Star khabre, Chandigarh; 12th September : जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि यदि कोई बच्चा किसी संस्थान में दाखिला लेने के बाद किसी कारण से पाठ्यक्रम से हट जाता है तो पूरी फीस को जब्त कर दंडित नहीं किया जा सकता है, जो उसके माता-पिता की ओर से कोचिंग सेंटर में जमा की गई है। कोचिंग सेंटर कानूनी तौर पर केवल उन सेवाओं के लिए शुल्क लेने के हकदार हैं, जो वह वास्तव में छात्र को देते हैं। सेक्टर-37 बी निवासी पूजा गोयल ने आयोग को दी शिकायत में बताया कि साल 2018 में सेक्टर-35 स्थित फिट जेईई एडवांस की कोचिंग दिलवाने के लिए बेटे को दाखिला दिलाया था। इसके लिए चेक के माध्यम से 51 हजार सात सौ रुपये की राशि का भुगतान किया गया। शिकायतकर्ता के बेटे ने कोचिंग सेवाओं का लाभ नहीं लिया। उसने शुरू से एक भी क्लास नहीं की इसलिए वह रिफंड की हकदार हैं। कोचिंग संस्थान ने आयोग में अपना जवाब दाखिल कर कहा कि यह स्पष्ट कर दिया गया था कि नामांकन फॉर्म के नियमों और शर्तों के अनुसार, एक बार भुगतान की गई फीस किसी भी तरह से वापस नहीं की जाएगी। वहीं, जेईई (एडवांस) की तैयारी के लिए चार साल का कोर्स उपलब्ध करवाया गया था। जिसकी कुल लागत 03.18 लाख थी, जिसमें 48.57 हजार रुपये जीएसटी भी शामिल थी, लेकिन शिकायतकर्ता ने केवल 51,700 रुपये का भुगतान किया। शिकायतकर्ता के बेटे ने बीच में कोर्स छोड़ दिया। यह जानकारी होने के बावजूद रिफंड की कोई पॉलिसी नहीं है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग ने कहा कि माता -पिता अपने बच्चों को अच्छी कोचिंग में दाखिला दिलाने की चिंता में रहते हैैं। ऐसे में वह बच्चों के बेहतर भविष्य की पढ़ाई के लिए नामांकन, वचन पत्र पर हस्ताक्षर कर देते हैं। यह एक भावनात्मक शोषण के अलावा और कुछ नहीं है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसके साथ आयोग ने कोचिंग संस्थान को पैसे वापस करने के निर्देश दिए हैं।
News Source : AmarUjala