Shikha Raghav, Faridabad; 16th December : हरियाणा के उद्योग मंत्री व फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक विपुल गोयल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वह सोशल मीडिया पर आधार कार्ड और वोटर कार्ड को लेकर चर्चा का विषय बने हुए हैं। सोशल मीडिया पर ताबडतोड़ हरियाणा के उद्योग मंत्री व फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक विपुल गोयल पर आरोप लग रहे हैं कि क्या कालेधन को सफेद करने के लिए विपुल गोयल के कार्यालय पर कोई बड़ा खेल तो नहीं खेला जा रहा है। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई जिसमें उन्होंने विपुल गोयल पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि क्या जनता के आधार कार्ड और वोटर कार्ड का इस्तेमाल कालेधन को सफेद करने में तो नहीं किया गया।
कौन सी पोस्ट से एक बार फिर चर्चा में आए स्टंट मैन विपुल गोयल
सोशल मीडिया पर कल यानि वीरवार को फेसबुक, व्हाट्सएप पर एक पोस्ट वायरल हुई जिसमें सेक्टर-16 के एक निवासी ने पूरी घटना का जिक्र किया है और साथ ही विपुल गोयल पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं।
“आज सुबह एक लडक़ा हमारे घर आया और मुझे मेरी धर्मपत्नी का वोटर कार्ड और मेरी माँ का आधार कार्ड सौंपा। लडक़े ने कहा छतरपाल ने भिजवाए हैं। मैंने पूछा कौन छतरपाल तो लडक़े ने बताया कि वो भाई साहब पार्षद का चुनाव लड़ेंगे। कार्ड पर एक स्टिकर चिपका था जिसपर छतरपाल का नाम और मोबाइल नंबर लिखा था। लडक़े के पास एक बड़ा गट्ठर था।
मैंने अंदर आकार माँ और पत्नी से पूछा तो दोनों ने बताया कि उनके ये दस्तावेज तो उनके पास रखे हैं। उन्होंने वो दस्तावेज़ ला कर मुझे दिखाये। मेरा माथा ठनका । मैं तुरंत घर के बाहर भागा। मैंने सर्किट हाउस के पास उस लडक़े को पकड़ लिया मैंने पूछा तुम्हारा नाम क्या है और तुम क्या काम करते हो उसने कहा मैं विश्वकर्मा हूँ और एमएलए विपुल गोयल जी के दफ़्तर में हूँ। मैंने पूछा ये तो भारत सरकार के दस्तावेज हैं तुम्हारे पास कैसे आये। लडक़ा इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। मैंने 100 नंबर पर कॉल कर दिया । इससे पहले की राइडर आते उस लडक़े ने फ़ोन करके कई और लडक़ों को वहां बुला लिया और जैसे ही वो मोटर साइकिल पर भागने लगे मैंने एक लडक़े को पकड़ लिया। वो लडक़े गट्ठर लेकर भाग गए और विश्वकर्मा को भी अपने साथ भगा ले गए। जो लडक़ा राजीव सैनी और थोड़े से दस्तावेज़ बचे रह गए थे वो राइडर के आने पर मैंने उसके सुपुर्द कर दिए और हम उन्हें लेकर पुलिस चौकी सेक्टर 16 चले गए। और लिखित में अपनी शिकायत दी। अब पुलिस इसे पता नहीं दर्ज करेगी या सरकार के दबाव में आकर बंद कर देगी।
सवाल है कि हमारे ये दस्तावेज़ सरकार से सरकारी कर्मचारी के माध्यम से हमारे पास आने चाहिए तो इन नेताओं के पास कैसे पहुंचे और ब्लैक मनी के नोट बदलने के लिए इन लोगों ने इसका इस्तेमाल नहीं किया होगा इसकी क्या गारंटी है। क्या नेताओं ने अपने ब्लैक मनी को बदलवाने के लिए भोली जनता के इन्हीं दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है ?”
इस पोस्ट को पढऩे के बाद फेसबुक और व्हाट्सएप पर चर्चा शुरू हो गई है और तरह तरह के आरोप लगने शुरू हो गए हैं। लोगों ने इसे गंभीर मामला मानते हुए आरटीआई द्वारा पूरी जानकारी लेने की बात कही और साथ ही नगर निगम चुनाव को भी इससे जोड़ते हुए चुनावों को लंबित करने की बात कही है। लोगों ने इस पोस्ट को पढकर गंभीर आरोप लगाते हुए स्पष्ट रूप से सोशल मीडिया पर कहा है कि यह कालेधन को सफेद करने की भी एक चाल हो सकती है।
आखिर इस पूरे मामले की सच्चाई क्या है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। सेक्टर-16 पुलिस चौकी में इस बारे में शिकायत दी जा चुकी है लेकिन पुलिस ने अभी मामला दर्ज नहीं किया है।