Shikha Raghav, Faridabad; 07th January : फरीदाबाद नगर निगम चुनाव में वार्ड 12 पूरे 40 वार्डों में सबसे चर्चित वार्ड है। इसका मुख्य कारण यह है कि यदि इस सीट से भाजपा की सीट निकलती है तो भाजपा के आलानेता यहां की प्रत्यशी को मेयर पद से नवाज सकते हैं। इसका मतलब सुमन बाला यदि यहां से कल जीत जाती है तो वह नगर निगम में आपको मेयर की कुर्सी पर बैठी दिखाई दे सकती हैं। वहीं इसी वार्ड से पूरा जोर लगा रही चित्रांगना गौतम आज मतदान से एक दिन पहले तक अपने साथ जनाधार नहीं जोड़ पाई। वार्ड के लोगों की माने तो वह चित्रांगना गौतम के साथ न चलने का कारण उनके परिवार और उन समर्थकों को मान रहे हैं जिनके पास स्वयं जनाधार की कमी है और जो अपना राजनैतिक वर्चस्व लगभग खो चुके हैं। खैर जाने दो। हम अभी पहले सुमन बाला की ही बात करते हैं कि हम कैसे कह रहे है कि सुमन बाला की जीत निश्चित है तो आईए आपको बताते हैं कि यहां के समीकरण क्या कहते हैं।
वार्ड 12 नगर निगम चुनाव के लिए इस बार ड्रा के दौरान एससी हो गया। एससी मतलब अनुसूचित जाति। अब यहां से इस बार सिर्फ अनुसूचित जाति के ही प्रत्याशी चुनाव मैदान में खड़े हो सकते थे तो इस बार चुनाव मैदान में भाजपा की प्रत्याशी सुमन बाला, बसपा की पूनम देवी, निर्दलीय प्रत्याशी चित्रांगना गौतम, अल्का आर्या, सविता गौतम और रीना देवी खड़ी है। भाजपा प्रत्याशी सुमन बाला दिवंगत पत्रकार सचिन खेड़ा की पत्नी है। वैसे तो वार्ड 12 में भाजपा के वोट बैंक की बात करें तो विधानसभा चुनाव के दौरान यहां से लगभग सभी ब्लॉक ने भाजपा को जिताने में अह्म भूमिका निभाई। यहां भाजपा का अच्छा खासा वोट बैंक है लेकिन शुरूआती दौड़ में वार्ड के एससी हो जाने के कारण यहां के मतदाता यहां की विधायिका से खासा नाराज नजर आ रहे थे और नोटा का बटन दबाने का प्रचार कर रहे थे लेकिन धीरे-धीरे स्थिति को भांपते हुए व अपने ही क्षेत्र की प्रत्याशी को मेयर बनने के आश्वासन के बाद वह सुमन बाला के साथ जुड़ते चले गए। अब सुमन बाला को एकतरफा वोट पड़ सकती हैं और यह यहां के लोगों के लिए एक खुशखबरी है कि उनके क्षेत्र का पार्षद नगर निगम में मेयर की कुर्सी पर बैठा होगा। यानि नगर निगम पर पुन: वार्ड 12 का ही कब्जा होगा जोकि अपने आप में एक इतिहास बनेगा क्योंकि वार्ड 12 फरीदाबाद नगर निगम में पहला ऐसा वार्ड होगा जिससे लगातार दूसरी बार वहां के पार्षद को मेयर बनाया जाएगा। सुमन बाला की जीत का यह सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। वार्ड 12 की जनता में मेयर बनने की बात से खासा उत्साह है और क्षेत्र का जनाधार सुमन बाला के साथ जुडा हुआ है। सुमन बाला की जीत का दूसरा मुख्य कारण राजनीति के जानकार यह भी मान रहे हैं कि केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है और क्षेत्र की जनता सुशिक्षित होने के कारण यह भलीभांति जानती है कि यदि नगर निगम में भी भाजपा की सरकार बन गई तो क्षेत्र का संपूर्ण विकास होगा और अपने क्षेत्र के विकास को लेकर अब जनता सुमन बाला के साथ खड़ी है।
अब हम पहले बात कर रहे थे चित्रांगना गौतम की। तो आप सोच रहे होंगे कि चित्रांगना गौतम क्यों पीछे है और क्षेत्र की जनता उन्हें क्यों पसंद नहीं कर रही तो चलिए आपको बताते हैं कि इसका क्या कारण है। यूं तो चित्रांगना गौतम जब चुनावी मैदान में आई तो क्षेत्र की जनता ने उन्हें नोटिस तो किया लेकिन जैसे ही अपने पीछे चित्रांगना गौतम भाटिया लिखा तो भाटिया मतदाताओं को यह समझ नहीं आया कि चित्रांगना गौतम आखिर भाटिया कैसे बन गई। खैर यह तो हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि उन्होंने भाटिया उपनाम का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ भाटिया मतदाताओं को रिझाने के लिए किया था। चित्रांगना गौतम लगभग पिछले 5 वर्षों से वार्ड 12 में नहीं रह रही हैं। चित्रांगना गौतम इस समय सेक्टर-21 की निवासी हैं। इस कारण क्षेत्र की जनता यह भलीभांति समझती है कि चित्रांगना गौतम क्षेत्र की समस्याओं की बारिकियों से वाकिफ नहीं हैं। यह चित्रांगना गौतम के साथ मतदाता न जुडऩे का महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है।
वैसे तो सुमन बाला और चित्रांगना गौतम दोनों की चेहरे क्षेत्र की जनता के लिए नए हैं लेकिन सुमन बाला के साथ भारतीय जनता पार्टी का कैडर वोट बैंक जुडा है। साथ ही साथ बड़े भाजपा नेताओं का राजनैतिक अनुभव और मेयर बनाने का वादा उनके लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है। इसके अलावा सुमन बाला दिवंगत पत्रकार सचिन खेड़ा की पत्नी हैं। दिवंगत पत्रकार सचिन खेड़ा एनआईटी के निवासी थे। सचिन खेड़ा न सिर्फ ईमानदार थे बल्कि निडर व निर्भिक पत्रकार थे और एनआईटी की जनता उन्हें खास पसंद करती थी। वहीं चित्रांगना गौतम के पास न तो किसी पार्टी का वोट बैंक है और न ही कोई राजनैतिक अनुभव उनके पास है।
खैर कुछ भी हो फैसला तो कल ही होगा लेकिन यहां की जनता को विश्वास है कि मेयर उनके वार्ड का ही बनेगा और वार्ड 12 की जनता एक नया इतिहास रचने का तैयार है।