Star khabre, Faridabad; 30th March : हरियाणा सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना ने विशेष रूप से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के परिवारों को बड़ी राहत दी है। यह योजना विशेष रूप से अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए बनाई गई है। इस योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान करके सरकार ने विवाह के समय परिवारों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करने का प्रयास किया है। यह जानकारी उपायुक्त (डीसी) विक्रम सिंह ने दी।
उपायुक्त विक्रम सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना का मुख्य उद्देश्य उन परिवारों को सहायता देना है जो अपनी बेटियों की शादी के लिए आवश्यक धनराशि जुटाने में सक्षम नहीं होते। उन्होंने कहा कि यह योजना ऐसे परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है, जहां शादी के खर्च को उठाना मुश्किल होता है।
उपायुक्त विक्रम सिंह ने बताया कि इस योजना के तहत विभिन्न वर्गों के लिए अनुदान राशि निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति और विमुक्त जाति के लाभार्थियों (जिनकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये तक हो) की बेटियों के विवाह पर 71,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है। पिछड़े वर्ग और सामान्य वर्ग के लाभार्थियों (जिनकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये तक हो) की बेटियों के विवाह पर 41,000 रुपये का अनुदान दिया जाता है।
इसके साथ ही, विधवा, अनाथ, तलाकशुदा, बेसहारा महिलाएं और उनके बच्चों के लिए भी 51,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है। योजना के तहत महिला खिलाड़ियों (जिनकी वार्षिक आय 1.80 लाख रुपये तक हो) के विवाह पर भी 41,000 रुपये की मदद दी जाती है। यदि विवाह में दोनों वर-वधू दिव्यांग हैं, तो उन्हें 51,000 रुपये की अनुदान राशि मिलती है, जबकि अगर केवल एक वर या वधू दिव्यांग है, तो 41,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है।
डीसी विक्रम सिंह ने यह भी बताया कि योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदकों को अपनी बेटी के विवाह के छह माह के भीतर विवाह पंजीकरण कराना अनिवार्य है। योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया को बहुत सरल और सुगम बनाया गया है, ताकि पात्र व्यक्ति आसानी से लाभ उठा सकें। आवेदक shadi.edisha.gov.in पोर्टल पर जाकर विवाह पंजीकरण और मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की योजनाओं का लाभ हर पात्र व्यक्ति तक पहुंचाना जिला प्रशासन की प्राथमिकता है।