Shikha Raghav, Faridabad; 07th September : यूं तो नगर निगम अधिकारियों के कारनामों से पूरा शहर वाकिफ है लेकिन इस बार एक ऐसी डील सामने आई जिसे सुन सभी हैरान हैं। दरअसल इस बार अपनी ही एक बिल्डिंग को सील करने के लिए निर्माणकर्त्ता ने नगर निगम अधिकारियों से 10 लाख रुपए की डील की है। यह बिल्डिंग नहर पार क्षेत्र की है जिसे अब गे्रटर फरीदाबाद क्षेत्र भी कहा जाता है। एसआरएस चौक से कुछ दूरी पर बनी यह बिल्डिंग एकाएक ही चर्चा में आ गई।
क्या है पूरा मामला
लॉक डाऊन का फायदा उठाते हुए निर्माणकर्ताओं ने एसआरएस चौक से कुछ दूरी पर ही एक कमर्शियल अवैध इमारत खड़ी कर दी जिसमें बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर बना दी गई। इतना ही नहीं इस अवैध इमारत के निर्माण को पुराना दिखाने के लिए इस पर पीली सफेदी भी करा दी गई। हालांकि यह सब नगर निगम के अधिकारियों की जानकारी में था लेकिन उसके बावजूद इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी। सूत्रों का तो कहना है कि यह सब अधिकारियों की मिलीभगत से ही हो रहा था। जब इस पूरे मामले की भनक नगर निगम कमिश्नर यश गर्ग को मिली तो उन्होंने इस पर कार्रवाई करने के आदेश दे दिए। आपको बता दें कि इस इमारत पर नगर निगम पहले भी दो बार तोड़फोड़ की कार्रवाई को अंजाम दे चुका है लेकिन सूत्र बताते हैं कि इस बार कोराना काल में आपदा का फायदा उठाते हुए अवैध निर्माणकर्ताओं ने अधिकारियों से मिलीभगत कर यह निर्माण कर डाला।
कैसे हुई डील
आदेश मिलते ही नगर निगम अधिकारियों और निर्माणकर्ताओं में हड़कंप मच गया। सूत्र तो यह बताते हैं कि कार्रवाई के आदेशों की सूचना मिलते ही निर्माणकर्ता तुरंत निगम के अधिकारियों से डील करने पहुंच गया और डील हुई कि कार्रवाई करने के नाम पर इमारत को तोड़ा नहीं जाएगा, बल्कि सिर्फ सील कर दिया जाएगा। यह डील अवैध निर्माणकर्ता और निगम के तीन अधिकारियों के बीच 10 लाख रुपए में हुई। हालांकि इस डील के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है लेकिन इस समय यह डील शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। नगर निगम तोड़फोड़ विभाग के अधिकारियों ने इस अवैध इमारत पर कार्रवाई करते हुए इसे सील कर दिया।
नहरपार बना हुआ अवैध निर्माण का गढ़
नहरपार इस समय अवैध निर्माण का गढ़ बना हुआ है। अवैध निर्माणकर्ताओं के हौंसले इस समय यहां काफी बुलंद नजर आ रहे हैं। फरीदाबाद विधानसभा के अंतर्गत आने वाले वार्ड 28 की बात करें तो इस अकेले वार्ड में लगभग 45 कमर्शियल साइट पर इस समय अवैध निर्माण हो रहा है लेकिन नगर निगम अधिकारी कुंभकरर्णीय नींद में सोये हुए हैं। हालांकि दिखावे के लिए एक दो जगह वह छुटमुट कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं। सूत्रों का तो कहना है कि क्षेत्र में हो रहा प्रत्येक निर्माण नगर निगम अधिकारियों की जानकारी में है लेकिन वह सांठ-गांठ के चलते इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।
प्रत्येक दुकान से 50 हजार रुपए लेने का आरोप
दबी जुबान में वहा के स्थानीय निवासी नगर निगम अधिकारियों पर प्रत्येक दुकान व इमारत पर 50 हजार रुपए रिश्वत लेने का आरोप लगा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि नहर पार क्षेत्र में बन रही हर इमारत के रेट तय है। छोटी से छोटी अवैध दुकान को बनाने की एवज में नगर निगम अधिकारियों को 50 हजार रुपए सुविधा शुल्क दिया जा रहा है। जबकि बड़ी अवैध इमारत या दुकान के रेट अलग से तय किए गए हैं।
प्यादों के जरिए लिया जा रहा सुविधा शुल्क
सूत्र बताते हैं कि नगर निगम अधिकारी अवैध निर्माण पर कोई कार्रवाई न करने की एवज में सुविधा शुल्क अपने प्यांदों के जरिए ले रहे हैं। आपको बता दें कि इसी तरह के एक मामले में अभी कुछ माह पहले नगर निगम का एक कर्मचारी विजिलेंस ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। बताया गया कि गांव बुढैना निवासी निगम कर्मचारी पहले ट्यूबवैल हेल्पर था लेकिन बाद में उसे सिफारिश से तोड़फोड़ विभाग में शिफ्ट करा लिया गया और उससे इसी प्रकार उगाही का काम शुरू कराया गया। वह अवैध निर्माणकर्ताओं और अधिकारियों के बीच की कड़ी के रूप में काम कर रहा था। अधिकारियों का सुविधा शुल्क अवैध निर्माणकर्ताओं के लेकर अधिकारियों तक पहुंचाता था लेकिन शिकायत होने पर विजिलेंस ने उसे रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया। हालांकि उस समय भी इसमें किसी अधिकारी का नाम सामने नहीं आया था लेकिन विश्वसनीय सूत्र कहते हैं कि उस पूरे मामले में भी मिलीभगत से अधिकारियों का नाम उजागर नहीं हुआ था और पूरी गाज उस निगम कर्मचारी पर ही पड़ी। निगम कर्मचारी को निलंबित करने के साथ-साथ जेल की हवा भी खानी पड़ी थी। खैर बात करें वर्तमान ही तो सूत्र तो यही कहते हैं कि निगम अधिकारियों ने अब भी अपने अदने कर्मचारी को इस अवैध उगाही या यूं कहें कि सुविधा शुल्क वसूलने के काम पर लगाया हुआ है।
इस पूरे मामले में कितनी सच्चाई है, यह तो निगम अधिकारी और अवैध निर्माणकर्ता ही बता सकते हैं लेकिन यह तो सच है कि नहरपार क्षेत्र इस समय अवैध निर्माण का गढ़ बन चुका है। इस बारे में अधिकारी क्या कहते हैं, यह हम आपको जल्द ही अगली कड़ी में बताएंगे।
अगली कडी में पढ़े- कहां-कहां हो रहा अवैध निर्माण, किस इमारत से लिए कितने पैसे