Shikha Raghav, Faridabad; 17th January : लखानी वरदान ग्रुप के कर्ताधर्ता क्या एक बार फिर घोटाले के फिराक में है। जी हां हम उसी लखानी वरदान ग्रुप के बारे में बात कर रहे हैं कि जिसके डायरेक्टर पीडी लखानी हुआ करते थे जोकि इस समय भगौड़ा घोषित हैं। फरीदाबाद के नामचीन ग्रुप लखानी वरदान ग्रुप के मालिक पीडी लखानी पिछले लगभग ढ़ाई साल से भगौड़ा घोषित है और करोड़ो रुपए का बैंकों तथा सरकारी विभाग को चूना लगा चुके हैं।
क्या था लखानी वरदान ग्रुप का मामला :
70 से 80 के दशक में शुरू हुई लखानी ने फरीदाबाद में जूतों का व्यवसाय शुरू किया था जोकि एक नामचीन ब्रांड के रूप में देश में जाना जाने लगा। वर्ष 2006 में लखानी ब्रदर्स का बंटवारा हुआ और लखानी ग्रुप दो ग्रुप में बंट गया। इसमें एक ग्रुप के एमडी केसी लखानी (लखानी अरमान ग्रुप) तथा दूसरे ग्रुप के पीडी लखानी (लखानी वरदान ग्रुप) एमडी बन गए। अभी 10 वर्ष भी पूरे नहीं हुए थे कि लखानी वरदान ग्रुप के एमडी पीडी लखानी सरकार, बैंक तथा आम जनता व मजदूरों को करोड़ो रुपए का चूना लगाकर चंपत हो गए। हालांकि इस मामले में पीड़ी लखानी पर अनगिनत मामले दर्ज हो रखे हैं जिसमें अदालत ने पीडी लखानी को भगौड़ा घोषित कर रखा है।
सूत्रों से पता चला है कि लखानी वरदान ग्रुप को पीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि विभाग) के लगभग 15 करोड़, ईएसआई (कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा) के 5 से 7 करोड़, वैंडर्स के लगभग 150 से 200 करोड़, इंकम व सेल्स टैक्स विभाग के लगभग करोड़ो रुपए के अलावा बैंकों जिसमें इलाहाबाद बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, केनरा बैंक, यूनाईटेड बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया की करोड़ों रुपए राशि की देनदारी बकाया है। जबकि बैंकों द्वारा लगभग सारी संपति जब्त करने के बाद भी बैंक की देनदारी भी निपटती नहीं दिखती। ऐसे में बाकी सरकारी विभागों, वैंडर्स और कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों के हिसाब किताब का तो राम ही मालिक है।
कैसे लगाया सरकार को चूना
लखानी इंडिया लिमिटेड (वरदान ग्रुप) 2006 में अपने अस्तित्व में आया। कंपनी के डायरेक्टर्स ने विभिन्न बैंकों से ओडी (ओवर ड्राफ्ट) लिमिट, सीसी लिमिट तथा हुडंईयां बनवाई। सूत्रों की माने तो लखानी इंडिया लिमिटेड (वरदान ग्रुप) के डायरेक्टर पीडी लखानी और सुमन लखानी ने फर्जी बिल हुंडी के मार्फत बैंकों से पास करवाए और बैंकों को मोटा चूना लगाया और नकली सी-फार्म बनवाकर सरकार को चूना लगाने का भी काम किया। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि कंपनी के डायरेक्टर्स ने इंकम टैक्स विभाग में लोगों से काटा हुआ टीडीएस भी जमा नहीं करवाया। इसके अलावा मजदूरों की तनख्वाह में से काटा हुआ पीएफ व ईएसआई का पैसा भी सरकार को नहीं जमा करवाया। धीरे-धीरे जब लोगों तक यह सच पहुंचने लगा और कानूनी मामले बढऩे लगे तो पीडी लखानी ने अपने सभी शेयर अपने बेटे मयंक लखानी के नाम कर दिए। इसके बाद जब लखानी ग्रुप की स्थिति और खराब हुई और कानूनी उलझनें ज्यादा सामने आने लगीं तो उन्होंने अपने यहां ड्राइवरी करने वाले ड्राइवर पुष्पेंद्र को ही कंपनी का डायरेक्टर बना दिया।
इसके अलावा लखानी वरदान ग्रुप की ही एक कंपनी लखानी मैडीकेयर के नाम से थी जोकि मैडिकल इक्यूपमेंट बनाया करती थी। इसके भी एमडी पीडी लखानी ही थे। पीडी लखानी ने इस कंपनी के भी अपने शेयर मयंक के नाम कर दिए। सूत्रों का कहना है कि यही लखानी मैडीकेयर कंपनी अब ला मैडहेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के नाम से चल रही है। वर्तमान में ला मैडहेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के एमडी भगौड़े पीडी लखानी के बेटे मयंक लखानी ही हैं।
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