Star Khabre, Faridabad; 07th October : राम भक्त ले चला रे राम की निशानी, शीश पे खड़ाऊ हैं, अंखियों में पानी, शीश पे खड़ाऊ ले चला ऐसे, राम-सिया ही संग हो जैसे, अब इनकी छांव में रहेगी राजधानी… ऐसे ही मधुर संगीत के साथ रंगमंच की रामलीला में राम-भरत का मिलाप दिखाया गया। इसमें भरत के अनुरोध करने पर भी जब राम रघुवंश के वचनों का मान रखते हुए लौटने से इंकार कर देते हैं तो भरत उनकी चरण पादुका को शीश पर लिए अयोध्या लौटते हैं। इसे देख दर्शकों की आंखें भर आई।
सेक्टर-15 की श्री श्रद्धा रामलीला कमेटी की रामलीला में भरत का अयोध्या वापिस आना, सूर्पणखा की नाक काटना, खरदूषण का वध, राम-भरत मिलाप के प्रसंग का मंचन हुआ। रामलीला का पहला पर्दा भरत के पास दशरथ के प्राण त्यागने का समाचार पहुंचता है और वे अपने ननिहाल से वापस अयोध्या जी आते हैं। पूरा सच जाने के बाद वे अपने मां को कोसते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। वे कहते हैं कि अपने भाई के अलावा उन्हें कोई राजपाठ की इच्छा नहीं है। वहीं वन में सूर्पणखा राम लक्ष्मण के पास जाती है और राम लक्ष्मण के बार-बार समझाने पर भी जब सूर्पण्खा नहीं समझती तो लक्ष्मण सूर्पणखा की नाक काट देते हैं। इसके बाद सूर्पणनखा खर-दूषण के पास जाती है और उसे पूरी बात बताती है। इसके बाद राम लक्ष्मण द्वारा खर-दूषण वध का मंचन किया जाता है। रामलीला का अंतिम पर्दा भरत भगवान राम को वापस लाने के लिए वन की ओर कूच करते हैं। वे अपने भाई से वापस अयोध्या चलने को कहते हैं। लेकिन राम रघुकुल रीत का मान देते हुए चलने से इंकार कर देते हैं। ऐसे में भरत राम की चरण पादुका शीश पर रख अयोध्या लौटते हैं। उनकी चरण पादुका को सिंहासन पर विराजित कर वनवासी बन राजपाट संभालते हैं। राम की भूमिका में रितेश, लक्ष्मण अनिल चावला, सीता युगंधा, भरत राजकुमार ढींगरा, शत्रुघन शुकांत, खर दिनेश सहगल, दूषण विक्की सहगल ने अपनी भावपूर्ण संवाद अभिनय से दर्शकों को भावुक कर दिया।