Star khabre, Faridabad; 10th February : ओडिशा को 38 वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में थीम राज्य के रूप में चुना गया है। यहां इस राज्य की समृद्ध विरासत, जीवंत संस्कृति, व्यंजन और अद्वितीय शिल्प कौशल का प्रदर्शन किया जा रहा है। ओडिशा की संस्कृति और विरासत की थीम पर डिजाइन किया गया इसका मंडप राज्य की कलात्मक और उत्कृष्टता का शानदार प्रतिनिधित्व कर रहा है।
ओडिशा मंडप में 40 स्टॉल सजाई गई हैं, जो ओडिशा के विश्व प्रसिद्ध शिल्प जैसे कि एप्लिक वर्क, पट्टचित्र, पत्थर की नक्काशी, पीतल और बेल मेटल क्राफ्ट, ढोकरा (दौरा) कला, ताड़ के पत्ते और लकड़ी की नक्काशी का उत्कृष्टï प्रदर्शन कर रही हैं। मंडप में हथकरघा की स्टाल पर संबलपुरी पट्टा, बोमकाई पट्टा, मनियाबंध पट्टा, खडुआ पट्टा और अद्वितीय कोटपैड शॉल रखी गई है, जो खूबसूरत डिजाइन और पारंपरिक बुनाई की तकनीक के लिए जानी जाती हैं।
ओडिशा मंडप का एक प्रमुख आकर्षण यहां के पारंपरिक ओडिया व्यंजन है, जो आगंतुकों को मजेदार जायके का स्वाद दे रहे हंै। इन प्रमुख व्यंजनों में दालमा, छेना पोड़ा, पखाला और सी फूड की विभिन्न डिशेज शामिल हैं। ओडिशा के प्रसिद्ध माटी कलाकार सुदर्शन पटनायक द्वारा भगवान जगन्नाथ को चित्रित करते हुए बनाई गई प्रतिमूर्ति दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। जो कि ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत का जीता-जागता सबूत है। ओडिशा की सांस्कृतिक जीवंतता को चार मंचों पर प्रस्तुत किया जा रहा है। ओडिसी और संबलपुरी नृत्य इन मंचों पर शास्त्रीय और लोक परंपराओं की भव्यता को प्रदर्शित कर रहे हैं। पाला, दसकथिया, पारंपरिक कहानी सुनाने का संगीतमय प्रदर्शन, गोटीपुआ नृत्य ओडिसी संस्कृति का अद्भूत रूप प्रस्तुत कर रहे हैं। रंग-बिरंगे परिधानों में सजे लडक़े-लड़कियों की नृत्य कला में ओडिशा के स्वदेशी समुदायों की लय और भावना की संपूर्ण झलक देखने को मिल रही है। सूरजकुंड मेले में आ रहे पर्यटकों को ओडिशा मंडप अवश्य देखना चाहिए, जो कि तेजी से विकसित हो रहे इस राज्य की कला, संस्कृति, पाक कला और पारंपरिक शिल्प कौशल का एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है।
मेले में आ रहे पर्यटकों को अवश्य देखना चाहिए ओडिशा मंडप
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