Star Khabre, Faridabad; 01st November : नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली उक्त कहावत एनआईटी निवासी सट्टेबाज राजेश भाटिया पर बिल्कुल सटीक बैठती है। दरअसल राजेश भाटिया क्षेत्र की जनता को अपनी साफ-स्वच्छ व ईमानदार छवि बता कर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि आपको बता दें कि गुंडा प्रवृति के होने के कारण राजेश भाटिया पर पुलिस छह अलग-अलग आपराधिक मामले पूर्व में दर्ज कर चुकी है। इसमें से एक मामले में राजेश भाटिया अपने दोनों भाईयों चंदर भाटिया व जगदीश भाटिया के साथ करीब दो माह की जेल भी काट चुके हैं। हालांकि इस मामले में दो माह बाद उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई थी। सट्टेबाज राजेश भाटिया पर डकैती, अपहरण, मारपीट, जुआ खेलना, चुनाव के दौरान बूथ कैप्चर करना सहित कई अन्य मामले दर्ज हो चुके हैं जो उनकी आपराधिक प्रवृति के बारे में बताते हैं। इतना ही नहीं लोगों में तो यह भी चर्चा है कि राजेश भाटिया की इस आपराधिक प्रवृति से परेशान होकर करीब 5 लोग आत्महत्या भी कर चुके हैं।
गौरतलब है कि राजेश भाटिया जोकि अपने आप को एनआईटी मार्किट नंबर-1 स्थित श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर से संबंध बताते हैं। ध्यान रहे कि राजेश भाटिया पिछले कई वर्षों से कोर्ट के आदेशों के बावजूद मंदिर पर जबरन कब्जा किए हुए बैठे थे। जबकि वह कोर्ट में अपने आप को मंदिर का सदस्य तक साबित नहीं कर पाए। मंदिर पर विवाद बढ़ता देख अब मंदिर पर प्रशासक नियुक्त हो चुका है तो भी राजेश भाटिया पिछले कई दिनों से उसका विरोध कर रहे हैं। पहले वह धर्म के नाम पर जनता को भडक़ा कर मामले को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगे हुए थे लेकिन जब वह इस कार्य में सफल नहीं हुए तो अब इसे राष्ट्रीय मुद्दा करार दे रहे हैं। इतना ही नहीं वह जगह जगह मंदिर से प्रशासक को हटाने के लिए सिफारिशे भी लगवाने में लगे हुए हैं।
राजेश भाटिया पुन: मंदिर पर कब्जा करने के उद्देश्य से जनता के सामने अपनी स्वच्छ छवि का ढिढ़ोरा पीट रहे हैं। जबकि वह पूर्व में छह अलग-अलग आपराधिक मामलों में संलिप्त हैं। इसमें एक मामले ने तो इतना अधिक तूल पकड़ा कि मामले की जांच सीबीआई को करनी पड़ी। सीबीआई रिपोर्ट के अनुसार राजेश भाटिया पर वर्ष 1997 में एक डकैती व किडनैपिंग का आपराधिक मामला दर्ज किया जा गया था जिसमें शिकायतकर्ता ममता अरोड़ा ने आरोप लगाया था कि राजेश भाटिया अपने दोनों भाई पूर्व विधायक चंदर भाटिया व जगदीश भाटिया सहित 8 लोगों के साथ उनके एनआईटी स्थित कार्यालय पर आए, जहां 42 हजार रुपए नगद समेत करीब 68 लाख रुपए का सामान जबरन उठा कर ले गए। इतना ही नहीं उनके कार्यालय के दो सिक्योरिटी गार्ड का भी अपहरण कर लिया। इस मामले ने इतना अधिक तूल पकड़ा कि कोर्ट ने राजेश भाटिया सहित तीनों भाईयों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिए। इस मामले में राजेश भाटिया, चंदर भाटिया व जगदीश भाटिया तीनों करीब दो माह जेल में भी काट चुके हैं। दो माह पश्चात तीनों को हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत हुई।
इसके अलावा 20 अगस्त 2008 को राजेश भाटिया पर एक मामला सट्टा खेलने व खिलाने का भी दर्ज हुआ। इस मामले में पुलिस को एक मुखबिर ने सूचना दी, जिसपर कार्रवाई करते हुए पुलिस अधीक्षक के आदेशों पर दो टीमें बनाई गई जिसमें मुजेसर एसएचओ व बल्लभगढ़ एसएचओ को स्पेशल रेड करने के लिए बुलाया गया। सट्टा खिलाने के आरोप में पुलिस राजेश भाटिया को बालों से घसीटकर थाना कोतवाली ले गई, जहां उसे बंद कर दिया गया। इस मामले में राजेश भाटिया के साथ अनिल भाटिया (तिल्ली), मिथुन तनेजा को भी गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने इनके कब्जे से नगद राशि, 5 मोबाइल फोन, कैलकुलेटर, टीवी, दो डायरी सहित अन्य सामान बरामद किया।
इसके अलावा राजेश भाटिया पर एक जुलाई 2000 में थाना कोतवाली के अंतर्गत धोखाधड़ी व मारपीट का मामला दर्ज हुआ। जबकि तीन फरवरी 2005 को राजेश भाटिया पर चुनाव के दौरान बूथ कैप्चर करने का मामला भी दर्ज हुआ जिसमें राजेश भाटिया ने बूथ पर काम कर एजेंट के साथ मारपीट की और उसे जान से मारने की धमकी भी दी। वहीं दो मार्च 2005 में राजेश भाटिया पर थाना कोतवाली में ही मारपीट व जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज है।
सट्टेबाज राजेश भाटिया पर दर्ज हो चुके हैं डकैती सहित छह अलग-अलग आपराधिक मामले
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