मंदिर के कोषाध्यक्ष के नाम पर गोलमाल, आरटीआई में हुआ खुलासा
Shikha Raghav, Star khabre, Faridabad; 04th November : दूध की सुरक्षा का जिम्मा अगर बिल्ली को दे दिया जाए तो दूध कैसे सुरक्षित रहेगा। बड़े बुजुर्गों द्वारा कही गई ये बातें अक्सर जीवन में सत्य साबित होती नजर आती हैं। दरअसल एनआईटी मार्किट नंबर-1 स्थित श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर मामले में दिन प्रतिदिन नए नए खुलासे हो रहे हैं जो चौकाने वाले हैं। ऐसा ही एक ओर खुलासा हुआ है जिसमें मंदिर कमेटी में कोषाध्यक्ष के नाम पर गोलमाल सामने आया है। आरटीआई से हुए खुलासे ने जिला रजिस्ट्रार को भी कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। कागजों से साफ है कि जिला रजिस्ट्रार कार्यालय ने बिना कागजों पर ध्यान दिए कार्रवाई को अंजाम दे दिया और मंदिर की संस्था का रिन्यूवल कर दिया है।
आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार 30-12-2014 को सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर श्री सनातन धर्म महाबीर दल (रजि.) को रिन्यूवल कराने के लिए राजेश भाटिया द्वारा जिला रजिस्ट्रार कार्यालय में दस्तावेज जमा करवाए जिसमें प्रधान पद पर राजेश भाटिया, महामंत्री अनिल भाटिया और कोषाध्यक्ष के नाम पर पृथ्वीराज अरोड़ा का नाम लिखा हुआ है। अब ध्यान देने वाली बात यह है कि इसी संस्था ने 23-06-2013 को जिला रजिस्ट्रार कार्यालय में अपने पदाधिकारियों की सूची दी थी, उसमें कोषाध्यक्ष के नाम पर किसी दलजीत सिंह का नाम लिखा हुआ है। इस सूची को 9 फरवरी 2015 को जिला रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा सत्यापित किया गया है। जबकि 30-12-2014 को राजेश भाटिया ने जब संस्था के रिन्यूवल के लिए जो दस्तावेज पेश किए उसमें कोषाध्यक्ष के रूप में पृथ्वीराज अरोड़ा को दर्शाया हुआ है। जबकि विभाग द्वारा दो महीने बाद की गई संस्था के पदाधिकारियों की सत्यापित सूची में दलजीत सिंह को कोषाध्यक्ष माना है।
हैरानी वाली बात यह है कि कोषाध्यक्ष जैसे अह्म पद को लेकर इतनी बड़ी लापरवाही क्या विभाग की लापरवाही है या फिर राजेश भाटिया द्वारा की गई कोई साजिश का यह कोई हिस्सा है। अब विभाग के रिकार्ड अनुसार कहा जाए तो जिला रजिस्ट्रार कार्यालय में सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर श्री सनातन धर्म महाबीर दल (रजि.) के कोषाध्यक्ष दलजीत सिंह हैं।
यहां गोलमाल यह है कि संस्था के रिन्यूवल के लिए आवेदकर्ता कोषाध्यक्ष के रूप में पृथ्वीराज है। जबकि पदाधिकारियों की सूची में जिला रजिस्ट्रार दलजीत सिंह को कोषाध्यक्ष मानता है। मजेदार बात यह है कि रिन्यूवल के लिए संस्था द्वारा जो आय-व्यय का ब्यौरा दिया गया है जिसमें 2012-13 व 2013-14 की बैलेंस शीट में कोषाध्यक्ष के स्थान पर पृथ्वीराज अरोड़ा के हस्ताक्षर हैं। संस्था को रिन्यूवल करवाने के लिए जिला रजिस्ट्रार कार्यालय में दिए गए फार्म 6, फार्म 10 पर भी कोषाध्यक्ष के नाम पर पृथ्वीराज अरोड़ा ने हस्ताक्षर किए हुए हैं। इतना ही नहीं राजेश भाटिया के फर्जी नामांकन फार्म पर भी कोषाध्यक्ष के रूप में पृथ्वीराज अरोड़ा के हस्ताक्षर हैं। मजेदार बात तो यह भी है कि विभाग के रिकार्ड अनुसार पदाधिकारियों की सूची में दलजीत सिंह कोषाध्यक्ष तो हैं लेकिन जब विभाग ने संस्था का रजिस्ट्रेशन रिन्यूवल किया तो उसमे दलजीत सिंह का कोई फार्म ही मौजूद नहीं है न कोषाध्यक्ष के रूप में और न ही सदस्य के रूप में।
अब सोचने वाली बात यह है कि विभाग के रिकार्ड अनुसार यदि दलजीत सिंह कोषाध्यक्ष हैं तो फिर पृथ्वीराज हर जगह कागजों में कोषाध्यक्ष के स्थान पर कैसे हस्ताक्षर कर सकते हैं। कागजों में इस तरह का गोलमाल कहीं न कहीं बड़े कोष के गोलमाल का संकेत दे रहा है। जिला रजिस्ट्रार कार्यालय में जमा हुई बैलेंस शीट के अनुसार 2012-13 में संस्था को आय लगभग 26 लाख रुपए और 2013-14 में आय लगभग 29 लाख रुपए हुई लेकिन इनमें से खर्चे हुए पैसे का का रिकार्ड कार्यालय में मौजूद नहीं है। मंदिर पर एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त होने के बाद अब राजेश भाटिया को एडमिनिस्ट्रेटर को मंदिर का पूरा चार्ज देना है जिसमें उनके कार्यकाल के दौरान आय-व्यय का ब्यौरा देना है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार आय- व्यय का ब्यौरा देने के लिए अब राजेश भाटिया द्वारा व्यापारियों से औने-पौने खर्चे के बिल की दरकार कर रहे हैं।