Star Khabre, Faridabad; 20th October : करीब 50 साल पहले चीन द्वारा नेफा क्षेत्र में कब्जाई करीब 62 हजार जमीन को मुक्त कराने की मांग को लेकर भारत-तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकर्ताओं ने बृहस्पतिवार को लघु सचिवालय पर प्रदर्शन किया। इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जाई जमीन को कूटनीति तौर पर वापस लेने की मांग की। अगुवाई मंच के जिला संयोजक सुरजीत सराव कर रहे थे। प्रदर्शन के बाद कार्यकर्ताओं ने नगराधीश सतवीर मान के मार्फत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन दिया।
जिला संयोजक सुरजीत सराव ने कहा कि चीन ने 20 अक्तूबर 1962 को चीन द्वारा भारत पर हमला किया और 62600 किलोमीटर जमीन हड़प ली। इस विवाद को निपटारे के लिए दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच कई बार वार्ता हुई। लेकिन आज तक परिणाम शून्य है। वरिष्ठ अधिवक्ता आत्मप्रकाश सेतिया ने कहा कि इस जमीन पर हमारे कैलाश मानसरोवर जैसे पवित्र तीर्थ है। जिनपर चीनी सेना पिछले कई वर्षो से कब्जा जमाया हुई है। अधिवक्ता राजकुमार शर्मा ने कहा कि नेफा क्षेत्र के साथ अगर तिब्बत चीन के कब्जे से मुक्त हो जाएगा तो भारत की अर्थ व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। जीत सिंह भाटी ने कहा कि चीन की विस्तारवादी नीतियों ही पाकिस्तानी आंतक की मूल जड़ है। चीन भारत के साथ पाकिस्तान की आड़ में छद्मयुद्व करता आ रहा है। वरिष्ठ कार्यकर्ता राकेश बीसला ने बताया कि मंच ने ज्ञापन के माध्यम से केंद्र सरकार के समक्ष चार बिंदुओं पर विचार करने की मांग की है। जिसमें कूटनीति पहल के आधार पर चीन द्वारा कब्जाई जमीन वापिस लेने, कैलाश मानसरोवर को मुक्त कराने, चीन की विस्तारवादी नीति पर रोक लगाने, तिब्बत के मठ-मंदिरों को सुरक्षा देने और तिब्बत में हो रहे मानव अधिकारों के उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र में विषय रखना है। इस मौके पर हरनाम, अनुज कौशिक, दिनेश, सूर्य मोहन पाराशर, धर्मचंद सैनी, पीके मित्तल, भीम पुजारी, रमेश भारद्वाज सहित अनेक लोग मौजूद थे।