Star khabre, Chandigarh; 15th March : चंडीगढ़ नगर निगम में 800 से ज्यादा आउटसोर्स रखे हुए हैं, अब उन सभी पर तलवार लटक गई है क्योंकि नगर निगम द्वार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को जांच का जिम्मा दे दिया गया है। जो अपनी रिपोर्ट 6 माह के अंदर नगर निगम कमिश्नर को सौंपेगी। इसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि इनमें से कितने रखने हैं और कितनों को बाहर का रास्ता दिखाना है।
जबकि इसे लेकर चंडीगढ़ के पूर्व प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित नगर निगम चंडीगढ़ की हाउस मीटिंग में बोल चुके हैं कि जब शहर में पहले 200 से ज्यादा आउट सोर्सेस कर्मी थे तब भी शहर ऐसा ही था और अब 800 से ऊपर आउट सोर्सेस कर्मी रख लिए हैं, तब भी शहर वैसा ही है।
IIPA कर रही जांच
नगर निगम की फाइनेंशियल कंडीशन को सुधारने और होने वाले बेवजह खर्च पर कंट्रोल करने के लिए नगर निगम के अधिकारियों ने प्लानिंग की है। इसके तहत, नगर निगम जल्द ही इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को एक रिपोर्ट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया है, जिसमें नगर निगम का पैसा कहां और कैसे खर्च हो रहा है, अनावश्यक खर्चों की पहचान और कटौती की संभावनाएं विस्तारपूर्वक बताई जाएंगी।
जहां निगम के पास अपने कर्मचारियों के वेतन तक के लिए पैसे नहीं बचे हैं, वहीं भविष्य में वित्तीय संकट से बचने के लिए फिजूलखर्ची को रोकने का प्रयास किया जा रहा है।
चंडीगढ़ नगर निगम मेयर हरप्रीत कौर बबला ने कहा कि एक एजेंसी हायर की गई है, जो 6 माह में रिपोर्ट देगी कि जितने आउटसोर्स कर्मी रखे हुए हैं, उनमें से कितनों की जरूरत है और कितनों की नहीं है।
पूरी लिस्ट पोस्टिंग सहित मांगी डिटेल
आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की पूरी लिस्ट और उनकी पोस्टिंग की डिटेल मांगी है। यह कदम वित्तीय संकट को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। इससे यह खुलासा होगा कि आउटसोर्सिंग कर्मचारी वास्तव में कहां और किसके लिए कार्यरत हैं।
इसके साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि किन नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने रिश्तेदारों को नौकरियां दिलवाई हैं। बता दें कि नगर निगम में लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि कई आउटसोर्सिंग कर्मचारी सिर्फ कागजों पर निगम के लिए कार्यरत हैं, जबकि असल में वे निजी कार्यों में लगे हुए हैं।
कहां कितना खर्च
नगर निगम की वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को ऑडिट करने का जिम्मा सौंप दिया गया है। इस ऑडिट के दौरान नगर निगम का पैसा कहां और कैसे खर्च हो रहा है, अनावश्यक खर्चों की पहचान और कटौती की संभावनाएं आदि की एक विस्तृत रिपोर्ट बनाई जाएगी।
यह भी देखा जाएगा कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती नियमों के अनुसार हुई है या नहीं। साथ ही, यह भी जांच होगी कि आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की संख्या और उनके कार्यों की वास्तव में जरूरत है या नहीं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने भी उठाए सवाल
वहीं, चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की ने कहा कि अकेले आउट सोर्सेस कर्मियों का नहीं बल्कि फाइनेंशियल मैन पावर का भी ऑडिट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह किसी की नौकरी लेने की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि यह कहना चाहते हैं कि जितने भी कर्मी नगर निगम द्वारा रखे गए हैं और जिस काम के लिए रखे गए हैं, क्या उस काम के लिए उतने ही कर्मियों की जरूरत है या फिर ज्यादा रखे हुए हैं, जिनकी जरूरत ही नहीं है? तो इनका भी ऑडिट होना चाहिए क्योंकि करोड़ों रुपये इन पर जा रहे हैं। वह बचेगा तो शहर के विकास कार्यों में काम आएगा।
पूर्व मेयर पर लग चुके भ्रष्टाचार के आरोप
चंडीगढ़ नगर निगम के पूर्व मेयर कुलदीप टीटा और उनके साले राहुल के खिलाफ चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज है। दोनों पर आरोप है कि सफाईकर्मी की नौकरी लगवाने के नाम पर 75 हजार रुपए रवि से लिए गए थे। रवि ने सबूत क्राइम ब्रांच को दिए थे, लेकिन जिस दिन से क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की है, उसके बाद से जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई।
जो नगर निगम द्वारा एजेंसी हायर की गई है, उसे एक और नजरिए से भी देखा जा रहा है कि इससे पता चल सकता है कि कहीं जिस तरह से पूर्व मेयर पर आरोप लगे हैं, वैसे ही किसी और ने तो नहीं पैसे लेकर किसी को नौकरी पर लगवाया है? अगर ऐसा हुआ तो कानून के शिकंजे से कोई भी नहीं बचेगा।
News Source : DainikBhaskar