Star khabre, Chandigarh; 30th January : चंडीगढ़ नगर निगम में गुरुवार को सियासी उलटफेर हुआ। 35 वार्ड वाले निगम में मेयर के लिए बहुमत कांग्रेस और AAP के गठबंधन के पास था। इसके बावजूद चुनाव हुआ तो भाजपा उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला को 19 वोट मिले और कांग्रेस समर्थित AAP उम्मीदवार प्रेम लता को सिर्फ 17 वोट मिले।
हालांकि जब सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव हुआ तो दोनों सीटें AAP समर्थित कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत लीं। इस चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई, यह तो तय है लेकिन किसने की, इसको लेकर कोई कुछ नहीं कह रहा।
खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस इस चुनाव में फायदे में रही और सबसे ज्यादा नुकसान AAP को उठाना पड़ा। इस चुनाव से जुड़े कुछ सवाल उठ रहे हैं….।
1. सवाल: चुनाव में भाजपा की जीत, AAP की हार कैसे हुई?
जवाब: निगम में कुल 35 पार्षद हैं। इनमें से भाजपा के 16, कांग्रेस के 6, AAP के 13 पार्षद हैं। मेयर चुनाव में इन 35 पार्षदों के अलावा चंडीगढ़ सांसद का वोट भी मान्य होता है। चूंकि सांसद अभी कांग्रेस से हैं। इसलिए 13+6+1 जोड़कर कांग्रेस-AAP के पास 20 वोट थे। हालांकि मेयर चुनाव हुए तो भाजपा उम्मीदवार को 19 और कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार को 17 वोट मिले यानी कि भाजपा के पक्ष में 3 क्रॉस वोट पड़े।
2. सवाल: इस चुनाव में BJP, कांग्रेस और AAP को क्या फायदा या नुकसान हुआ?
जवाब: बहुमत न होने के बावजूद मेयर बना भाजपा फायदे में रही। मेयर चुनाव में उनके लिए क्रॉस वोटिंग हुई। हालांकि सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर को लेकर उन्हें क्रॉस वोटिंग करने वालों ने झटका दे दिया। उनके पक्ष में सिर्फ 1 ही क्रॉस वोटिंग हुई। कांग्रेस को सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का पद मिल गया। हालांकि अपने गठबंधन के साथी को वह मेयर की सीट नहीं जिता सकी। AAP को इसमें सिर्फ नुकसान हुआ। उनका सिर्फ मेयर उम्मीदवार था, लेकिन क्रॉस वोटिंग से पिछले साल मिली मेयर की कुर्सी छिन गई। बाकी दो पद कांग्रेस के खाते में थे।
3. सवाल: क्रॉस वोटिंग किस पार्टी के पार्षदों ने की?
जवाब: चूंकि वोटिंग सीक्रेट बैलेट से हुई, इसलिए स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। मगर, AAP आरोप लगा रही है कि कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग की। चूंकि मेयर चुनाव में AAP उम्मीदवार था तो उनके पार्षदों ने विनिंग मार्जिन के हिसाब से BJP उम्मीदवार को वोट दे दिए। फिर सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर में क्रॉस वोटिंग नहीं की क्योंकि इसमें उनके पार्षद उम्मीदवार थे। अगर उनकी पार्टी के पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की होती तो फिर बाकी 2 पद भी कांग्रेस को नहीं मिलते। वहीं कांग्रेस कह रही है कि AAP वालों के भीतर नाराजगी थी, इसलिए मेयर चुनाव में उनके पार्षदों ने अपने उम्मीदवार को वोट नहीं दिया। भाजपा इसे चंडीगढ़ का विकास न होने और पार्षदों के जमीर जागने से जोड़ रही है।
4. सवाल: चंडीगढ़ में आप-कांग्रेस गठबंधन से किसे फायदा हुआ?
जवाब: मोटे तौर पर कांग्रेस को। AAP का जरूर एक साल मेयर रहा लेकिन उसके बदले चंडीगढ़ में कांग्रेस के मनीष तिवारी 5 साल तक सांसद बने रहेंगे। जब 2022 में कांग्रेस-आप का समझौता हुआ था तो यह तय हुआ था कि 5 साल में हर बार मेयर उम्मीदवार आप का होगा और लोकसभा में वह कांग्रेस का समर्थन करेंगे।
5. सवाल: दिल्ली चुनाव पर इसका क्या असर पड़ेगा?
जवाब: सीधे तौर पर चंडीगढ़ का रिजल्ट AAP और कांग्रेस के लिए झटका है लेकिन दिल्ली चुनाव के लिहाज से वह BJP की सियासी चाल में फंसने से खुद को बचाने की कोशिश करेंगे। भाजपा सवाल खड़े करती थी कि दिल्ली में एक-दूसरे के खिलाफ और चंडीगढ़ में ये आपस में लड़ते हैं। अब AAP और कांग्रेस कह सकती है कि वे एक साथ नहीं, अगर ऐसा होता तो फिर मेयर भी AAP का नेता होता। इस बहाने वह चंडीगढ़ में गठबंधन टूटने की बात कह सकते हैं।
6. सवाल: क्या AAP को सियासी तौर पर इसका नुकसान ही है?
जवाब: राजनीति में हार-जीत को देख दांव-पेंच खेले जाते हैं। AAP मेयर सीट जरूर गंवा बैठी लेकिन अब वे कांग्रेस पर आरोप लगा सकते हैं कि उन्होंने जानबूझकर हराया। ऐसे में AAP सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर सकती है। इसके अलावा दिल्ली चुनाव में भी वह कांग्रेस पर खुलकर हमला करेगी। असल में इस नतीजे ने AAP के सिर से चंडीगढ़ में कांग्रेस से हाथ मिलाने का बोझ सीधे हटा दिया है। हालांकि कांग्रेस को सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का पद मिला है, ऐसे में वह भाजपा के आरोपों के घेरे में बने रहेंगे।
7. सवाल: मेयर चुनाव जीती भाजपा को और क्या फायदे हो रहे?
जवाब: चंडीगढ़ चूंकि केंद्रशासित प्रदेश है तो ऐसे में लगभग सारे विकास कार्य नगर निगम के जरिए होते हैं। अब यहां सांसद कांग्रेस के मनीष तिवारी हैं लेकिन शहर की सत्ता निगम के जरिए चलेगी। ऐसे में भाजपा का शहर में दबदबा बढ़ेगा। संगठन के स्तर पर भी 2024 में प्रधान बने जतिंदर पाल मल्होत्रा का कद बढ़ेगा।
2024 के ठीक उलट इस बार का रिजल्ट चंडीगढ़ चुनाव के रिजल्ट से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह भी है कि 2024 में जब मेयर चुनाव हुए तो कुलदीप कुमार AAP से मेयर बने। सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का पद भाजपा के खाते में चला गया। तब कांग्रेस खाली हाथ रह गई। इस बार मेयर पद भाजपा और बाकी 2 पद कांग्रेस के हाथ में चले गए। AAP खाली हाथ रह गई। कांग्रेस इस बात को लेकर खुश हो सकती है कि जो पिछले साल उनके साथ हुआ, वह इस बार AAP के साथ हो गया।
News Source : DainikBhaskar