Star Khabre, Faridabad; 04th March : जिला उपायुक्त अतुल कुमार के आदेशों के बावजूद धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहा है। जबकि जिला उपायुक्त ने अपने आदेशों में साफ तौर पर काम रोकने के आदेश दिए थे लेकिन 13 विभागों के अधिकारियों की कुंभकरणीय नींद के कारण निर्माण चल रहा है।
क्या है मामला
गौरतलब है कि वर्ष 2014 में हिन्दुस्तान पैट्रोलियम ने पैट्रोल खोलने के लिए एक विज्ञापन निकाला था जिसमें गौच्छी गांव के लिए भी एक पैट्रोल पंप आवंटित किया जाना था। इस पर अवधेश खेमका ने गौच्छी गांव में पैट्रोल पंप खोलने के लिए आवेदन किया। इस पर उन्हें संबंधित 13 विभागों से एनओसी लेना अनिवार्य था। सभी विभागों ने इन्हें एनओसी दे भी दी गई लेकिन इस बीच अगस्त 2018 में इनके खिलाफ जिला उपायुक्त सहित अनेक विभागों को इसकी शिकायत दी गई। शिकायत के बाद जिला उपायुक्त ने इस पूरे मामले में जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही जांच पूरी न होने तक वहां निर्माण को रोकने के आदेश भी जारी किए लेकिन उसके बावजूद भी निर्माण कार्य यहां धड़ल्ले से चालू है।
कहां टूटे नियम
शिकायतकर्ता सुशील मलिक ने बताया कि नियमानुसार यह पैट्रोल पंप गौच्छी गांव के एक किलोमीटर के दायरे में ही खोला जा सकता था लेकिन अवधेश खेमका ने पैट्रोल पंप के लिए जो जगह चिन्हित की, वह गौच्छी गांव से 3 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा एलओआई के नियमानुसार एक पैट्रोल पंप से दूसरे पैट्रोल पंप की दूरी कम से कम 300 मीटर होनी चाहिए लेकिन जहां यह पैट्रोल पंप बनाया जा रहा है, वहां पहले से ही लगभग 35 मीटर पहले ही स्थित है।
सुशील मलिक ने बताया कि पीडब्लयूडी डिपार्टमेंट ने वर्ष 2014-15 में इसी पैट्रोल पंप पर सवालिया निशान लगाते हुए पत्र जारी किया था कि यह पैट्रोल पंप नियमानुसार नहीं है लेकिन बाद में विभाग ने मिलीभगत करके वर्ष 2017 में इस पैट्रोल पंप को एनओसी दे दी जो अपने आप में सवालिया निशान खड़ा करता है।
इसके अलावा मलिक ने बताया कि अवधेश खेमका ने जो नक्शा जमा कराया है, उसमें भी वास्तिवक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है। विभाग को अवधेश खेमका ने जो नक्शा दिया है उसमें उन्होंने वहां पहले से स्थित पैट्रोल पंप की जगह को खाली दिखाया है। इसके अलावा अपने पैट्रोल पंप की जमीन के पीछे स्थित कैमिकल फैक्ट्री के बारे में भी विभाग को कुछ नहीं बताया। जबकि पैट्रोल एक ज्वलनशील पद्धार्थ है। यदि यहां किसी प्रकार का कोई हादसा होता है तो दोनों पैट्रोल पंप इसकी चपेट में आ सकते हैं। इस तरह उन्होंने विभाग के सामने तथ्यों को छुपाया है। इसके अलावा भी अनेक नियमों को यहां ताक पर रखा गया है।
मलिक के अनुसार उन्होंने इस बावत जिला उपायुक्त सहित अनेक विभागों में शिकायत दी थी जिस पर जिला उपायुक्त ने यहां निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए जांच के आदेश जारी किए थे। मजेदार बात तो यह है कि जांच के आदेश पिछले साल 26 सितंबर 2018 को दिए गए थे लेकिन आज लगभग छह महीने बीतने के पश्चात भी पूरी नहीं हुई है। वहीं पिछले तीन दिनों से वहां निर्माण कार्य ने तेजी पकड़ ली है।
मलिक ने बताया कि वह पिछले लगातार तीन दिन से विभागीय अधिकारियों को फोन कर रही हैं लेकिन कोई अधिकारी फोन का जबाव नहीं दे रहा। हालांकि पुलिस विभाग कल शाम से वहां तैनात था और वहां निर्माण रूकवा रखा था लेकिन आज दोपहर को पुलिस भी वहां से चली गई और निर्माण कार्य फिर शुरू हो गया। मलिक की माने तो आज वहां मशीने इंस्टाल कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि न्यायालय में 6 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई है। अवधेश खेमका यह निर्माण कार्य इतनी तेजी से इसलिए कर रहा है कि ताकि वहां जल्द से जल्द कार्य शुरू हो सके क्योंकि अवधेश खेमका चाहता है कि कोर्ट इस मामले में स्टे्टस-को कर दे और उनका व्यापार चलता रहे।
अब देखना यह है कि क्या नगर निगम सहित अन्य विभाग पर कोई कार्रवाई करते हैं या नहीं?