Star Khabre, Faridabad; 18th December : श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मंदिर की संपति को बिना किसी की इजाजत लिए गैर कानूनी रूप से किराये पर दे दिया गया है लेकिन पिछले दो महीने से मंदिर में नियुक्त प्रशासक इस बात से बेखबर नजर आ रहे हैं। सेक्टर-23 में श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर की एक ब्रांच है जिसे नेशनल सीनियर सैकेंड्री स्कूल प्रबंधन को किराये पर दे दिया गया है। स्कूल प्रबंधन की माने तो उनके साथ इसे किराये पर देने के लिए एक एग्रीमेंट हुआ है लेकिन यह एग्रीमेंट किसने किया है अब स्कूल प्रबंधन उस नाम का खुलासा करने में डरा हुआ सा नजर आ रहा है। वहीं मंदिर में नियुक्त प्रशासक इस पूरे प्रकरण में अपनी अनभिज्ञता जाहिर कर रहे हैं।
बता दें कि 12 अक्टूबर को रजिस्ट्रार मेन, चंडीगढ़ ने श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर के विवाद मामले में मंदिर पर तीन महीने के लिए प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश जारी होते ही 14 अक्टूबर को प्रशासक ने मंदिर पर कब्जा ले लिया। 14 अक्टूबर से वर्तमान तक मंदिर पर प्रशासक नियुक्त है लेकिन मंदिर की संपति में क्या हो रहा है इस बारे में प्रशासक को खबर नहीं है। हालांकि यह बात गले तो नहीं उतर रही लेकिन प्रशासक का कुछ यही कहना है। जबकि बता दें कि मंदिर के लैटरहेड पर मंदिर की तीनों ब्रांच के बारे में लिखा हुआ है।
एक नंबर-श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर की तीन और ब्रांच है जिसमें सेपहली मुख्य शाखा में ही स्कूल संचालित है। जबकि दूसरी सेक्टर-23 में है और तीसरी शाखा एनआईटी तीन नंबर में स्थित है। मुख्य शाखा में चल रहा स्कूल मंदिर द्वारा संचालित जा रहा है। जबकि 400 गज में बनी सेक्टर-23 मंदिर की ब्रांच में 12 कमरे बने हुए हैं जिसमें से एक कमरे में मंदिर बना हुआ है जबकि 11 कमरे खाली पड़े हुए हैं। बता दे कि पहले यहां मंदिर द्वारा संचालित स्कूल की ही ब्रांच थी जिसे बाद में बंद कर दिया गया। अब यहां सिर्फ एक कमरे में मंदिर का दरबार है। जबकि 235 गज एनआईटी तीन नंबर मंदिर की ब्रांच में मंदिर बना हुआ है।
अब मामला यह है कि सेक्टर-23 स्थित मंदिर की ब्रांच को नेशनल सीनियर सैकेंड्री स्कूल को किराये पर दे दिया गया है। स्कूल प्रबंधन की माने तो उनके साथ एक एग्रीमेंट साइन हुआ है। इसके बाद ही उन्होंने मंदिर की बिल्डिंग में सफेदी का काम करना शुरू करवाया। वर्तमान में मंदिर की बिल्डिंग में सफेदी हो चुकी है। मंदिर के नाम की जगह नेशनल सीनियर सैकेंड्री स्कूल लिखा जा चुका है।
मंदिर की संपति को किराये पर किसने दिया अब यदि इस बारे में बात की जाए तो मंदिर के पूर्व प्रधान जोगेन्द्र चावला इससे साफ इंकार कर रहे हैं, उनका कहना है कि उन्हें इस बारे में नहीं पता कि मंदिर की संपति को किसने किराए पर दिया है लेकिन यदि इसे किराये पर दिया गया है तो यह गैर कानूनी है। वहीं प्रशासक भी मंदिर की संपति को किराये पर देने की बात से इंकार कर रहे हैं। अब मंदिर की संपति को किराये पर देने का मामला सीधा सीधा राजेश भाटिया की ओर इशारा कर रहा है क्योंकि वह पहले भी एक नंबर श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर की दुकानों को गैर कानूनी रूप से किराये पर दे चुके हैं। सूत्रों की माने तो यह संपति किराया घोटाला राजेश भाटिया ने ही किया है लेकिन जो भी हो हैरानी की बात यह है कि मंदिर में प्रशासक को नियुक्त हुए दो महीने से भी अधिक समय बीत गया है लेकिन प्रशासक को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि मंदिर की संपति में क्या गतिविधियां चल रही है।
अब इस पूरे प्रकरण पर यदि गौर किया जाए तो इस प्रकार मंदिर की संपति को किराये पर दे देना और पिछले काफी समय से मंदिर की संपति में स्कूल खोलने से पूर्व स्कूल प्रबंधन द्वारा की जा रही कार्रवाई कहीं न कहीं प्रशासक और मंदिर की संपति को किराये पर देने वालों की मिलीभगत भी कहा जा सकता है या फिर इसके पीछे एक कारण प्रशासक का मंदिर की संपति की देखरेख में कोई रूचि न लेना भी इसकी एक वजह हो सकती है। खैर कारण जो भी हो पर इससे मंदिर की संपति का दुरूपयोग हो रहा है जोकि कानून गलत है।
बकौल प्रशासक गौरव आंतिल, राजेश भाटिया ने अभी तक हमें मंदिर की संपति का कोई रिकार्ड नहीं दिया है। मेरे पास मंदिर के संपति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मुझे सिर्फ इतनी जानकारी है कि एक नंबर मार्किट के अलावा श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर की तीन ब्रांच और है लेकिन वहां क्या गतिविधियां चल रही है, इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। मंदिर की संपति को यदि किसी ने भी किराये पर दिया है तो मैं इसकी जांच करवाऊंगा और जिसने भी इसे किराये पर दिया है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं नेशनल सीनियर सैकेंड्री स्कूल में जब संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी कि मंदिर पर कोई केस चल रहा है या मंदिर पर प्रशासक नियुक्त हो चुका है। उन्होंने इस संपति में स्कूल खोलने के लिए एग्रीमेंट किया है लेकिन एग्रीमेंट किसके साथ हुआ है इस बारे में वह कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं।
ठाकुर सूरजभान सिंह का कहना है कि मंदिर की संपति को किराये पर देना गलत है। एक नंबर श्री सिद्धपीठ हनुमान मंदिर में दुकानों को किराये पर देने के बारे में उन्होंने जिला रजिस्ट्रार को इसकी शिकायत दी थी जिस पर जिला रजिस्ट्रार ने 10 जुलाई 2015 को स्टे जारी कर दिया था जिसके कारण दुकानों को किराये पर नहीं दिया जा सकता। साथ ही राजेश भाटिया से इस संबंध में जवाब भी मांगा था परन्तु न तो उन्होंने जबाव दिया बल्कि कानून की धज्जियां उड़ाते हुए राजेश भाटिया ने दुकाने भी किराये पर दे दी। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में पता चला है कि सेक्टर-23 स्थित मंदिर की बिल्डिंग को किसी ने नेशनल सीनियर सैकेंड्री को किराये पर दे दिया है जोकि कानूनन गलत है। मंदिर पर प्रशासक नियुक्त होने के बावजूद इस प्रकार मंदिर की संपति को किराये पर नहीं दिया जा सकता। इस बारे में प्रशासक को शिकायत की जाएगी और जिसने भी इसे किराये पर दिया है, उसके खिलाफ कार्रवाई की दिशा में कार्य किया जाएगा।