Star khabre, Chandigarh; 5th March : देशभर में तंबाकू उत्पादों की जांच को और सख्त करने के लिए पीजीआई स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेल्फेयर ने पीजीआई को टोबैको टेस्टिंग लैब्स को मजबूत करने और उनके पैरामीटर्स तय करने की जिम्मेदारी सौंपी है।
3 साल के इस प्रोजेक्ट के लिए 2 करोड़ का बजट मंजूर किया गया है। पीजीआई देश का पहला ऐसा केंद्र होगा, जहां तंबाकू उत्पादों की टेस्टिंग से जुड़ी गाइडलाइंस तैयार की जाएंगी। इसके तहत देशभर में मौजूद टोबैको टेस्टिंग लैब्स की क्षमता का आकलन किया जाएगा और उनकी खामियों को दूर करने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी।
WHO के साइंटिफिक ग्रुप का हिस्सा है भारत
डब्ल्यूएचओ (WHO) ने एक साइंटिफिक सपोर्ट ग्रुप बनाया है, जिसमें भारत समेत 186 देश शामिल हैं। यह ग्रुप फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (FCTC) के आर्टिकल 9 और 10 को लागू करने के लिए काम करता है।
इन प्रावधानों के तहत तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग पर यह स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए कि उनमें निकोटिन, टार और अन्य हानिकारक तत्वों की कितनी मात्रा मौजूद है। ताकि उपभोक्ताओं को पता चल सके कि वे कितनी खतरनाक चीज का सेवन कर रहे हैं।
देशभर में 3 नेशनल टोबैको टेस्टिंग लैब्स
भारत में फिलहाल 3 नेशनल टोबैको टेस्टिंग लैब्स हैं। जो नोएडा, गुवाहाटी और मुंबई में स्थित हैं। हालांकि, अभी इन लैब्स में कई अहम प्रक्रियाएं, जैसे सैंपल कलेक्शन, पैकेजिंग और डिस्पोजल पर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं।
एक सिगरेट में लगभग 6000 प्रकार के रसायन होते हैं। जबकि गुटखा और जर्दा में करीब 3000 हानिकारक तत्व होते हैं। इन उत्पादों में कौन-कौन से तत्व टेस्ट किए जाने चाहिए और उनकी निर्धारित सीमा क्या होनी चाहिए, यह तय करना बेहद जरूरी है।
News Source : DainikBhaskar