Shikha Raghav, Faridabad; 18th February : भाजपा निगरानी कमेटी के अध्यक्ष ने अपनी शिकायत पर सुनवाई न होता देख अब भाजपा के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया है। बडख़ल विधानसभा भाजपा निगरानी कमेटी के अध्यक्ष आनंद कांत भाटिया ने चेतावनी देते हुए कहा है यदि उनकी जाट भवन संस्था मामले में की गई शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई तो वह बडख़ल विधानसभा भाजपा निगरानी कमेटी के सभी सदस्यों सहित भाजपा से इस्तीफा दे देंगे। आनंद कांत भाटिया ने कहा कि उन्हें सिर्फ नाम के लिए कोई पद नहीं चाहिए, यदि शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं करनी तो फिर इस कमेटी बनाने का क्या फायदा। उन्होंने खुले शब्दों में अपने साथ-साथ कमेटी के अन्य सदस्यों के भी भाजपा से इस्तीफा देने की बात कही है।
3 नवंबर को भाजपा ने सभी विधानसभाओं में अपनी निगरानी कमेटी का गठन किया था। बडख़ल विधानसभा क्षेत्र से गठित की गई कमेटी में अध्यक्ष पद पर आनंद कांत भाटिया, सदस्य हरेन्द्र भड़ाना, मुकेश चौधरी, अफजल अंसारी, बिशंबर भाटिया, रीटा, नवजीवन गोंसाई, संदीप कौर, धनश्याम अग्रवाल, प्रवीन खत्री, अमित आहूजा व आकाश गुप्ता है। भाजपा निगरानी कमेटी को बने अभी मात्र तीन महीन का ही समय हुआ है लेकिन अभी से कमेटी के सदस्य असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। या यूं कहे कि उन्हें भाजपा ने लॉलीपॉप तो पकड़ा दिया है लेकिन कहीं किसी शिकायत पर उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। जबकि हैरत की बात यह है कि प्रदेश में भाजपा की ही सरकार है और भाजपा निगरानी कमेटी के सदस्य ही शिकायतों पर सुनवाई न होने की दुहाई देते नजर आ रहे हैं।
क्या है मामला :-
प्याली चौक स्थित जाट भवन संस्था ने जाट भवन का निर्माण कर दिया है। हालांकि इसके निर्माण होने के बाद से ही स्थानीय निवासियों ने इसकी शिकायत प्रशासन को देनी शुरू कर दी थी लेकिन बार-बार शिकायत करने के बावजूद प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगी और उक्त शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इस मामले ने तूल जब पकड़ा जब जाट भवन संस्था के पदाधिकारियों ने जाट भवन के पास ही पड़े सरकारी पाईपों का निजी इस्तेमाल कर वहां बह रहे नाले को बंद कर दिया। इन पाईपों की कीमत करीब 7 लाख रुपए बताई जा रही है। उक्त मामले में बडख़ल विधानसभा भाजपा निगरानी कमेटी के अध्यक्ष आनंद कांत भाटिया ने जांच कर अपनी रिपोर्ट तैयार की जिसमें उन्होंने बताया कि जाट भवन संस्था के पदाधिकारियों ने वहां पड़े सरकारी पाईपों का गैर कानूनी रूप से निजी इस्तेमाल किया है। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने वहां स्थित नाले को भी बंद कर साथ लगते पार्क को भी अपने कब्जे में अवैध रूप से ले लिया है और वह अब दिन प्रतिदिन आस-पास खाली पड़ी सरकारी जमीन पर कब्जा करने में लगे हुए हैं।
निगरानी कमेटी के अध्यक्ष आनंद कांत भाटिया ने बताया कि संस्था के पदाधिकारियों ने साथ लगे पार्क में जाट भवन की पार्किंग का एक बोर्ड बिना किसी अनुमति के लगा दिया और जाट भवन का एक दरवाजा उस पार्क की और भी खोल दिया लेकिन जब निगरानी कमेटी द्वारा सीएम विंडो पर शिकायत की गई तो उसके बाद फिलहाल वह बोर्ड वहां से हटा दिया गया है तथा खुले हुए दरवाजे को भी बंद कर दिया गया है। निगरानी कमेटी के अध्यक्ष आनंद कांत भाटिया ने उक्त मामले की शिकायत 11 जनवरी को सीएम विंडो पर की परन्तु अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। इसके अलावा उन्होंने इसकी शिकायत नगर निगम व नजदीकी थाने में भी दी हुई है।
क्या यह जमीन व्यायामशाला के लिए अलॉट की गई थी ?
इस मामले में अगर विश्वसनीय सूत्रों की माने तो जाट भवन संस्था को यह जमीन व्यायामशाला तथा पार्क बनाने के लिए दी गई थी लेकिन उन्होंने राजनैतिक शय पर वहां एक इमारत खड़ी कर दी जिसे जाट भवन का नाम दे दिया गया है। इस इमारत को खड़ी करने के पीछे संस्था के पदाधिकारियों का उद्देश्य मोटी आय का साधन तैयार करना था। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो जाट भवन संस्था ही बता सकती है या फिर वह आरटीआई जो आनंद कांत भाटिया ने नगर निगम कार्यालय पर डाली है जिसमें यह पूछा गया है कि जाट संस्था को यह जमीन किस लिए दी गई है। उन्होंने आरटीआई नगर निगम में 12 जनवरी को डाली थी जिसका नगर निगम ने अभी तक कोई जबाव नहीं दिया है जिस कारण अब उन्होंने इसकी प्रथम अपील दर्ज की है।
नगर निगम अधिकारी आनंद कांत भाटिया की आरटीआई का जबाव क्यों नहीं दे रहे, यह तो नगर निगम अधिकारी ही बता सकते हैं लेकिन उनके जबाव न देने से मामले में संदेह की स्थिति पैदा हो रही है। जानकारों का तो यह भी कहना है कि यह नगर निगम अधिकारियों पर कोई राजनैतिक दबाव भी हो सकता है जिसके चलते वह इसका जबाव देने में देरी कर रहे हैं।
सवाल तो यह भी उठता है कि क्या यह जगह सच में व्यायामशाला के लिए दी गई थी और यदि यह जमीन व्यायामशाला के लिए ही दी गई थी तो इतनी बड़ी इमारत बनते समय नगर निगम अधिकारी कहां सो रहे थे।
क्यों दिया लाखों रुपए का सरकारी अनुदान ?
इतना ही नहीं जाट भवन में सर छोटूराम की प्रतिमा के अनावरण के समय आयोजित कार्यक्रम में केन्द्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर, चौ. वीरेन्द्र सिंह, मुख्य संसदीय सचिव सीमा त्रिखा सहित अनेक भाजपा के मंत्री व विधायकों ने कार्यक्रम में शिरकत की थी और संस्था को सरकारी खजाने से मोटी रकम भी अनुदान में दी। जबकि गौर करने वाली बात यह है कि वहां पर न तो स्वास्थ्य संबंधी, न ही शिक्षा संबंधी और न ही कोई समाज हित का अन्य कोई कार्य किया जाता है फिर यह राशि अनुदान में किस कार्य के लिए दी गई।
जाट भवन संस्था के पदाधिकारियों द्वारा जाट भवन में तो शादी कार्यक्रम आयोजित करने की एवज में आयोजकों से मोटी रकम ली जा रही है तो फिर किस आधार पर उक्त संस्था को मंत्रियों द्वारा सरकारी अनुदान दिया गया है। क्या यह नेताओं की वोट बैंक की राजनीति है।
आनंद कांत भाटिया ने बताया कि वह पिछले डेढ़ माह से इस मामले में शिकायत पर शिकायत कर रहे हैं लेकिन अभी तक उनकी शिकायत पर कार्रवाई तो दूर कोई सुनवाई तक नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई तो वह भाजपा की निगरानी कमेटी के सदस्यों सहित भाजपा छोड़ देंगे।
क्या कहते हैं जाट भवन संस्था के प्रधान
जाट भवन संस्था के प्रधान योगेश का कहना है कि हमने कोई भी सरकारी पाइप का इस्तेमाल नहीं किया है और संस्था के अलॉटमेंट संबंधी जानकारी में उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि उस समय के दस्तावेज मेरे पास नहीं हैं।