिर क्यों हुए निगम के दो अधिकारी निलंबित
गुडगांव मंडल कमिश्रर डी सुरेश ने आखिर कैसे और क्यों किया नक्शे को बहाल
फरीदाबाद नगर निगम अधिकारी अपने उच्चधिकारियों के सामने बेबस, नहीं मिल रहे आदेश, कैसे करें कार्रवाई
Shikha Raghav, Faridabad; 29th March : इंडियन हार्डवेयर मामला 15 महीनों बाद एक बार फिर सुर्खियों में है। शहर के भूमाफिया पूरे जिले सहित बडख़ल विधानसभा में तांडव कर रहे हैं। ठीक 15 महीने पहले 18 दिसंबर 2014 को नगर निगम उच्चाधिकारियों ने इंडियन हार्डवेयर मामले में दो अधिकारियों को अवैध निर्माण के मामले में निलंबित किया था लेकिन अब पिछले पांच दिन से इसी इंडियन हार्डवेयर कंपनी की जमीन पर निर्माण कार्य एक बार फिर शुरू हो गया है। दरअसल गुडगांव मंडल आयुक्त डी सुरेश ने इंडियन हार्डवेयर कंपनी के मामले में हस्तक्षेप करते हुए उक्त नक्शे को बहाल कर दिया है। जबकि पहले इसी नक्शे के पास होने पर सवाल खड़े हुए थे और नगर निगम ने ही इन्हें गलत करार दे दिया था।
क्या है मामला
इंडियन हाडवेयर कंपनी को पुर्नवास विभाग ने कर्मचारियों की रिहायश के लिए 4586 वर्गगज जमीन लीज पर अलॉट की गई लेकिन कंपनी बंद होने पर कंपनी ने इस जमीन पर अपना कब्जा कर लिया। इतना ही नहीं कंपनी मालिक ने हुड्डा सरकार में अपनी पहुंच रखते हुए इस जमीन को पुर्नवास विभाग से कंपनी के नाम भी स्थानांतरित करवा लिया। यहां तक तो सब ठीक था लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि नगर निगम अधिकारियों ने सांठगांठ कर एक ऐसे व्यक्ति के नाम इस जमीन की सब डिविजन कर दी जोकि असल में इस जमीन का मालिकाना हक रखता ही नहीं है। जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो नगर निगम ने यहां होने वाले निर्मार्णो को अवैध बताते हुए वर्ष 2014 में इस काम को रूकवा दिया और कार्रवाई करते हुए अवैध निर्माण के आरोप में अपने दो अधिकारियों एसडीओ पदम भूषण और भवन निरीक्षक सुमेर सिंह को निलंबित भी कर दिया। जबकि इस जमीन का सब डिविजन, नक्शे पास और पुर्नवास विभाग के कहने पर भूमि का समावेश नगर निगम ने ही किया था।
दरअसल इस मामले में घोटाला होने की जांच प्रकिया भवन निरीक्षक सुमेर सिंह के निलंबन से प्रारंभ होती है। सुमेर सिंह के निलंबन के बाद नगर निगम ने कंपनी के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया। इस नोटिस के तहत नगर निगम ने अजय गुप्ता से पूछा कि जब कंपनी ने उक्त जमीन कुछ लोगों के नाम पहले से बेच रखी है तो कंपनी की मलकियत तो उसी समय समाप्त हो गई। तो फिर ऐसे में इस जमीन के लिए पुर्नवास विभाग द्वारा नगर निगम में समावेश करवाने और इस जमीन के लिए सब डिविजन करवाने का अधिकार उनके पास था ही नहीं तो उन्होंने आवेदन क्यों किया।
क्या है गोलमाल
अब इस मामले में गोलमाल यह है कि नगर निगम योजना शाखा के अधिकारी जिन्होंने जमीन का समावेश और सब डिविजन किया था तथा नक्शे पास किए थे, उन अधिकारियों की इस मामले में संलिप्तता उजागर होती है और सीधे तौर पर उन्हें दोषी करार दिया जा सकता है क्योंकि जब कोई व्यक्ति किसी जमीन का मालिकाना हक ही नहीं रखता तो उसका आवेदन क्यों स्वीकार किया गया। शहर में सीएलयू, समावेश और नक्शे के हजारों केसों को डील करने वाले ये अधिकारी बेहतर ढंग से जानते हैं कि ऐसे किसी आवेदन के लिए नगर निगम अधिनियम 1994 के तहत सबसे पहले कार्य यही होता है कि नगर निगम के तहसीलदार से जमीन की मिल्कियत की पुष्टि करवाई जाए। इस अति संवदेनशील बिंदु की अनदेखी किए जाने से मामले में घोटाले की बू आनी स्वाभाविक है और इसमें लाखों रुपए की रिश्वत लिए जाने की आंशका है।
गुडगांव मंडल कमिश्रर ने आखिर कैसे और क्यों किया नक्शे को बहाल
गुडगांव मंडल कमिश्रर डी सुरेश ने हाल ही में इंडियन हार्डवेयर कंपनी की जमीन के नक्शे को बहाल कर दिया है। जबकि फरीदाबाद के पूर्व नगर निगम कमिश्रर अशोक शर्मा के कार्यकाल के दौरान इसी नक्शे को निगम ने गलत करार दिया था। फिर अब इस मामले में ऐसा क्या हुआ कि इस नक्शे को बहाल कर दिया गया। जबकि इस मामले में सब डिविजन का काम ही नियमों को ताक पर रखकर किया गया है।
नक्शा सही था तो आखिर क्यों हुए निगम के दो अधिकारी निलंबित
गुडगांव मंडल कमिश्रर डी सुरेश ने इंडियन हार्डवेयर कंपनी के नक्शों को बहाल कर दिया है। इन आदेशों के आधार पर ही भूमाफियाओं ने मौके पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। अब सवाल यह उठता है कि यदि यह नक्शे सही थे तो फिर नगर निगम ने अपने दो अधिकारियों पर गाज क्यों गिराई। क्यों उन अधिकारियों (एसडीओ पदम भूषण और जेई सुमेर सिंह) को सस्पेंड किया गया। इतना ही नहीं भविष्य के लिए भी उनकी सर्विस बुक पर सस्पेंड का दाग लगा दिया गया। अब यहां भी संदेह पैदा होता है कि क्या उच्चाधिकारियों ने किसी के दबाव में आकर उन दो अधिकारियों को सस्पेंड किया था या फिर अब मोटे पैसों का लेनदेन कर नक्शों को बहाल किया गया है।
फरीदाबद नगर निगम अधिकारी उच्चधिकारियों के सामने बेबस, नहीं मिल रहे आदेश, कैसे करें कार्रवाई
अब यदि बात नगर निगम तोडफ़ोड़ विभाग के एसडीओ ओपी मोर की बात करें तो वह अपने ही उच्चाधिकारियों के सामने बेबस से नजर आ रहे हैं। एसडीओ यह तो स्वीकार कर रहे हैं कि इंडियन हार्डवेयर कंपनी की जमीन पर जो निर्माण कार्य शुरू हुआ है, वह अवैध रूप से चल रहा है लेकिन वह उस पर कार्रवाई नहीं कर सकते क्योंकि वह अपने निगम कमिश्रर आदित्य दहिया को इस बारे में कई बार लिखित में देकर कार्रवाई करने के आदेश मांग चुके हैं लेकिन निगम कमिश्रर घोर निंद्रा में है। निगम कमिश्रर एसडीओ को कोई आदेश नहीं दे रहे। “यह तो वहीं बात हो गई कि रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था”
“मैंने इस मामले में 18 फरवरी 2015 को आरटीआई डाली थी जिसमें इंडियन हार्डवेयर कंपनी के संदर्भ में कई सवाल पूछे थे। आरटीआई के जबाव से कई खुलासे हुए। इस मामले में जमीन का समावेश, सबडिविजन और नक्शे पास किए वह सभी नियमों को ताक पर रखकर किए गए। इन सबसे नगर निगम अधिकारियों की कार्यशैली और उनकी ईमानदारी पर प्रश्रचिंह लगता है। जाहिर है कि इस मामले में करोड़ो रुपए का लेन देन हुआ है”
आनंदकांत भाटिया, अध्यक्ष, भाजपा निगरानी कमेटी, बडख़ल विधानसभा क्षेत्र
“गुडगांव मंडल आयुक्त ने इंडियन हार्डवेयर कंपनी के नक्शे को बहाल कर दिया है। मैंने गुडगांव मंडल आयुक्त के आदेशों के खिलाफ अपील दायर कर दी है। अभी वहां से उसका कोई रिप्लाई नहीं आया है। इसके साथ ही मंैने निगमायुक्त को तीन बार लिखकर भी दे दिया है कि जमीन पर गलत तरीके से निर्माण कार्य किया जा रहा है लेकिन मुझे उनकी ओर से भी कोई कार्रवाई का आदेश नहीं मिला है”
ओपी मोर, एसडीओ, तोडफ़ोड विभाग, नगर निगम
“इस मामले में कार्रवाई की जा रही है। गुडगांव मंडल आयुक्त डी सुरेश के आदेशों के खिलाफ इस मामले में अपील दायर कर दी गई है”
आशिमा सांगवान, संयुक्त-आयुक्त एनआईटी, नगर निगम
“इस मामले में सब डिविजन सही हुआ है या नहीं। यह मेरे अंतर्गत नहीं आता और न ही मैं इस मामले में मीडिया को कोई बाइट दे सकता हूं। आप चीफ टाउन प्लानर से बात करें”
सतीश पाराशर, सीनियर टाउन प्लानर, नगर निगम
“मैं अभी ड्राइव कर रहा हूं। अभी बात नहीं कर सकता। आधे घंटे में कॉल करें”
वीके गोयल, चीफ टाउन प्लानर, नगर निगम
(सोमवार को प्रश्र सुनने के बाद उन्होंने यह जबाव दिया। इसके बाद जब उनके बताए समय पर कॉल किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। मंगलवार को भी उनसे सपंर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया)
“इस मामले में जांच चल रही है। विभागीय कार्रवाई की जा रही है। मैं गलत काम के सख्त खिलाफ हूं। जांच में गलत आया तो कार्रवाई जरूर होगी”
सीमा त्रिखा, मुख्य संसदीय सचिव, हरियाणा एवं विधायक, बडख़ल विधानसभा क्षेत्र